पशुओं की बीमारियाँ

रक्त परजीवी रोगों की रोकथाम व उपचार

रक्त परजीवी पशुयों को शारीरिक रूप से कमजोर करके उनकी उत्पादन तथा कार्यक्षमता को कम कर देते हैं।   यदि समय पर इलाज न कराया जाए तो पशुयों की मृत्यु भी हो जाती है। कुछ रक्त परजीवी तो बहुत ही घातक होते है, जिनके संक्रमण से पशुयों की मृत्युदर बहुत होती है। >>>

पशुपालन समाचार

उत्तराखण्ड में पशुपालक को केवल 100 रूपए में लिंग वर्गीकृत वीर्य उपलब्ध होगा

उत्तराखण्ड में राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान योजना का दूसरा चरण 1 अगस्त से अगले वर्ष 31 >>>

पशुओं की बीमारियाँ

नेजल सिस्टोसोमोसिस रोग- एक परिचय

नेजल सिसटोसोमोसिस या नेजल ग्रेनुलोमा या नकरा रोग, सिस्टोसोमा नेजेली नामक चपटा कृमि के कारण होता है। इस कृमि को खूनी फ्लूक भी कहा जाता हैं क्योंकि सिस्टोसोमा नेजेली कृमि प्रभावित पशुओं की नाक की शिरा में रहता है। इस रोग का प्रकोप गाय एवं बैल में, भैंस की अपेक्षा अधिक होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बकरी की बीमारी- पी.पी.आर. महामारी

भारत वर्ष में बकरी पालन खासकर गरीब तथा सीमान्त पशुपालकों के लिए जीविका के प्रमुख साधन है। इसे लोग ए.टी.एम. की तरह उपयोग करते हैं, अर्थात जब भी किसान बन्धु को पैसे की जरूरत पड़ती है उसे उसी समय बेचकर पैसे प्राप्त कर लेते हैं। किसानों को बकरी बेचने के लिए कोई बाजार की आवश्यकता नहीं होती है। >>>

पशुपालन समाचार
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पशु किसान क्रेडिट कार्ड- आत्मनिर्भता की ओर एक सार्थक कदम

हरियाणा राज्य पहला ऐसा राज्य है जिसने पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर वर्ष 2019 में पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड बनाने की पहल की है जिसके अंतर्गत पशुपालकों को बहुत ही कम ब्याज दर पर आवश्यकतानुसार बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा। इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों को आत्मनिर्भर एवं प्रगतिशील बनाना है जिससे उनकी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका भी और ज्यादा बढ़ेगी।पशु किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से राज्य में पशुपालन व्यवसाय में वृद्धि होगी और कृषि और पशु पालन व्यवसाय को विकसित देशों की तरह ही आधुनिक बनाया जाने की संभावना है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बाढ़ की विभीषिका के बाद पशुओं में होने वाले रोग एवं उनसे बचाव

बाढ़ की विभीषिका अब प्रति वर्ष बिहार के लिए पर्याय बन गई है जो प्रति वर्ष बिहार के किसी न किसी हिस्से को तबाह कर रही है। इस वर्ष भी बाढ़ गंगा एवं अन्य नदियों के तटवर्ती बिहार के सभी जिलों में भयावह रूप लेकर आई है। तटवर्ती जिलों की आधी से अधिक आबादी और पशु बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ के समय पशुओं को बचाने के प्रयास किए गए हैं परन्तु बाढ़ के उपरान्त पशुओं में अनेक बिमारियों के होने की संभावना बनी रहती है। >>>

पशुपालन समाचार
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उत्तराखंड में डेयरी सेक्टर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए डेयरी विकास विभाग ने केपीएमजी के साथ हाथ मिलाया

उत्तराखंड में डेयरी सेक्टर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए डेयरी विकास विभाग >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रिपीट ब्रीडिंग (बार बार गाभिन कराने पर भी गर्भ न रुकना)

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसने कृषि के साथ-साथ पशुपालन को एक संलग्न व्यवसाय के रूप में अपना रखा है। निरन्तर जनसंख्या बढने के कारण मानव जाति जंगलों को काटकर तथा कृषि योग्य भूमि मे घर बनाकर रहना शुुरु कर दिया है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में पीछा (शरीर) दिखाने की समस्या

मादा पशुओं में प्रजनन अंगों के योनि द्वार से बाहर आने से पशु एवं पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शाब्दिक भाषा में इस समस्या को योनिभ्रंश कहते हैं, जबकि आम बोल-चाल की भाषा में फूल दिखाना, पीछा दिखाना, शरीर दिखाना, गात दिखाना इत्यादि नामों से जाना जाता है। >>>

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चूहे के वजन से डेढ़ गुना ज्यादा वजन के ट्यूमर का सफल ऑपेरशन किया गया

बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पशु शल्य चिकित्सा विभाग में चूहे का ऑपेरशन किया गया। चूहे को जब इलाज के लिए लाया गया था तब इसके एबडोमिनल रीजन में छोटा सा ट्यूमर था, लेकिन बाद में इसका आकार बढ़ता गया। चूहे का एक्सरे किया गया जिसमें पाया गया  की चूहे के पेट का कोई आंतरिक अंग नहीं है, तत्पश्चात डॉक्टर रमेश तिवारी तथा डॉक्टर ज्ञानदेव सिंह के टीम ने चूहे का ऑपरेशन किया। >>>