पशुओं में पुछकटवा रोग या डेगनाला रोग

4.8
(666)

दुधारू पशुओं में डेगनाला बीमारी की संभावना नवंबर से फरवरी के बीच अधिक रहती है।पशुओं में कुछ कटवा रोग या डेगनाला रोग मुख्यतः भैंस जाति के पशुओं में होता है। परंतु गोवंश के पशु भी इस संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। इस बीमारी में पशुओं के कान, पूछ एवं खुर सूखने लगते हैं और सडकर गिर जाते हैं। दुधारू पशुओं में एवं पूछ में सड़न हो जाती है। पशु चारा खाना बंद कर देता है एवं कुछ दिनों में कमजोर हो जाता है। कुछ वैज्ञानिकों का यह मत है कि यह बीमारी सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी की वजह से होती है। इस बीमारी का असल कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है परंतु डेगनाला एक फफूंद से होने वाली बीमारी है। पशुओं को फफूंद युक्त अथवा अधिक नमी युक्त पुवाल या भूसा खिलाने से यह रोग आमतौर पर पशुओं में होता है। फफूंद युक्त पुआल खाने से पशुओं में सेलेनियम विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है।

और देखें :  राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) का उद्देश्य, पशुपालकों की आमदनी दोगुना करना

लक्षण

  1. इस बीमारी में पशुओं के कान पूछ एवं खुर सूखने लगते हैं और अंत में सड़कर गिर जाते हैं।
  2. पशु आहार ग्रहण करना बंद कर देता है एवं दिनोंदिन कमजोर होते जाता है।

बचाव हेतु आवश्यक सुझाव

इस बीमारी से बचाव ही सबसे उत्तम रहता है। पशुपालक बंधु कुछ मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दें।

  1. पशुओं को फफूंदी लगा हुआ चारा दाना एवं भूसा नहीं खिलाए।
  2. लंबे समय से रखा हुआ पुआल ना खिलाए बल्कि पुवाल को हमेशा पानी से धोकर खिलाएं।
  3. डेयरी फार्म को हमेशा साफ रखें और पशुओं को स्वच्छ स्थान पर रखें।
  4. पशुओं को नियमित रूप से 50 से 100 ग्राम खनिज लवण मिक्सचर प्रतिदिन दें।
  5. गौशालाओं में नियमित रूप से फिनायल एवं चूने के पानी का छिड़काव करें।

और देखें :  केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खुरपका और मुंहपका (FMD) तथा ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने की नई पहल को मंजूरी दी

उपचार

  1. शरीर के संक्रमित भाग को नीम के पत्तों को उबालकर उसी पानी से घाव को साफ करें। इसके पश्चात एंटीसेप्टिक मल्हम लगाएं एवं अधिक समय तक क्रियाशील रहने वाले प्रतिजैविक औषधि जैसे ऑक्सीटेटरासाइक्लिन एल ए अथवा बेंजाथीन पेनिसिलिन एवं अमाक्सीसिलिन का प्रयोग करें।

डेगनाला रोग के लक्षण प्रकट होने पर तत्काल ही नजदीक के पशु चिकित्सालय अथवा पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

और देखें :  कवक जनित थनैला के कारण एवं निवारण

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.8 ⭐ (666 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*