विटामिन एक प्रकार के कार्बनिक तत्व होते हैं जो शरीर की सभी क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं। यह रसायन स्वस्थ्य जीवन यापन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। विटामिन को घुलनशीलता के आधार पर दो प्रकार में बांटा गया है- वसा में घुलनशील विटामिन तथा जल में घुलनशील विटामिन। विटामिन A वसा में घलुने वाली विटामिन होती हैं। विटामिन A, पशु अपने शरीर में स्वयं निर्माण नहीं कर सकते इसलिए पशु इन्हे भोजन व चारे के द्वारा अपने आहार से प्राप्त करते हैं। विटामिन A पशु शरीर के लिए आवश्यक विटामिन है। जैसा की हम सब जानते है की हर सिक्के के दो पहलु होते हैं, वैसे ही यदि विटामिन पशु शरीर के लिए उपयोगी होते हैं तो इनकी अधिकता से नुकसान भी हो सकता है अगर यह अपने निर्धारित मात्रा से शरीर में अधिक हो जाते हैं।
इसी क्रम में विटामिन A की उपयोगिता, कमी से होने वाले रोग, अधिकता से होने वाले दुष्प्रभाव एवं विषक्ता, तथा जानवरो में होने वाली बीमारयां का अवलोकन करते हैं:
विटामिन A का शरीर में उपयोगिता
- शरीर के स्वाभाविक विकास में मददगार।
- कोशिका के विभाजीकरण में उपयोगी।
- त्वचा में पाई जाने वाली म्यूकस के उत्पादन में सयोगी।
- हड्डियों के विकास में सयोगी।
- नेत्र की प्रकाश वृद्धि में आवयस्क।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार।
- प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सयोगी।
- भ्रूण मृत्यु दर काम करता है।
- पशु को निमियत रूप से ताव लाने में सहायक।
- गर्भधारण दर की वृद्धि।
विटामिन A की कमी से होने वाले रोग
- रतौंधी
- जेरोप्थलमिआ/ कंजक्टिवा (आँखों की ऊपरी सतह) की मोटाई बढ़ना एवं सुस्ख़ हो जाना।
- केरेतोमलेसिया/ कॉर्नेल मेटाप्लासिआ।
- त्वचा में रूखापन आना एवं फोड़े होना।
- फेफड़ो के लचीलेपन में कमी आना जिससे की स्वशन तंत्र में संक्रमण हो जाता है।
- नर पशुओं में वीर्य की उत्पादन दर में कमी आ जाना।
- मादा पशुओं में भ्रूण का पेट में ही मर जाना या प्रसव पश्चात मृत बच्चे का जन्म होना।
- दिव्यांग बछड़े या बछिया का जन्म भी हो सकता है।
- पशु के पेट अथवा आहार नाल में शुष्खी आ जाना जिससे पाचन संबधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
- हड्डियों की वृद्धि में कमी आ जाना एवं संकुचित विकास होना।
विटामिन A अधिकता से होने वाले दुष्प्रभाव से उत्प्पन विषाक्तता
- भूख में कमी।
- त्वचा का मोटा होना।
- गर्भवती मादा में अपंग संतान को जन्म देने की सम्भवना में वृद्धि।
- पेशियों एवं हड्डियों की वृद्धि खंडित होना।
- यद्पि हड्डियां लम्बाई में वृद्धि करेंगी परन्तु चौड़ी नहीं हो पाएंगी।
पशुओं में कुछ बीमारियाँ
1. केजड़ एवियन रोग
यह रोग मूलतः पालतू पछियों में पाया जाता हैं। इसमें पक्षी अपना दाना पानी त्याग देता है। उसके मुँह, आँख, साइनस के चारोतरफ सफ़ेद चक्कते से पड़ जाते है। अगर यह कमी लम्बे समय तक चलती है तो उसमे आँखों की ऊपरी सतह मोटी होने लगती है तथा साइनोसाइटिस हो जाता है। बॉमब्लेफुट (पैरों की त्वचा मोटी एवं खुरदुरी) होने की संभावना बढ़ जाती है।
2. बिल्लियों में विटामिन A की विषाक्तता
बिल्ली एक मांशाहारी जानवर होती है, यह कई बार छोटे जानवरो के यकृत का अत्यधिक सेवन कर लेती है तो इन्हे विटामिन A की विषाक्तता का सामना करना पड़ सकता है। इसमें हड्डिया का गलना, रीढ़ की हड्डियों का आपस में जुड़ जाना एवं घोटु में सूजन देखा गया है।
3. गोवंश में हायना रोग
छोटे बछड़ो में आवश्यकता से ज्यादा विटामिन A के सेवन से यह स्थिति उतपन्न हो जाती है जिससे उनके कंकाल तंत्र का समुचित विकास बाधित हो जाता है। इसी क्रम में पीछे वाली टंगे आगे वाली टांगो से छोटी रह जाती है और यह गोवंश हायना के सामान प्रतीत होने लगते हैं।
इस प्रकार उपरोक्त लेख से यह स्पष्ट देखा जा सकता है की विटामिन A जानवरो के शरीर एवं स्वस्थ्य में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए हमें अपने पालतू जानवरो का आहार संतुलित एवं विटामिन से प्रचूर रखना चाहिए जिससे पशुपालक भाई एवं कोई भी जानवरो को पालने वाला वयक्ति अपने पशु के स्वास्थ्य को लेकर मुसीबत में न आये जिससे उसका पशुधन एवं वह स्वयं सदैव खुशहाल रहे।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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