सरस्वती- विश्‍व रिकॉर्ड बनाने वाली मुर्रा भैंस 51 लाख रुपये में बिकी

4.5
(35)

हरियाणा में हिसार के गांव लतानी के रहने वाले सुखवीर ढांडा की सबसे ज्यादा दूध देने वाले रिकॉर्डधारी मुर्रा नस्ल की भैंस “सरस्वती” ने एक और विश्‍व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है, वो 51 लाख रुपये में बिकी, जो कि अब तक की जानकारी के मुताबिक़ एक भैंस के लिए सबसे अधिक दर्ज कीमत है। भैंस को पंजाब के किसान पवित्र सिंह ने खरीदा है।

मुर्रा नस्ल की भैंस “सरस्वती” उस समय सुर्ख़ियों में आ गयी थी जब सरस्वती ने पाकिस्तान को पछाड़ कर विश्‍व रिकॉर्ड अपने नाम किया था। दिसंबर माह में पंजाब में लुधियाना के जगराँव में आयोजित “अंतरराष्ट्रीय पीडीएफए डेयरी एक्सपो-2019” में हुए भैंस के दूध की दुहाई मुकाबले में पहुंची सरस्वती ने 32.066 किलो दूध देकर विश्‍व रिकार्ड बनाया था। इससे पहले पाकिस्तान के फैसलाबाद के चौधरी हजउम्रनाजी की भैंस के नाम 32.050 किलो दूध का विश्‍व रिकार्ड था।

सुखवीर ढांडा ने बताया कि उनकी भैंस सरस्वती ने इससे कुछ दिन पहले भी हरियाणा की मुर्रा एसोसिएशन में 33.131 किलो दूध का रिकॉर्ड बनाया था लेकिन उसको अधिक लोगो ने नोटिस नहीं किया। उन्होंने बताया कि इसकी देखभाल उनका पूरा परिवार पारिवारिक सदस्यों की तरह करते थे। दिन में सरस्वती को चारे में दस किलोग्राम फीड, जिसमें बिनौला, खल, चने का छिलका, मक्की, सोयाबीन, नमक, आधा किलोग्राम गुड़, 300 ग्राम सरसों का तेल, तीन किलोग्राम तुड़ी व हरा चारा खिलाते थे। इसके अलावा कैल्शियम तथा कुछ टॉनिक भी देते थे। उन्होंने बताया कि अच्छा दूध उत्पादन के लिए खान पान का विशेष ख्याल तो रखना ही पड़ता है। वे सरस्वती को गर्मी व सर्दी से बचाने के लिए भी पूरी सावधानी रखते थे।

और देखें :  पशुओं को पेट के कीड़े की दवा देना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

प्रोग्रेसिव पशुपालक सुखवीर ने बताया कि सरस्वती के बछड़े/बछड़ी की कीमत उनके पेट में रहते ही लग चुकी थी। अभी जो इसकी बछड़ी है उसको पेट में रहते ही तमिलनाडु के किसान अरुण ने 4.50 लाख में खरीद लिया था, जो अब लॉकडाउन  खुलते ही उनके पास पंहुचा दी जायेगी। सुखबीर ने बताया कि सरस्वती का बछड़ा जो “नवाब” के नाम से मशहूर भैंसा था उसे भी उन्होंने अच्छी कीमत पर बेचा है, बेचने से पहले नवाब के सीमेन की काफ़ी डिमांड थी जिसकी एक डोज की कीमत 600 रूपए थी और उन्होंने नवाब का लगभग 18 से 20 लाख रुपये का सीमेन पीडीएफ़ए जगरांव में बेचा है।

और देखें :  पशुओं में बांझपन के कारण एवं निवारण

किसान सुखबीर ने बताया कि इससे पहले भी उनकी भैंसे कई प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं। उनके घर के एक कमरे में अवॉर्ड और सर्टिफिकेट उनकी कामयाबी के गवाह हैं। वे अपनी भैंसों के बलबूते पर लाखों के इनाम भी जीत चुके हैं।

आज सुखबीर ढांडा न केवल भारत में बल्कि पुरे विश्‍व में मशहूर हैं और देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, उन्होंने युवाओं को ये सन्देश दिया है कि अगर पशुपालन का कार्य लगन और वैज्ञानिक विधि से किया जाय तो स्वरोजगार के रूप में आय का अच्छा स्रोत हो सकता है, और वे इसको अपना कैरियर बना सकते हैं। अगर अच्छे नस्ल की भैंस का उचित पालन-पोषण किया जाय तो न केवल उसके दूध से बल्कि उस भैंस के बछड़े/बछड़ी से भी आय प्राप्त की जा सकती है।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.5 ⭐ (35 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

और देखें :  नेजल सिस्टोसोमोसिस रोग- एक परिचय

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*