पशुओं को यूरिया खिलाने का महत्व एवं सावधानियाँ

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पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार के आर्दश भोजन है। किन्तु हरे चारे का वर्ष भर उपलब्ध न होना पशु आहार की अधिक कीमत पशुपालक के लिए एक बड़ी समस्या है। पशुपालन व्यवसाय में होने वाले कुल व्यय का लगभग 70 प्रतिशत पोषण पर खर्च होता है तथा पोषण पर आने वाले खर्च में सर्वाधिक पशुओं को प्रोटीन की आवश्यकता को पूर्ण करने में लगता है। पशुओं के लिए प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत हरे चारे, चूनी, चोकर एवं खलियां है। ऐसे समय में जब हरे चारों की उपलब्धता कम करती है और पशुुओं को केवल भूसे, पुआल आदि पर जीवन निर्वाह करना पडता है। पशुुपालकों को सूखे चारे के साथ काफी मात्रा में खलियां आदि खिलानी पड़ती है, जिससे पशुुओं की प्रोटीन सम्बन्धी आवश्यकता पूर्ण हो सके। इन खलियों में उपस्थित प्रोटीन की कुछ भाग तो पशु शरीर को सीधे प्राप्त हो जाता है तथा तथा शेष भाग का पशु रूमन में सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा विघटन होता है और उपस्थित नाइट्रोजन से अमोनिया गैस बनती है तथा प्रोटीन की प्राप्ती होती है, परन्तु इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में पशु को खिलायी गयी प्रोटीन की मात्रा का हास होता है । एक किलोग्राम यूरिया में 7-9 किलोग्राम खली के बराबर नत्रजन होती है, जब पशु को यूरिया खिलायी जाती है तो रूमन में यह अमोनिया गैस में बदल जाती है और सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा प्रोटीन में परिवर्तन हो जाती है। पशु शरीर की प्रोटीन के विघटन से होने वाले इसके नत्रजन हास को भी कम किया जा सकता है।

यूरिया खिलाने की विधियां
पशुओं को यूरिया खिलाने की विभित्र विधियां वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गयी है जिनमें से कुछ निम्र है:

यूरिया दाने के साथ
इस विधि में पशुओं का दाना बनाते समय ही 100 किलोग्राम दानें में एक किलो यूरिया मिला दी जाती है। ऐसे पशुपालक जो दाने को भिगोकर भूसे चारे में मिलाकर खिलाते है। यूरिया की मात्रा को दाने का अधिकतम 2 प्रतिशत तक कर सकते है।

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यूरिया तथा गुड़ का घोल बनाकर
इस विधि में 150 ग्राम यूरिया तथा 250 गा्रम यूरिया तथा 250 ग्राम गुड़ का अलग-अलग एक – एक लीटर पानी में घोल बनाकर 10 किलोग्राम सूखे चारे में अच्छी तरह मिलाकर पशुओं का खिलाया जाता है।

छिड़काव विधि
इस विधि में 1.5 किलोग्राम यूरिया, आधा कि०ग्रा० साधारण नमक, आधा किलो खनिज लवण मिश्रण तथा 20 ग्राम बिटाविलैन्ड का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर एक क्किटल भूसे पर छिड़काव करके सुखा लिया जाता है तथा इस विधि से तैयार भूसे को खिलाया जा सकता है या फिर प्लास्टिक के कन्टेनर में भरकर सील करके 2-3 सप्ताह तक रखा जा सकता हैै। रखने से भूसे का किण्वन होकर यह और अधिक रोचक हो जाता है। इस विधि से तैयार भूसे 2-3 सप्ताह में इस्तेमाल कर लेना चाहिए।

यूरिया द्वारा भूसा उपचारित करना
इस विधि में 4 कि० ग्रा० यूरिया को 65 लीटर पानी में घोलकर कर एक क्किटंल भूसे पर छिडका जात है पुनः एक क्किटंल भूसा इसी के ऊपर डालकर फिर 65 लीटर पानी में 4.0 कि० ग्रा० यूरिया के घोल का छिड़काव किया जाता है और दबाया जाता है। इस प्रकार तह के ऊपर तह लगाते रहते है जब वांछित मात्रा से भूसा उपचारित हो जाए तो अन्तिक तह पर सूखा भूसा डालकर यूरिया का घोल नहीं छिडकते तथा इस पूरे ढेर को तिरपाल या पोलीथीन आदि से अच्छी से अच्छी तरह ढककर हवा रहित कर दिया जाता है। 21 दिन बाद एक किनारे इसे खोलकर जितना भूसा एक समय में खिलाना है निकालकर फैला दिया जाता है। जिससे उसमें उपस्थित गैस की दुर्गन्ध समाप्त हो जाए। इस विधि से उपचारित भूसे को पशुु बहुत चाव से खाते है तथा इसकी पाचकता और क्रुड प्रोटीन का प्रतिशत भी बढ जाता है।

