रोमन्थी पशुओं में कृमिजनित बीमारियाँ
ज्यादातर जठरआंत परजीवी एक पशु से दूसरे पशु में गोबर में आने वाले अण्डों द्वारा फैलते हैं। बारिश के बाद ये अण्डे काफी ज्यादा बड़े एरिया में फैल जाते हैं तथा घास द्वारा अन्य पशुओं में फैलते हैं। >>>
ज्यादातर जठरआंत परजीवी एक पशु से दूसरे पशु में गोबर में आने वाले अण्डों द्वारा फैलते हैं। बारिश के बाद ये अण्डे काफी ज्यादा बड़े एरिया में फैल जाते हैं तथा घास द्वारा अन्य पशुओं में फैलते हैं। >>>
हमारे देश में कई प्रकार के कीट नाशक प्रयोग किये जाते है। रासायनिक प्रकृति के आधार पर जिनका वर्गीकरण निम्नलिखित है आरगैनीक्लोरीन समूह:- डी.डी.टी. , एल्ड्रीन , लीनडेन आदि आरगैनाफास्फेट >>>
यह पशु की त्वचा के ऊपर पाई जाने वाली सरल रसोलियाँ होती है। यह पशुओें के शरीर के ऊपर धीरे-धीरे बढ़ने लगती है तथा बाद में पकने लगती है। रोग का कारण यह रोग पैपोवायरस के कारण होता है। यह विषाणु पशुओं >>>
पशुओं में त्वचा की ऊपरी डरमिस, व एपिडर्मिस की परतों में सूजन का आ जाना चर्म रोग अर्थात डर्मेटाइटिस कहलाता है। यह किसी संक्रमण के कारण भी हो सकता है और उसके बिना भी हो सकता है। कारण जीवाणु जनित >>>
पशुओं में रहन सहन खानपान एवं रखरखाव में अचानक परिवर्तन या लापरवाही से उत्पन्न विकारों को प्राथमिक रोग या सामान्य रोगों की श्रेणी में रखा जाता है। पशुओं के पाचन संबंधी प्रमुख विकार निम्न है: अपच >>>
न्यूमोनिया फेफड़ों का शोध होता है जिसमें श्वास गति बढ़ जाती है, सांस लेने में कठिनाई होती है, पशु लम्बी सांस लेता है तथा खांसी आती है। इसका प्रकोप या ता धीरे-धीरे होकर कुछ ही खंडों को प्रभावित करता >>>
रासायनिक पदार्थों का मानकता के अनुरूप सही रूप में, प्रयोग नहीं करने पर मनुष्य और पशुओं, के शरीर में पहुंचकर घातक प्रभाव प्रकट करते हैं जिसके फलस्वरूप पशु की >>>
पशुओं में संक्रामक रोगों से बचाव हेतु निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए: प्रथक्करण- संक्रामक रोग का संदेह होते ही रोगी पशु को स्वस्थ्य पशु से अलग कर देना चाहिए। रोगी पशु को एक अलग जगह बाँध कर उसे स्वस्थ पशुओं के साथ ना ही बाँधना चाहिए और ना ही उनके साथ बाहर घूमने देना चाहिए। >>>
पशुओं की आँख के लेन्स में उजलापन या धुँघलापन आना मोतियाबिन्द कहलाता है। इस रोग से प्रभावित पशु के आँख से घुँघला दिखायी पड़ता है तथा धीरे-धीरे पशु अन्धा हो जाता है। रोग का कारण एवं प्रकार यह रोग >>>
पशुओं में होनें वाले लंगड़िया रोग को अलग-अलग क्षेत्रों में लगड़ी , सुजवा , जहरवाद आदि नामों से पुकारा जाता है। अंगरेजी में इसे ब्लैक क्वार्टर (BQ) कहते है। यह गाय और भैंसो की छूत की बीामारी है , जो >>>
पशु चिकित्सक वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय का एक अभिन्न और आवश्यक हिस्सा है,जो न केवल जानवरों के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित है बल्कि पशुजन्य रोगों की रोकथाम, उपचार, प्रबंधन और नियंत्रण जैसे विविध >>>
संक्रामक रोग सभी पशु और पक्षियों में फैलते हैं और इसका प्रभाव यह होता है की पशुपालक अपनी आर्थिक छति से उबर नहीं पाता है अतः बचाव ही मात्र एक समाधान है। कहा जाता है की बीमारी की रोकथाम उपचार से बेहतर है >>>
पशुओं के सामान्य रोग: इंपैक्शन ऑफ रूमेन, टिंपैनी अथवा अफारा, डायरिया/ दस्त, कब्ज, नाक से खून आना, पैंटिंग/हॉफना, ट्राउमेटिक पेरिकार्डाइटिस, पेट के कीड़े अर्थात पटेरे पडना, कीड़े युक्त घाव, सींग टूटना >>>
गाय-भैंसों में गर्भाशय ग्रीवा की सूजन, गर्भाशयशोथ (Cervicitis) के कारण होती है। इसके अतिरिक्त असामान्य प्रसव, गर्भपात, समय से पहले बच्चा देना, कठिन प्रसव या फिटोटोमी के समय, बच्चे की ज्यादा खींचतान >>>