हरे चारे का विकल्प- हाइड्रोपोनिक्स

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भारत दुनिया में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करता है ऐसे में पशुओं के लिए वर्ष भर हरे चारे का प्रबंधन करना काफी कठिन कार्य है खासकर उन इलाकों में जहां पानी की उपलब्धता बहुत कम है।

वर्तमान परिदृश्य में हाइड्रोपोनिक्स खेती दुनिया के कृषि उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। खेती योग्य जमीन की कमी, बढती आबादी, पानी की कमी, गुणवत्ता रहित पानी व भूमि तथा जलवायु परिवर्तन ऐसे प्रमुख कारण है जो किसानों को बागवानी के वैकल्पिक तरीकों की ओर प्रोत्साहित कर रहे है। वर्तमान में जहां इंसानों के लिए भोज्य सामग्री को उत्पादित करने में समस्या उत्पन्न हो रही है वहां पशुओं के लिए हरे-चारे का प्रबन्धन करने के लिए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक एक उचित माध्यम

हाइड्रोपोनिक्स तकनीकी से कम समय में अधिक चारा उत्पादन किया जाता है। पशुओं के लिए हरा चारा संतुलित एवं पोष्टिक आहार है। देश में कुछ हिस्से ऐसे भी है जहां वर्षा अधिक मात्रा में होती है ऐसी जगहों पर यह विधि काफी हद तक कारगर साबित हुई है। हरा चारा दूध में पोषकता बढाने के लिए उपयोगी है जिसके द्वारा दूध में असंतृप्त वसीय अम्ल एवं विमाटिन्स की मात्रा बढती है।

हाइड्रोपोनिक्स

हाइड्रोपोनिक्स शब्द मुख्यतः लैटिन भाषा के शब्दों का युग्म है जिसमें हाइड्रो का तात्पर्य पानी एवं पोनोस का तात्पर्य श्रम होता है। मिट्टी के बिना पौधों को एक चयनित माध्यम में जहां प्रकाश, तापमान और पोषक तत्व बारीकी से विनियमित हो, में उगाने के विज्ञान को हाइड्रोपोनिक्स कहते है। देशी भाषा में हाइड्रोपोनिक्स को ‘मिट्टी रहित खेती‘ के रूप में भी जाना जाता है। हाइड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी एवं आवश्यक पोषक तत्वों की सही मात्रा में आपूर्ती द्वारा उगाया जाता है। पौधों को मिट्टी द्वारा जो आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते है जिनमें मुख्यतः खनिज लवण होते है, वह हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में अलग से प्रदान किये जाते है। मिट्टी में पोषक तत्वों और पानी को बेतरतीब ढंग से रखा जाता है और अक्सर पौधों की जडों को पानी और पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा खत्म करने की आवश्यकता होती है। इतनी ऊर्जा खत्म

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करने के कारण पौधों की वृद्धि उतनी तेजी से नहीं होती है जितनी होनी चाहिए। हाइड्रोपोनिक्स खेती में पोषक तत्वों और पानी सीधे पौधों की जड में पंहुचाया जाता है जिसके कारण उनकी कटाई भी जल्दी की जा सकती है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के प्रमुख लाभः

परंपरागत तकनीकी से पौधे एवं फसलें उगाने की अपेक्षा हाइड्रोपोनिक्स तकनीकी के कई लाभ है इस तकनीकी से विपरीत जलवायु एवं परिस्थितियों में उन क्षेत्रों में भी पौधे उगाये जा सकते है। जहां जमीन की कमी है अथवा वहां की मिट्टी उपजाउ नहीं है।

इस तकनीकी में पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिये खनिजों के घोल की कुछ बूंॅदे ही महीने में केवल एक दो बार डालने की जरूरत होती है। इसलिए इसकी मदद से हम कहीं भी पौधे उगा सकते है। जमीन में उगाये जाने वाले पौधें की अपेक्षा इस तकनीक में बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है इस तरह यह जमीन और सिंचाई प्रणाली के अतिरिक्त दबाव से छुटकारा दिलाने में सहायक होती है।

