समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु जीपीजी विधि का प्रयोग पशु चिकित्सा अधिकारी या तो स्वयं करें अथवा अपनी निगरानी में करवाएं। इस विधि का प्रयोग पशु के गर्मी पर आने के पश्चात 7 से 11 दिन के बीच प्रारंभ करें। हालांकि 9 वा दिन सर्वश्रेष्ठ रहता है। इस पद्धति में पशुओं को लेने से पूर्व उन्हें कृमिनाशक औषधि अवश्य खिलाएं तथा 10 दिनों तक एग्रीमिन फोर्ट आई की एक गोली प्रतिदिन देनी चाहिए।
प्रोटोकॉल
- पहले दिन जीएनआरएच अर्थात रिसेप्टल 5ml अर्थात 20 माइक्रोग्राम मांस पेशी में।
- आठवें दिन क्लोप्रोस्टेनोल सोडियम अर्थात साइक्लिकस 500 माइक्रोग्राम अर्थात 2ml ग्लूटेल मांस पेशी में।
- दसवें दिन रिसेप्टल 2.5 एम एल अर्थात 10 माइक्रोग्राम मांसपेशी में शाम के समय लगाएं।
- 11 वे दिन 12 घंटे के अंतराल पर दो बार कृतिम गर्भाधान करें।
सावधानियां
- इस विधि को प्रयोग में लाने से गाय एवं भैंसों में हार्मोन लगाने की पश्चात प्रथम मद चक्र में 40 से 45% प्रतिशत एवं द्वितीय मदचक्र में लगभग 50 से 60 % तक गर्व धारण हो जाता है।
- इस विधि को 10, 20, 30 और इससे अधिक पशुओं पर एक साथ प्रयोग करके पशुपालकों को अभियान के रूप में लाभ पहुंचाया जा सकता है।
- पशुपालकों को पहले प्रेरित करें तथा 800 से ₹1000 खर्च करने हेतु तैयार करें।
- हार्मोन के इंजेक्शन ऐसे मेडिकल स्टोर से खरीदें जहां पर इंजेक्शन फ्रिज में रखे जाते हैं तथा स्टोर से खरीद कर अपने फ्रिज में रखें।
- ओवम सिंक्रोनाइजेशन के प्रोटोकॉल को कृत्रिम गर्भाधान की पंजिका में दर्ज करें।
- इस विधि से पशुओं को गर्वित कराने का सबसे अधिक लाभ यह है कि पशुओं को किसी भी समय गर्वित कराया जा सकता है तथा गर्मी की जांच की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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