दूध में विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है। दूध के घटकों में वसा सबसे अधिक मूल्यवान होती है। अधिकांशत दूध में से वसा को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से निकाल लिया जाता है तथा उसमें पानी वसा रहित दूध तथा अन्य पदार्थ मिले दिए जाते हैं जिससे दूध की मात्रा में वृद्धि हो जाए। मिलावट से दूध की गुणवत्ता घट जाती है। मिलावट का उद्देश्य अधिक आर्थिक लाभ कमाने के लिए होता है।
अन्य खाद्य पदार्थों की भांति दूध में अप मिश्रण पर नियंत्रण करने के लिए भारत सरकार ने कुछ अधिनियम बनाएं हैं जिसे खाद्य अपमिश्रण निवारक कानून कहते हैं। इसके अंतर्गत दूध तथा दूध के पदार्थों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वैधानिक मानक निर्धारित किए गए हैं।
दूध में प्रमुख अपमिश्रण तथा उनके जांच की विधियां निम्न प्रकार है:
1. दूध से क्रीम या बसा निकालना
यदि दूध से अधिक क्रीम या वसा निकाल ली गई है तो निम्नांकित तथ्य से ज्ञात किया जा सकता है:
- दूध में वसा की मात्रा कम हो जाती है।( परीक्षण के द्वारा)
- दूध में की लैकटो मीटर रीडिंग बढ़ जाती है।( दूध की लेक्टोमीटर रीडिंग ज्ञात करके)
- वसा रहित ठोस पदार्थ तथा वसा का अनुपात बढ़ जाता है।
2. दूध में सप्रेता दूध मिलाना
यदि दूध में वसा रहित दूध मिलाया गया है तू से निम्न प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं:
- दूध में वसा की मात्रा घट जाती है।
- दूध का घनत्व या लेक्टोमीटर रीडिंग बढ़ जाती है।
- दूध में वसा रहित ठोस पदार्थ( यस. एन. एफ.) की मात्रा बढ़ जाती है।
- दूध में यस .एन. एफ. और वसा का अनुपात बढ़ जाता है।
3. दूध में पानी की मिलावट
इस प्रकार की मिलावट सबसे अधिक होती है। पानी की मिलावट को निम्न प्रकार ज्ञात किया जा सकता है:
- दूध में वसा का प्रतिशत घट जाता है। (वसा परीक्षण द्वारा)
- दूध का घनत्व या लेक्टोमीटर रीडिंग घट जाती है।
- दूध में एसएनएफ की मात्रा घट जाती है।
- दूध का हिमांक बढ़ जाता है( दूध का हिमांक ज्ञात करके दूध में पानी की मिलावट को ज्ञात करने की यह सर्वोत्तम विधि है)
4. दूध में स्टारच की मिलावट
दूध में पानी मिलाने से आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है। इसकी पूर्ति के लिए दूध मैं स्टारच या अन्य दूसरे आटे मिलाए जाते हैं। इससे दूध भी गाढ़ा दिखाई देता है। इसका परीक्षण निम्न प्रकार है:-
- एक पर एक नदी में लगभग 3 मिलीलीटर दूध लेकर उबालते हैं। ठंडा होने पर इसमें एक से दो बूंद आयोडीन का घोल डालकर मिश्रित करते हैं। यदि दूध का रंग नीला हो जाए तो समझना चाहिए कि दूध में स्टार्च का अप मिश्रण है।
5. दूध में सुक्रोज का अपमिश्रण
पानी अप मिश्रित दूध का लेक्टोमीटर रीडिंग या आपेक्षिक घनत्व बढ़ाने के लिए सुक्रोज की मिलावट की जाती है। एक परखनली में लगभग 10 मिलीलीटर दूध लेकर 1 मिलीलीटर सांद्र हाइड्रोक्लोरिक एसिड तथा 0. 1 ग्राम रिसोरसर्नाल मिलाकर अच्छी तरह हिलाते हैं। इस परखनली को उबलते हुए पानी वाले वाटर बाथ मैं 5 मिनट के लिए रखते हैं। सुक्रोज की उपस्थिति में दूध का रंग लाल हो जाता है।
6. गाय के दूध में भैंस के दूध की मिलावट