मक्के से तैयार किये गये हाइड्रोपोनिक्स चारे से संबंधित प्रयोगों में पाया गया है कि परंपरागत हरे चारे में क्रूड प्रोटीन 10.7 प्रतिशत होती है जबकि हाइड्रोपोनिक्स से उगाये गये हरे चारे में क्रूड प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होती है। लेकिन परंपरागत हरे चारे की अपेक्षा हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे में क्रूड फाइबर कम होता है। हाड्रोपोनिक्स हरे चारे में अधिक उर्जा विटामिन और अधिक दूध का उत्पादन होता है और उनकी प्रजनन क्षमता में भी सुधार होता है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीकी से गेहूं जैसे अनाजों से 7-8 दिन में हरा चारा तैयार हो जाता है जबकि सामान्यतः इन पौधों को तैयार होने में 28-20 दिन लगते है।

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हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी आधारित बागबानी की तुलना में 95 प्रतिशत कम पानी का उपयोग होता है।

  1. गैर कृषि योग्य भूमि वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
  2. प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ, अत्यधिक गर्मी या ठंड से होने वाली समस्याओं से मुक्त होता है।
  3. मृदा कीट और रोगों में काफी कमी आ जाती है।
  4. हाइड्रोपोनिक्स खेती को कम रखरखाव तथा कम मजदूरों की आवश्यकता होती है। क्योंकि इसमें पूरा तंत्र स्वचालित रहता है जो पी-एच, विद्युत चालकता, तापमान, पोषक तत्वों की सांद्रता तथा आर्द्रता को संतुलित रखता है।

वर्तमान में पशुपालकों को यह भ्रम रहता है कि हाइड्रोपोनिक्स से आने वाले चारे की गुणवत्ता, मिट्टी में उगने वाले चारे की गुणवत्ता से कम होती है। परन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है। हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली में उगने वाले चारे को उन्हीं पोषक तत्वों की आपूर्ती की जाती है जो मिट्टी उगाये जाने वाले पौधों के लिए आवश्यक है तथा उनकी मात्रा को इस तकनीक में ज्यादा सही नियंत्रित होकर दिया जाता है। दोनों तरीकों के बीच बुनियादी फर्क पोषक तत्वों और पानी को चारे के लिए देने के लिए वितरित करने के तरीके में निहित हैं।

व्यावसायिक रूप से हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम में अक्सर कृत्रिम प्रकाश का उपयोग किया जाता है, जिससे चारा उत्पादन की प्रारंभिक लागत बढ जाती है। परन्तु आधुनिक हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में प्राकृतिक सूर्य की रोशनी द्वारा भी हरे चारे की खेती की जा सकती है। प्रत्येक दिन नियंत्रित पर्यावरणीय परिस्थिति में 15-320 से. तापमान में और 80.85 % आर्द्रता नमी में 240-480 किलो हरा चारा उपर्युक्त प्रकाश देकर उगाया जा सकता है। पारम्परिक चारा फसलो के लिए 80-90 लीटर प्रतिदिन पानी की तुलना में प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी में 1 किलोग्राम हरा चारे का उत्पादन कर सकते है।

हाइड्रोपोनिक्स चारे की परम्परागत मिट्टी द्वारा उत्पादित चारे (जौ) में तुलना

पोषक  चारा परम्परागत हाइड्रोपोनिक्स चारा
प्रोटीन प्रतिशत 11.5 29.8
रेशा प्रतिशत 30 25.26
उर्जा किलो कैलोरी 2600 4400
ऐश (राख) प्रतिशत 11.4 5.5
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हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का कई पश्चिमी देशों में फसल उत्पादन के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे देश में भी हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से देश के कई क्षेत्रों में बिना जमीन और मिट्टी के पौधे उगाए जा रहे है। मक्का एवं जौ उच्च गुणवत्ता वाले हरे चारे वाली फसलें उगाने के लिये इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीकी से वर्ष भर पशुओं के लिये हरे चारे की उपलब्धता रहती है।

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