वन हेल्थ पायलट प्रोजेक्ट का सुभारम्भ

4.9
(449)

भारत सरकार के पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग अंतर्गत “वन हेल्थ सुपोर्ट यूनिट” द्वारा उत्तराखंड राज्यान्तर्गत “वन हेल्थ कार्यक्रम” की पायलट योजना प्रारम्भ की जा रही है। इस पायलट योजना से प्राप्त अनुभवों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर वन हेल्थ कार्यक्रम लागू किये जाने हेतु कार्य योजना प्रारम्भ की जानी है। श्री अतुल चतुर्वेदी सचिव पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा आज देहरादून उत्तराखंड राज्यान्तर्गत “वन हेल्थ कार्यक्रम” की पायलट योजना का सुभारम्भ किया गया।

इस क्रम में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में, विभिन्न सम्बंधित मंत्रालयों की समन्यवय समिति का गठन किया गया है तथा सचिव पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग, भारत सरकार की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट स्टीयरिंग समिति का गठन किया गया है। प्रोजेक्ट स्टीयरिंग समिति में पशुपालन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, सिविल सोसाइटी, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा फ़ील्ड प्रैक्टिशनर को सम्मिलित किये जाने का प्राविधान किया गया है।

प्रोजेक्ट स्टीयरिंग समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप 6 क्षेत्रों में पायलट योजना चलाया जाना प्रस्तावित है। पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत, सम्बंधित क्षेत्रों के मध्य बेहतर समन्वय बनाते हुए इस कार्यक्रम को संस्थागत रूप से क्रियान्वयन किया जाना है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य स्तरीय एवं जनपद स्तरीय वन हेल्थ समितियों में पशुपालन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारियों को सम्मिलित किये जाने का प्राविधान किया गया है।

इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुख्य गतिविधियों में, महामारी की दशा में सूचनाओं के एकत्रीकरण हेतु संस्थागत तंत्र की स्थापना करते हुए रोगों की प्रबलता, प्रबंधन तथा योजनाबद्ध सर्विलांस का कार्य, प्रयोगशालाओं के बीच समावेशी तंत्र की स्थापना तथा सभी क्षेत्रों के मध्य बेहतर संवाद स्थापित करते हुए सूचनाओं को नेशनल डिजिटल लाइवस्टॉक मिशन (NDLM) के ढाँचे से जोड़ना है।

और देखें :  वैश्विक स्वास्थ्य के लिए ‘एक स्वास्थ्य’ की ओर भारत के बढ़ते आवश्यक कदम

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा अवगत कराया गया कि, राज्यों में विभिन्न विभागों को साथ मिलकर वन हेल्थ के लिए काम करना होगा। सभी विभागों के बीच फॉर्मल कम्युनिकेशन कायम हो इसी उद्देश्य से वन हेल्थ प्लैटफॉर्म की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि वाइल्ड लाइफ, ह्यूमन हेल्थ और एनिमल हेल्थ एक दुसरे से जुड़े हुए हैं। अगर इनमे से एक भी बीमार होंगे तो देश की इकोनॉमी पर असर होगा। श्री अतुल चतुर्वेदी द्वारा अवगत कराया गया कि विभाग द्वारा “वन हेल्थ इंडिया” प्रोग्राम को विशेष रूप से इस उदेश्य से प्रारम्भ किया जा रहा है ताकि पशुधन स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य, वन्य जीव स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, तकनीक एवं वित्तीय क्षेत्रों के मध्य परस्पर सहयोग करते हुए संगठित प्रयास किये जा सकें। उत्तराखंड राज्यान्तर्गत “वन हेल्थ कार्यक्रम” की पायलट योजना प्रारम्भ किये जाने से राष्ट्रीय स्तर पर जनस्वास्थ्य के साथ साथ पृथ्वी का स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हुए पूरे भारत हेतु “वन हेल्थ कार्यक्रम” के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने हेतु सहयोग मिलेगा। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी हितधारकों द्वारा बेहतर समन्वयन एवं सहयोग की अपेक्षा की।

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. प्रवीण मलिक, आयुक्त, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने वन हेल्थ पायलट प्रोग्राम के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान पशुजन्य रोगों के रोकथाम के लिए प्रिवेंट-डिटेक्ट-रिस्पॉन्ड मैकेनिज़्म की बात की। डॉ. मलिक नें उत्तराखंड राज्यान्तर्गत “वन हेल्थ कार्यक्रम” की पायलट योजना की उपयोगिता एवं उससे होने वाले लाभ के सम्बन्ध में विस्तार से अवगत कराया।

और देखें :  पशु, जीव-जंतु का मनुष्य के बराबर अधिकार: उपमुख्यमंत्री बिहार

डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, पशुपालन, उत्तराखंड ने विस्तार से साझा किया गया कि कैसे संबंधित विभाग उत्तराखंड में “वन हेल्थ कार्यक्रम” पायलट योजना को लागू करने के लिए निकट समन्वय में काम करेंगे। डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखण्ड ने कहा कि वन हेल्थ में मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों, वन सम्पदा और पर्यावरण के स्वास्थ्य शामिल है। श्री रंजन कुमार मिश्रा, अपर प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखण्ड ने कहा कि हमें इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। उत्तराखंड के फारेस्ट रिजर्व एरिया में भी इसके तहत काम किया जा सकता है।

कार्यक्रम में श्री अकलेश वादवानी, निदेशक, गरीबी उन्मूलन, बिल एंड मेलिंडा गेट फाउंडेशन इंडिया ने कहा मानव स्वास्थ्य,पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए, एक स्वास्थ्य पायलट कार्यक्रम स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है।

डॉ. प्रेम कुमार, निदेशक पशुपालन विभाग, उत्तराखंड ने एवं विभाग द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा अंत में उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगो का आभार व्यक्त किया एवं विश्वास दिलाया कि पायलट कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी विभागों के साथ समन्वय में काम करेंगे। डॉ. प्रेम कुमार ने कहा उत्तराखंड में मोबाईल वेटनरी वेन योजना शीघ्र प्रारम्भ की जा रही है, ताकि पशु स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके। लगातार अधिक से अधिक पशुधन की टैगिंग की जा रही है। यह हमें वन हेल्थ के उद्देश्य को पूरा करने में मदद करेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर वन हेल्थ हेतु ढांचा स्थापित कर लिए जाने के उपरान्त रोगों हेतु प्रभावी सूचना तंत्र एवं बेहतर समन्वय, संसाधनों का उचित सदुपयोग, आपातकालीन परिस्थितियों हेतु बेहतर तैयारी, पशुजन्य रोगों तथा आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण रोगों का बेहतर नियंत्रण तथा जन सामान्य को पशुजन्य तथा आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण रोगों के बारे में बेहतर रूप से जागरूक किया जा सकेगा। 

और देखें :  भविष्य में महामारियों से बचने का एकमात्र तरीका “वन हेल्थ”- सचिव, एएचडी

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.9 ⭐ (449 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*