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अक्टूबर/ कवार: माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
- मुंह पका खुर पका रोग का टीका अवश्य लगवाएं।
- बरसीम एवं रिजका के खेत की तैयारी एवं बुवाई करें।
- निम्न गुणवत्ता के अवर्णित पशुओं का बंध्याकरण कराएं।
- उत्पन्न संतति की समुचित देखभाल करें।
- पशुओं को स्वच्छ एवं ताजा जल पिलाएं।
- दुहान के पूर्व एवं पश्चात पशु के अयन व थनों, को 1:1000 पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से अवश्य साफ करें।
- सर्दी के मौसम में अधिकांश भैंस गर्मी में आती हैं अतः भैंस के गर्मी या मद में आने पर समय से कृत्रिम गर्भाधान कराएं।
- अंत: परजीवी नाशक औषधियों को हर बार पशु चिकित्सक की सलाह से बदल बदल कर उपयोग में लें।
- पशु आहार में हरे चारे की मात्रा नियंत्रित ही रखें व सूखे चारे की मात्रा बढा कर दे क्योंकि हरे चारे को अधिक मात्रा में खाने से पशुओं में हरे रंग के दस्त अथवा एसिडोसिस की समस्या हो सकती है।
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Author
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पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश, पूर्व सहायक आचार्य, मादा पशु रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग, दुवासु, मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत
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