दुधारु पशुओ के आहार मे एलोवेरा योजक का महत्व
एलोवेरा एक औषधीय पौधा है जिसे घ्रतकुमारी क्वारगंदल अथवा ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है एलोवेरा का उद्दगम स्थान उत्तरी अफ्रीका है एलोएवेरा वनस्पतिक एश्फोडिलेसी (लिलियेसी) कुल का पौधा है एलोवेरा >>>
एलोवेरा एक औषधीय पौधा है जिसे घ्रतकुमारी क्वारगंदल अथवा ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है एलोवेरा का उद्दगम स्थान उत्तरी अफ्रीका है एलोएवेरा वनस्पतिक एश्फोडिलेसी (लिलियेसी) कुल का पौधा है एलोवेरा >>>
मोरिंगा यानी “मोरिंगा ओलिफेरा” (Moringa oleifera) एक बहु उपयोगी पेड़ है, इसे हिन्दी में सहजन, सुजना, सेंजन और मुनगा, मराठी में शेवगा, तमिल में मुरुंगई, मलयालम में मुरिन्गन्गा, और तेलगु में मुनगावया, अंग्रेजी में ड्रमस्टिक और हॉर्स रेडिश ट्री आदि नामों से भी जाना जाता है। >>>
बरसात के मौसम के समय हरा चारा आवश्यकता से अधिक उपलब्ध रहता है। यदि इस चारे को साईलेज (चारे का अचार) Silage बनाकर संरक्षित कर लिया जाय तो, शुष्क मौसम तथा चारे की कमी और अभाव के दिनों में पशुओं को
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अगर आप दुग्ध उत्पादन हेतु भैंस पालन शुरू करने जा रहे हैं तो इन पांच महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें। इन बातों को ध्यान में रखकर ही आप बेहतर दूध उत्पादन कर सकते हैं जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा >>>