पशु के शव (मृत शरीर) का निस्तारण/ कारकस डिस्पोज़ल
पशुओं की बीमारियाँ

पशु के शव (मृत शरीर) का निस्तारण/ कारकस डिस्पोज़ल

पशुपालन में पशु एक जीव मात्र है इसलिए पशु में सामान्य या कभी कभी असामान्य मृत्यु का होना, आम बात है। मृत पशुओं एवं इनसे पनपने वाले रोग के नियंत्रण के लिए पशु के मृत शरीर का उचित निपटान बहुत ही आवश्य >>>

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पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें: एक परिचय

भारतीय अर्थव्यस्था में पशुपालन का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है, खासकर ग्रामीण किसानो की आय का प्रमुख स्रोत पशुपालन ही है। किसानों के लिए सुचारु पशुपालन पशु के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रबंधन >>>

पशुओं में संक्रामक रोग
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पशुओं में संक्रामक रोग: कारण, लक्षण एवं बचाव

कृषि प्रधान भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था में पशुधन व्यवसाय का महत्वपूर्ण योगदान है। यह नि:संदेह अधिकांश जनसंख्या के जीविकोपार्जन का साधन है। रोज़गार की कमी और कृषि योग्य भूमि की कमी की स्थिति में अधिकांश >>>

पशुपालन में स्थानीय औषधीय पौधों का महत्व एवं प्रयोग
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पशुपालन में स्थानीय औषधीय पौधों का महत्व एवं प्रयोग

भारत वर्ष विविध प्रकार के प्राकृतिक संम्पदा से परिपूर्ण है। पशु गणना में हमारा देश विश्व में प्रथम है। हमारे देश में ही हरियाणा , पंजाब एवं गुजरात के किसान औसतन अपनी कुल आमदनी का 20% से ज्यादा >>>

पशुओं की आँखों को प्रभावित करने वाले रोग एवं उनका
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पशुओं की आँखों को प्रभावित करने वाले रोग एवं उनका निदान

भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसने कृषि के साथ-साथ पशुपालन को एक संलग्नक व्यवसाय के रूप में अपना रखा है। हमारा देश लगभग 195 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन कर विश्व में प्रथम स्थान पर विराजमान है। पशुओं की >>>

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गाय भैंसो में थनैला रोग बन रहा बड़ा संकट: जानें कैसे करे उपचार

थनैला एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग दूध देने वाले पशुओं एवं उनके पशुपालको के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह बीमारी समान्यतः गाय, भैंस, बकरी एवं सूअर समेत लगभग सभी पशुओं में पायी जाती है, जो अपने >>>

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बाह्य परजीवी: पशुपालन के लिए बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान

परजीवी एक ऐसे जीव होते हैं जो किसी अन्य जीव, जिसे ‘मेजबान जीव’ कहते हैं, के अन्दर या बाहर रहते हैं व मेजबान जीव के भोजन या शरीर पर आश्रित रहते हैं (बैनीवाल एवं खोखर 2012, CDC 2016)। शरीर के अंदर >>>

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पालतु पशुओं में अंतःकृमियों के दुष्प्रभाव एवं निवारण

पशुओं की उत्पादकता में सुधार करना मुख्य चुनौतियों में से एक है जिसमें अंतःकृमियों, जिन्हें आमतौर पर पेट के कीड़े कहा जाता है, का प्रत्याक्रमण अतिमहत्वपूर्ण है। आमतौर पर पशुओं में अंतःकृमियों का प्रको >>>

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कॉन्टेजियस बोवाइन प्लूरोन्यूमोनिया, कारण, उपचार एवं बचाव

इस बीमारी को सीबीपीपी, लंग प्लेग, तथा लंग सिकनेस भी कहते हैं। यह गायों में पाए जाने वाला जीवाणु जनित अत्यंत संक्रामक रोग है। जिसमें फेफड़े व फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लूरा प्रभावित होती है >>>

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पशुओं में बांझपन के कारण एवं निवारण

बांझ एक ऐसे मादा पशु को कहा जाता है जो बच्चा देने में असमर्थ हो। कोई भी मादा पशु जब परिपक्वता को प्राप्त करती है तो मादा के जनन अंगों से डिंब निकलने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इसके दौरान मादा पशु >>>

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पशुओं का घातक रक्त परजीवी रोग: थिलेरियोसिस कारण एवं निवारण

पशुओं को अत्याधिक हानि पहुंचाने वाले घातक रोगों में से एक है थीलेरियोसिस। यह रोग थिलेरिया अनुलेटा नामक रक्त में पाए जाने वाले परजीवी, से होता है। यह परजीवी हायलोमा नामक किलनी या कलीली द्वारा फैलता >>>

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प्रयोगशाला परीक्षण हेतु प्रतिदर्शियों/ स्पेसिमेनस का चुनाव तथा प्रेषण

जीवाणु, विषाणु तथा रिकेट्सियल रोगों के निदान की पुष्टि प्रयोगशाला में ही की जा सकती है तथा इस कार्य हेतु पशु चिकित्साविद को, वस्तुओं के एकत्रीकरण तथा उन्हें भेजने के सही ढंग ज्ञात होना अति आवश्यक है >>>

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ग्लैंडरस एवं फारसी रोग एक खतरनाक पशुजन्य/ जूनोटिक बीमारी

ग्लैंडरस एवं फारसी रोग घोड़ों, गधों, टट्टुओ व खच्चरों में पाया जाने वाला एक जीवाणु जनित संक्रामक एवं पशुजन्य अर्थात जूनोटिक रोग है जो कि बरखोलडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से उत्पन्न होता है। यह बीमारी >>>

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कीटोसिस दुधारू पशुओं का एक चपापचई रोग

कीटॉसिस पशुओं का एक चपापचई रोग है जिसे ऐसीटोनीमिया भी कहते हैं। जो पशु के ब्याने के बाद कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह में होता है। इस रोग में रक्त में ग्लूकोज की कमी एवं कीटोन बॉडीज की अधिकता तथा >>>