डेरी पालन

हरियाणा का काला सोना : मुर्राह भैंस

मुर्राह नस्ल विश्व की सबसे अधिक दुग्धोत्पादन करने वाली भैंस है जिसको हरियाणा राज्य का गौरव कहा जाता है। उच्च विक्रय दाम होने के कारण मुर्राह भैंस को हरियाणा का काला सोना कहते हैं। दिल्ली के आसपास होने के कारण इसे दिल्ली नस्ल भी कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में क्षयरोग (ट्यूबरक्लोसिस) एवं जोहनीजरोग (पैराट्यूबरक्लोसिस) के कारण, लक्षण एवं बचाव

क्षय रोग अर्थात तपेदिक या टी0बी0/ ट्यूबरकुलोसिस दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। पशुओं में यह रोग माइकोबैक्टेरियम बोविस तथा मनुष्यों में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

लम्पी स्किन डिजीज (LSD)- गांठदार त्वचा रोग

लम्पी स्किन डिजीज Lumpy Skin Disease (LSD) या गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडी के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस के रूप में भी जाना जाता है। यह जानवरों के बीच सीधे संपर्क द्वारा, आर्थ्रोपोड वैक्टर (मक्खियों, मच्छरों, जूं) के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के कारण पशुपालन उद्योग को दूध की पैदावार में कमी, गायों और सांडों के बीच प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात, क्षतिग्रस्त त्वचा और खाल, वजन में कमी या वृद्धि और असामयिक मृत्यु होती है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गायों-भैंसों में योनि बाहर निकलने की समस्या एवं घरेलु उपचार

मादा गायों एवं भैंसों में योनि का शरीर से बाहर निकलना, पशुओं के लिये तो बहुत ही कष्टदायी होता है जबकि पशुपालकों को भी अपने पशु के इलाज के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इस समस्या को शरीर दिखाना, पीछा निकालना, फूल दिखाना, गात दिखाना इत्यादि कहा जाता है लेकिन शाब्दिक रूप से इस समस्या को योनि भ्रंश कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के सामान्य रोग एवं उनका प्राथमिक उपचार

बुखार- लक्षण: मुंह,नथुने,शरीर,कान  ठंडा साथ में नाक से गर्म हवा निकलती है। थूथन शुष्क होता है। अधिक ताप बढ़ जाने पर पशु हॉफने लगता है।  >>>

पशुओं की बीमारियाँ

असामान्य या कठिन प्रसव (डिस्टोकिया) के कारण एवं उसका उपचार

ब्याने के समय मां स्वयं बच्चे को बाहर नहीं निकाल पाए और बच्चा बीच में ही फंस जाए तो इसे कठिन प्रसव (Dystocia) कहते हैं। ब्याने की तीन अवस्थाएं होती हैं >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होने वाले दुग्ध ज्वर के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव

दुग्ध ज्वर एक चपापचई रोग है जो गाय भैंस में ब्याने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही होता है परंतु ब्याने के पूर्व या अधिकतम उत्पादन के समय भी हो सकता है। पशु के रक्त में और मांसपेशियों में कैल्शियम की भारी कमी इसका मुख्य कारण होता है। शरीर में रक्त का प्रवाह काफी कम व धीमा हो जाता है अंत में पशु काफी सुस्त होकर लगभग बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। >>>

पशुपालन

गर्मियों में पशुओं पर शीतलन प्रणाली का प्रभाव

पशु का शारीरिक तापमान, जब उनके सामान्य शारीरिक तापमान से अधिक हो जाता है, तब वे गर्मी अनुभव करते है। गर्मी में उत्पन्न तनाव के दौरान, पशुओं के लिये सामान्य दूध उत्पादन या प्रजनन क्षमता बनाये रखना मुश्किल होता है। गर्मी तनाव के समय पशु अपने शारीरिक समायोजन द्वारा शरीर का तापमान नियमित बनाये रखते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रक्तमूत्रमेह: पर्वतीय क्षेत्र के गौवंशीय पशुयों की एक गंभीर बीमारी

ये पशु एक असंक्रामक, किन्तु चिरकारी रोग जिसे ‘रक्तमूत्रमेह’ या ‘हिमेचूरिया’ कहते हैं, का शिकार हो रहे हैं। यह रोग 4-5 वर्ष से अधिक की आयु वाले वयस्क और वृद्ध >>>

पशुपालन

गाय/भैंस की खरीदारी में समझदारी

गाय एवं भैंस पालन वर्तमान परिदृश्य में रोजगार का अच्छा साधन है। दूध तथा दूध से बनने वाले सामानों की मांग कभी घटती नहीं है। हमेशा बाजार में इन सभी चीजों की मांग बनी रहती है। गो /भैंस पालन में रोजगार करने से पहले दुधारू गाय भैंस का चयन की जानकारी आवश्यक है। चयन करने के पहले इन बिंदुओं पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। >>>

डेरी पालन

डेरी पशुओं में आयु का अनुमान लगाना

गाय भैंस खरीदते समय पशुपालक को पशुओं में आयु का अनुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि गाय भैंस पालन का मुख्य उद्देश्य दूध उत्पादन से लाभ प्राप्त करना होता है। जैसे जैसे पशु की उम्र बढ़ती जाती है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओ में अफ़ारा रोग

पशुओ में अफ़ारा रोग एक अचानक होने वाला रोग है, जिसमें वायु के प्रकोप के कारण से पेट फूल जाता है। अफ़ारा होने पर पशु को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है और पेट का आकार बढ़ जाता है। >>>