यूरिया शीरा तरल मिश्रण
इस विधि में दो कि०ग्रा० यूरिया को 2 लीटर पानी में घोलकर कि० ग्रा० शीरा में मिला दिया जाता है तथा इसमें 2 कि० ग्रा० खनिज लवण मिश्रण एक मिश्रण, एक मिश्रण 1 कि० ग्रा० प्रति 100 किलोग्राम शरीर भाग के अनुसार पशुओ को खिलाया जाता है या फिर हरे चारे व भूसे के अतिरिक्त जितना पशु खाना चाहे व भूसे के अतिरिक्त जितना पशु खाना चाहे दिया जा सकता है।

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युरिया – शीरा खनिज लवण की ईटें
यह ईटें बनाने के लिए वंछित का 40 प्रतिशत शीरा, 12 प्रतिशत यूरिया, 5 प्रतिशत नमक का मिश्रण बनाकर प्लास्टिक शीट पर डाला जाता है तथा इसमें 6 प्रतिशत खनिज लवण, 4 प्रतिशत कैल्सियम आक्साइड, 15 प्रतिशत बनाकर धीर-धीरे मिलाया बिनौले की खली तथा 8 प्रतिशत खनिज लवण, 4 प्रतिशत कैल्सियम आक्साइड, 15 प्रतिशत बनाकर धीर-धीरे मिलाया जाता है। फिर इसे लकडी, गत्ते या धातु के सांचो में चारों ओर अन्दर से पोलीथीन लगाकर भर दिया जाता है। 24 घण्टे में यह ईंटे जमकर कड़ी हो जाती हैं। इन ईंटों को पशुओं के पास रख दिया जात है। पशुु इसे चाटते रहते है।

यूरिया खिलाने के दौरान सावधनियां

  • यूरिया खिलाना प्रारम्भ करते समय विषेषज्ञ की सलाह एवं देखरेख अनिवार्य है।
  • बतायी गयी मात्रा से अधिक या मनमानी विधि से यूरिया न खिलाए।
  • पशुओं को यूरया या उपचारित भूसे की मात्रा देना प्रारम्भ न करें।
  • छः माह से कम आयु के बछडे-बछडियों को यूरिया प्रारम्भ न करें।
  • बीमार पशुओं को यूरिया नहीं खिलानी चाहिए।
  • यूरिया का घोल पहले से बनाकर नहीं रखना चाहिए इसे सदैव प्रयोग के समय ही बनाए क्योकि यदि यह किसी पशु ने पी लिया तो नुकसान हो सकता है।
  • यूरिया को सदैव पशुओं की पहुंचे से दूर रखना चाहिए।
  • यदि पशुु ने यूरिया या इसका घोल पी लिया हो तो तुरन्त सिरका या नीबू का रस पिलांए। इसके अतिरिक्त गुड़, दला हुआ गेहूँ, जो मक्का आदि देना भी लाभकारी रहता है।

यूरिया खिलाने में पशुपालक को अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए यदि पशु कभी ज्यादा यूरिया का ले तो आप उसे तुरन्त सिरका पिलाये। सौ ग्राम यूरिया की कीमत करीब एक रूपये है जबकि डेढ़ किलो खल की कीमत 40-50 रूपये होती है। यूरिया पशुपालक पाँच महीने से बडे बच्चों को चारे पर छिड़क कर खिला सकते है। गाय भैंस-को सौ ग्राम तक यूरिया धीरे-धीरे चाारे पर छिडक कर खिलाया जा सकता है या दाने में मिलाकर दिया जा सकता है।

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उपरोक्त वर्णित विधियों में से पशुपालक अपनी सुविधानुसार कोई विधि चुनकर नजदीकी विशेषज्ञ की देखरेख में अपनी पशुओं को यूरिया खिलाकर पशु पालन व्यवसाय से अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।

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4 Comments

  1. HellO sir me cattle feed ka small unit start krna chahta hu
    Formula 40kg makkka 30kg khal 25kg chapad 1kg namak 2kg lsp
    Ab me isme urea ka powder bnake dalne ki jrurat he ya nhi email pe.reply jrur kre

  2. After feeding urea treated straw, can we give water to the animals or we have to wait for few time, and my next question is, urea treated feed has any kind of side-effect in the animal body. Please kindly clear it to me.

  3. maximum 4% tak upar likhe hue tarrekon se de sakte hain.. tatha is article me likhi hui baato ko dhyan me rakhkar khilaayenge to koi nuksaan nahi hoga

  4. Bahut acchi jaankari.. kya Urea khilane se koi nuksaan to nahi hota pashuon ko?

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