बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से हुआ बाछी का जन्म

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ  प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा बिहार में पहली बार गाय के बाछी का जन्म हुआ। यह पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है। वर्ष 2019 में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण सह आईवीएफ  प्रयोगशाला की स्थापना बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में की गई जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 10 सितंबर 2020 को वर्चुअल माध्यम से किया था।

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प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से साहिवाल नस्ल की स्वस्थ्य बाछी को जन्म दिया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से  एक गाय से एक साथ कई बाछा-बाछी प्राप्त कर सकते हैं जो कि गाय और भैंसों में नस्ल सुधार के दृष्टिकोण से लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन से जुड़े वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शीतल, डॉ. प्रमोद एवं डॉ. आजाद ने अहम् भूमिका निभाया।

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इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि प्रयोगशाला का अगला लक्ष्य आईवीएफ के द्वारा अधिक से अधिक संख्या में उच्च गुणवत्ता वाली बाछी का उत्पादन करना है जिससे राज्य में कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली गायों की संख्या में वृद्धि होगी और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा ।  कुलपति महोदय ने भारत सरकार तथा बिहार सरकार के सहयोग के लिए अपना आभार व्यक्त किया।

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से हुआ बाछी का जन्म

परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता एवं ज्यादा दूध देने वाली गाय से एक साथ कई भ्रूण पैदा किए जाते हैं जिन्हें 7 से 8 दिन बाद कम दूध देने वाली ग्राही गायों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है जिससे पैदा होने वाले बाछा-बाछी अधिक उत्पादकता देने वाले होते हैं।

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परियोजना के सह-अन्वेषक डॉ. जे.के प्रसाद ने इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी, तथा विश्वविद्यालय के कुलपति के मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

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