जब गाय के दूध की मांग अधिक होती है तो उसमें पानी मिलाकर भैंस का दूध मिला दिया जाता है। इसके अतिरिक्त दूध की आपूर्ति पूरा करने के लिए भैंस के दूध में गाय का दूध मिश्रित कर दूध का आयतन बढ़ा दिया जाता है। इस तरह की मिलावट को ज्ञात करने की सर्वोत्तम विधि का नाम है – हनसा परीक्षण। इस परीक्षण में एक सिरम की आवश्यकता होती है जिसे हनसा परीक्षण सिरम कहते हैं। इस परीक्षण में जिस दूध का परीक्षण करना होता है उसमें 9 गुना पानी मिलाकर पतला कर लेते हैं।
इस पतले किए गए दूध की एक बूंद पीपट या ड्रॉपर से एक स्वच्छ कांच के स्लाइड के मध्य में रखते हैं। दूध के सी बूंद के ऊपर हनसा परीक्षण सीरम का एक बूंद रखते हैं। दोनों ही बूंदों को एक सच कांच की छड़ से मिश्रित करते हैं। यदि आधे मिनट के अंदर कांच की स्लाइड पर दूध के अवध क्षेत्र दिखाई देते हैं तो दूध में भैंस के दूध की मिलावट निश्चित है।
7. दूध में यूरिया की मिलावट
जल अपमिश्रित दूध का लेक्टोमीटर रीडिंग अर्थात घनत्व बढ़ाने के लिए प्रायः दूध में यूरिया की मिलावट की जाती है। अधिक मात्रा में यूरिया के द्वारा) दूध के अपमिश्रण से अत्यंत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। दूध में यूरिया की जांच निम्न प्रकार की जाती है:-
एक परखनली में 5 मिली दूध लेकर उसमें 0.2 मिली यूरिएज (2 मिलीग्राम प्रति मिली) का विलयन डालकर मिलाते हैं। तत्पश्चात उसमें 0.1 मिली ब्रोमोथाइमोल ब्लू का (0.5 प्रतिशत) डालकर मिश्रित करते हैं। यूरिया की उपस्थिति में 10 से 15 मिनट के बाद नीला रंग विकसित होता है। शुद्ध दूध में हल्का नीला रंग उत्पन्न होता है।
यदि दूध में सिंथेटिक दूध का मिश्रण किया गया है तब भी उपरोक्त परीक्षण से ज्ञात किया जा सकता है। सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, सोडा, रिफाइंड आयल आदि पदार्थ होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं।
यूरिया का अन्य परीक्षण
एक परखनली में 2 मिली दूध लेकर उसमें दो मिली पैराडाई मिथाइल एमिनोबेनजल्डीहाड (10% हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में 1.6% उपर्युक्त रसायन का इथाइल अल्कोहल में बिलयन) डालकर अच्छी प्रकार से मिश्रित करते हैं। यूरिया की उपस्थिति में गहरा पीला रंग उत्पन्न होता है जबकि शुद्ध दूध में हल्का पीला अथवा गुलाबी रंग विकसित होता है।
8. दूध में डिटर्जेंट का अपमिश्रण
एक परखनली में 5 मिली दूध तथा 0.1 मिली ब्रोमोक्रिसोल पर पिक( 0.5 प्रतिशत) का घोल डालकर अच्छी प्रकार विस्तृत करते हैं। दूध में डिटर्जेंट की उपस्थिति में बैंगनी रंग उत्पन्न होता है। शुद्ध दूध में अत्यंत हल्का बैंगनी रंग विकसित होता है।
9. दूध में वनस्पति तेल अथवा रिफाइंड तेल की मिलावट
सिंथेटिक दूध बनाने की प्रक्रिया में दूध से दुग्ध वसा पूर्णतया यह आंशिक रूप से निकालकर उसमें रिफाइंडिया वेजिटेबल आयल मिला दिया जाता है। इसको ज्ञात करने हेतु दूध के नमूने से वसा प्रथक कर उसकी जांच की जाती है तथा उसके भौतिक रासायनिक गुणों तथा आवर्तनाक, आयोडीन मान, आर एम मान, आदि के द्वारा ज्ञात कर लिया जाता है कि दूध में किस प्रकार के बसा अथवा तेल का अपमिश्रण किया गया है।
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