बिहार की समृद्धि का आधार कृषि-व्यवस्था है- राज्यपाल

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19 नवम्बर 2018: महामहिम राज्यपाल, बिहार श्री लाल जी टंडन ने  स्थानीय BIT कैम्पस सभागार में आयोजित “Biennial Conference of Animal Nutrition Association-ANACON-2018″ का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘‘ बिहार की समृद्धि का आधार कृषि-व्यवस्था है” राज्य में कृषि का विकास तभी संभव होगा, जब कृषि के सभी अनुषंगी क्षेत्रों (Allied Sectors) का भी समुचित विकास हो। कृषि के विकास का अर्थ है पशु-संसाधन का पर्याप्त विकास हो, दुग्ध-उत्पादन बढ़े, मत्स्य-पालन की आधारभूत संरचना विकसित की जाये, कुक्कुट-पालन, अंडा उत्पादन, साग-सब्जी एवं फलों  के उत्पादन को भी पर्याप्त बढ़ावा मिले।’’

राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा कि कृषि में जैसे हम ‘जैविक खेती’ की ओर तेजी से उन्मुख्त हो रहे हैं, उसी तरह देशी नस्ल की गायों को पालने वाले किसानों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। श्री टंडन ने कहा कि विदेशी नस्ल की गायों की स्वास्थ्य-रक्षा तथा पालन पर काफी खर्च करना पड़ता है। ठीक इसके विपरीत देशी नस्ल की गायों को पालने काफी कम राशि व्यय होती है तथा ये भारतीय जलवायु और  प्रकृति के अनुकूल भी है। ये कम लागत वाली होने के साथ-साथ भारत में काफी उपयोगी और स्वास्थ्यप्रद भी है। राज्यपाल ने कहा कि ‘जीरो बजट’ पर आधारित कृषि-विकास की तरह अल्प व्यय पर उपयोगी पशु-धन का विकास भी अत्यन्त आवश्यक  है।

राज्यपाल ने कहा कि विश्व में बहुतेरे देश ऐसे हैं, जिनकी अर्थ व्यवस्था भारत की ही तरह कृषि पर अवलंबित है। ब्राजील एक ऐसा देश है जहाँ की अर्थव्यवस्था में गो-पालन का काफी योगदान है। भारत में और विशेषकर बिहार राज्य में जहाँ की भूमि उपजाऊ है, किसान परिश्रमी हैं और प्राकृतिक संसाधनो की प्रचुरता है, अतः यहाँ पर समेकित कृषि का विकास अवश्यंभावी  है। उन्होंने कहा कि अगर कृषि प्रक्षेत्र में आधारभूत संरचना (Infrastructure) को समुचित रूप से विकसित कर दिया जाये तथा सूचना प्रोधिगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में ज्ञान-संपदा के आदान-प्रदान की व्यवस्था सुदृढ़ कर दिया जाये, तो निश्चय ही बिहार में कृषि आर्थिक समृद्धि का एक प्रमुख कारक बन जायेगी। राज्यपाल ने बताया कि कृषि-विकास के प्रति सजगता एवं अभिरूचि पैदा करने के उद्देश्य से राजभवन परिसर में अगले साल फरवरी-मार्च महीने में फल-फूल एवं सब्जियों की ‘कृषि प्रदर्शनी’ आयोजित कराने का निर्णय लिया गया है। श्री टंडन ने आशा व्यक्त की कि इसमें ग्रामीण कृषकों एवं सभी कृषि विश्वविद्यालयों की पूरी सहभागिता प्राप्त हो सकेगी तथा राजभवन की इस पहल से किसान भाई उत्साहित और प्रेरित भी होंगे।

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श्री टंडन ने कहा कि बिहार में समेकित कृषि-विकास के लिए काफी सार्थक प्रयास किये गये हैं। 2017 से ‘तृतीय कृषि रोड मैप’ लागू किया गया है। ‘तृतीय कृषि रोड मैप’ के माध्यम से पशु एवं मत्स्य संसाधन के विकास के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुद्रढ़  किया जा रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि पशु विज्ञान के क्षेत्र में नित नयी खोजें हो रही हैं  बिहार राज्य में पशुओं भ्रूण-प्रत्यारोपण विधि विस्तार (Embryo Transfer) जैसे नये तकनीक के उपयोग से पशुपालन के क्षेत्र में गायों के नस्ल-सुधार के प्रयास किये जा रहें है। ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत बिहार के बक्सर के डुमराँव में देश का अठारहवाँ एवं राज्य का पहला ‘गोकुल ग्राम’ बनेगा। इस योजना के तहत संगठित एवं वैज्ञानिक ढंग से स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहायता मिलेगी। फलतः बिहार में पशुपालन के विकास में तेजी आयेगी। श्री टंडन ने कहा कि नस्ल-सुधार के साथ-साथ, संतुलित आहार एक महत्वपूर्ण अवयव है। किसी भी पशुधन में अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए संतुलित आहार का एक विशेष महत्व है। हरा चारा, दुग्ध-उत्पादन एवं पौष्टिक गुणवत्ता बढ़ाने व जनसंख्या वृद्धि के कारण हरे चारे की काफी कमी हो गयी है। उन्होंने कहा कि किसानों ममें जागरूकता फैलाकर एवं veज्ञानिक विधियों को अपनाकर चारा की इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए। पशुओं के उचित आहार पर विशेष ध्यान देना बहुत आवश्यक है। आहार के साथ-साथ पशुओं के उचित रख-रखाव, प्रजनन-प्रबंधन, रोग-नियंत्रण, पशु उत्पादों के संवर्द्धन एवं विपणन पर भी जोर दिये जाने की जरूरत है।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री पशुपति कुमार ‘पारस’ ने कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण पशु-चिकित्सालयों की स्थापना, नये चिकित्सकों की नियुक्ति, ‘र्नइ पशु-प्रजनन नीति’ आदि के कार्यान्वयन आदि विशेष पहल हो रही है। कार्यक्रम में एनिमल न्यूट्रीशन एशोसियेशन के अध्यक्ष डॉ अशोक वर्मा, पशुपालन निदेशक श्री वी एस गुंजियाल, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह आदि ने भी संबोधित किया। राज्यपाल ने पशु चिकित्सा से जुड़े कई विशेषज्ञों को सम्मेलन के उद्घाटन-सत्र में सम्मानित भी किया एवं ‘स्मारिका’ का भी विमोचन किया। इस अवसर पर आयोजन सचिव श्री डॉ चन्द्रमणि, श्री के प्रधान आदि भी उपस्थित थे।

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