9 जनवरी 2019: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी ने आज एलिजा (एंजाइम लिंग्ड इम्यून सौरबेन्ट एसै) किट्स जारी की। एक ग्लैंडर्स रोग के लिए और दूसरी घोड़ों के संक्रामक खून की कमी रोग के लिए। ये दोनों रोग भारत में अधिसूचनीय रोग हैं और देश में इनके नियंत्रण एवं उन्मूलन के लिए विशेष नैदानिकी की आवश्यकता है।
ग्लैंडर्स रोग, घोड़ों, गधों एवं खच्चरों सहित अश्वों का एक घातक संक्रामक एवं अधिसूचनीय रोग है। यह रोग एक जीवाणु से उत्पन्न होता है जिसे बर्खोल्डेरिया मैलाई कहा जाता है। इस जीवाणु को एक सक्षम जैविक-हथियार माना जाता है और इसे ‘टीयर 1 सलेक्ट एजेंट’ की श्रेणी में रखा गया है। आठ वर्षों से अधिक के सतत अनुसंधान के पश्चात, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीई) ने एचसीपी1 एलिजा एंटीजन विकसित किया है। यह सीटीएफ (कॉमप्लीमेंट-फिक्सेशन टैस्ट) का विकल्प है। एलिजा कीट को भारत तथा ओआईई प्रयोगशाला, जर्मनी ने वैधानिकता प्रदान की है। डीएडीएफ से मंजूरी के बाद इस प्रौद्योगिकी को आठ राज्यों में स्थित प्रयोगशालाओं को हस्तांतरित किया गया है। इस प्रौद्योगिकी के व्यावसायिकरण के पश्चात इसे प्रयोग के लिए तैयार कीट के रूप में विकसित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस एलिजा किट के व्यावसायिक उपयोग की असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि प्रोटीन आधारित एलिजा किसी अन्य देश में उपलब्ध नहीं है।
ग्लैंडर्स रोग को नियंत्रित करने और भारत में इसे समाप्त करने में यह प्रौद्योगिकी मील का पत्थर सिद्ध होगी।
इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने प्रौद्योगिकी बुलेटिन, एनआरसीई की प्रोफाइल एवं एनआरसीई के अनुसंधान परिणाम भी जारी किया।
ये प्रौद्योगिकियां एव एनआरसीई प्रकाशन कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा राज, डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक भाकृअनुप, डॉ. जे.के.जेना, उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), डॉ. अशोक कुमार, सहायक महानिदेशक (पशु स्वास्थ्य), डॉ. एस. होन्नप्पागोल, पशुपालन आयुक्त और डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, निदेशक, एनआरसीई, हिसार की गरिमामयी उपस्थिति में जारी किए गए।
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