बकरियों को होने वाले मुख्य रोग, उनकी पहचान एवं उपचार कैसे करें

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बकरियों को होने वाले रोग, उनके लक्षण एवं उपचार बकरी जिसे गरीबों की गाय भी कहा जाता है किसानों के लिए आय बढ़ाने का अच्छा जरिया है। सामन्यतः बकरी पालन में बहुत कम खर्च आता है परन्तु यदि यदि बकरियों को रोग लग जाए तो वह आपके लिए मुसीबत का कारन हो सकता है। इसलिए किसान समाधान आज आपके लिए बकरियों को सामन्यतः लगने वाले रोग एवं उनकी पहचान आप किस तरह कर उसका उपचार किस तरह कर सकते हैं।

निमोनिया

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:- ठण्ड से कँपकपी, नाक से तरल पदार्थ का रिसाव, मूंह खोलकर साँस लेना एवं खांसी बुखार जैसी चीजें दिखाई दे तो समझ लें बकरी को निमोनिया रोग है।

बचाब एवं उपचार: शीत ऋतू अर्थात ठण्ड के मौसम में बकरियों को छत वाले बाड़े में रखें एंटीबायोटिक 3 से 5 मिली. 3-5 दिन तक खांसी के लिए केफलोन पाउडर 6-12 ग्राम प्रतिदिन 3 दिन तक।

अफ़ारा

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:- पेट का बयां हिस्सा फूल जाएँ व दवाने पर डोल की तरह बजे अथवा पेटदर्द, पेट पर पैर मारने लगे और साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो तब आफरा रोग हो सकता है।

और देखें :  बकरियों एवं भेड़ों की महामारी: पी.पी.आर.

बचाब एवं उपचार: चारा व पानी तुरन्त बंद कर दें, 1 चम्मच खाने का सोडा या टिम्पोल पाउडर 15-20 ग्राम। 1 चम्मच तारपीन का तेल व 150-200 मिली. मीठा तेल पिलायें।

ओरफ/ मुँहा

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:- खूब सारे छाले होठों व मूंह की श्लेष्मा पर या कभी कभी खुरों पर भी हो सकते हैं जिससे पशु लंगड़ा कर चलता है।

बचाब एवं उपचार: मूंह को दिन में दो बार लाल दवा/ फिनाइल/ डेटोल/ आदि के हलके घोल से धोएं खुरों तथा मूंह को पर लोरेक्सन या बितादीन लगायें।

मुंहपका-खुरपका

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:- मुंह व पैरों में छाले जो घाव में बदल जाते हैं, अत्यधिक लार निकलना एवं पशु का लंगडाकर चलना, बुखार आना एवं दूध की मात्रा में एकदम से गिरावट आ जाती है।

बचाब एवं उपचार: जिन बकरियों में यह लक्षण दिखाई दे उन्हें तुरंत अन्य बकरियों से अलग कर पैरों व मूंह के घावों को लाल दावा/ डेटोल के हल्के घोल से धोएं व बाद में लोरेक्सन/ चर्मिल लगायें। एंटीबायोटेक व बुखार का टीका (मेलोनेक्स/वेताल्जिन 5 मिली) लगवाएं। यह भी पढ़ें यदि आपके पशु ने कीटनाशक खा लिया है तो उसका उपचार इस तरह करें।

दस्त (छैर)

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:- थोड़े थोड़े अन्तराल से तरल रूप में मल का निकलना एवं बकरी में कमजोरी आना बचाब एवं उपचार नेबलोन पाउडर 15-20 ग्राम 3 दिन तक। यदि दस्त में खून भी आ रहा है तो वोक्तरिन गोली आधी सुबह एवं शाम नेबलोन पाउडर के साथ या पाबाडीन गोली दें।

और देखें :  जुलाई/ आषाढ़: माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

थनेला

लक्षण: यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे:-थानों में सूजन आ जाये या दूध में फटे दूध के थक्के या बुखार भी हो।

बचाब एवं उपचार: साफ-सफाई का ध्यान रखें एवं एंटीबायोटिक को थनों में इंजेक्शन के साथ डाल दें या पेंदेस्तरिन ट्यूब एक थन में एक पूरी डालें व 3 से 5 दिनों तक ऐसा करें।

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
और देखें :  ब्यात के दौरान बकरियों का रखरखाव

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