डेयरी उद्योग में सफलता पाने के लिए पशुपोषण में उत्तम संतुलित आहार बहुत ही जरुरी होता है। आहार में भी रेशे की गुणवत्ता का सहभाग खूब महत्वपूर्ण होता है । गाय को भरपेट तथा गुणवत्ता युक्त रेशेवाला आहार मिल रहा है या नहीं यह शंका हमे तब आती है जब हम नियमित रूप से पशु की मुलाकात लेते है और गायों के व्यवहार का बारीकी से निरीक्षण करते है, तब हमे पशु आहार व्यवस्थापन के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
जब हम गायों के व्यवहार को ध्यानपूर्वक देखते हुवे गणना करते है तो निम्नलिखित चित्र दिखता है:
- कितनी गाये चारे के नांद के पास खडी होकर आहार खा रही है।
- कितनी गाये चारे के नांद के पास खडी खडी जुगाली कर रही है।
- कितनी गाये बैठकर जुगाली कर रही है।
- कितनी गाये बैठी है, और आराम कर रही है।
साधरणतः ये देखने में आया है हर वक्त अगर भरपेट भोजन उपलब्ध हो तो 20% से 30 % गाये खाती ही रहती है। 80 % गाये जो नहीं खा रही है, वे या तो जुगाली कर रही होंगी या आराम से पडे पडे जुगाली कर रही होगी, जुगाली करने वाली गायों के मुंह से झाग (Foam) निकल रहा होगा। गायों के इस सामूहिक व्यवहार को अगर हम सांख्यकी की दृष्टी से देखते है तो यह मालूम पडता है की पशुआहार में उत्तम प्रकार के रेशे की मात्रा में कुछ तो गडबड है।
सूखे चारे में मुख्यतः रेशे कि मात्रा अधिक होती है और प्रोटीन बहुत अल्प मात्रा में होता है। ऐसे समय मे गोपालक को यह प्रश्न आता है की पशु आहार मे सूखे चारे की मात्रा कितनी होना चाहिये?
यहां हमे यह बात ध्यान मे रखना चाहिये की गाय का स्वास्थ्य एवं उत्पादकता बनाये एवं बढाने हेतु सुखे चारे की उचित मात्रा बहुत जरुरी है। गाय का बडा पेट याने रुमेन (Rumen) से आगे बढ़ने वाली खुराक की गती भी कम होती है।
सुखे चारे की गुणवत्ता जानने के लिए चारे मे उपलब्ध एसिड डिटर्जन्ट फायबर (Acid Detergent Fiber) और न्यूट्रल डिटर्जन्ट फायबर की मात्रा जानना जरुरी है। पशुपालक, पशु आहार का विश्लेषण करने वाली प्रयोग शाला में परीक्षण करवा सकते है। एसिड डिटर्जन्ट फायबर के परीक्षण से चारे में उपलब्ध सेल्यूलोज और लिग्निन के मात्रा की जानकारी मिलती है, सेल्यूलोज रेशे का पचनशील रूप है और लिग्निन अपचनशील रूप है। एसिड डिटर्जन्ट फायबर परीक्षण से यह मालुम पडता है की चारे में कितनी ऊर्जा उपलब्ध है।
जिस पशुआहार में लंबी पत्तियों की मात्रा अधिक होती है इसमें न्यूट्रल डिटर्जन्ट फायबर (NDF) कम से कम २५ % होना चाहिये, ऐसा नहीं होने पर रूमेण के अंदर का वातावरण गडबडा सकता है, जो की पशु के आरोग्य के लिए खतरा हो सकता है। अनुसंधानो द्वारा यह सिद्ध किया जा चूका है की गाय जब कुदरती चरगाहों में चरती है, तब वे अपनी पसंद एवं आवश्यकता के अनुसार चारा चुनने की एवं खाने की योग्यता रखती है। वे वही चारा खाना पसंद करती है जो उनके रुमेन की चयापचय क्रिया हेतु उचित होता है। चरते समय गाय अगर कुछ ऐसा खाले जिससे रुमेन का वातावरण अतिशय अम्लीय हो जाये तब गाय लंबी पत्तियों वाला चारा चुन चुन कर खाती है, जिसमे रेशे की मात्रा अधिक होती है। इस तरह से गाय अपने आहार को संतुलित कर लेती है।
गौशाला में रहने वाले पशुओ को जब आहार देते है तब पशुओ के पास शरीर की आवश्यकतानुसार खुराक चुनने की आजादी नहीं होती है। उन्हें वही खाना पड़ता है, जो उनका मालिक उन्हें दे रहा है। और तो और पशुआहार भी पिसा हुआ होता है, इस कारण से पशु उस आहार से ना तो अपने योग्य खुराक/ आहार चुन सकता है।
पशुआहार की बोरी पर पशुआहार के पोषक तत्वों के संदर्भ में सिर्फ कच्चा रेशा की मात्रा के बारे में लिखा होता, परंतु इस कच्चे रेशे में (ADF) और (NDF) की मात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं देते है। सर्वसाधारण नियमानुसार आहार में जब कच्चे रेशे की मात्रा अधिक होती है, जो यह दर्शाता की आहार में घासचारे की मात्रा भी आधी है। अगर पशुआहार की बोरी पर ऐसा लिखा हो की आहार में घासचारे की मात्रा कम है, परंतु कच्चे रेशे की मात्रा अधिक है तब यह समझना चाहिये की पशुआहार मे उपलब्ध रेशा रुमेन की चयापचय क्रियाओ के लिये अयोग्य / अपूर्ण है। अनेक शोधो से अब यह सिद्ध हो चूका है की गायों को अगर बना बनाया आहार देते है , जिसको घास चारा नहीं मिलता हो, तो वह संतुलित आहार नहीं कहलायेगा। इसलिये यह बहुत जरुरी है की पशुआहार बनाने वाली कंपनियो ने आहार मे कम से कम 26% कच्चा रेशा (Crude Fibre) मिलाना ही चाहिये।
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