कैबिनेट ने पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड के गठन को मंजूरी दी

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विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए हाल में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के अनुकूल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (AHIDF) की स्थापना के लिए अपनी मंज़ूरी दे दी है।

डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए डेयरी सहकारी समितियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती रही है। हालांकि, सरकार यह महसूस करती है कि प्रसंस्करण और बेहतरीन बुनियादी ढांचे के विकास क्षेत्र में एमएसएमई और निजी कंपनियों को भी बढ़ावा देने और इसमें उनकी सहभागिता को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) निजी क्षेत्र में डेयरी एवं मीट प्रसंस्करण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतरीन बुनियादी ढांचे के विकास और पशु आहार संयंत्र की स्थापना में निवेश के अति आवश्यक प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए उचित सुविधा उपलब्ध कराएगा। एएचआईडीएफ योजना के तहत योग्य लाभार्थी किसान उत्पादक संगठन (FPOs), एमएसएमई, सेक्शन 8 कंपनियां, निजी कंपनियां और निजी उद्यमी होंगे जिन्हें 10 प्रतिशत की मार्जिन राशि का योगदान करना होगा। शेष 90 प्रतिशत की राशि अनुसूचित बैंक द्वारा कर्ज के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।

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सरकार योग्य लाभार्थी को ब्याज पर 3 प्रतिशत की आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी। योग्य लाभार्थियों को मूल कर्ज के लिए दो वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा और कर्ज की पुनर्भुगतान अवधि 6 साल होगी।

भारत सरकार 750 करोड़ रुपये के क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना भी करेगी जिसका प्रबंधन नाबार्ड करेगा। क्रेडिट गारंटी उन स्वीकृत परियोजनाओं के लिए दी जाएगी जो एमएसएमई के तहत परिभाषित होंगी। कर्जदार की क्रेडिट सुविधा की 25 प्रतिशत तक गारंटी कवरेज दी जाएगी।

निजी क्षेत्र के जरिए निवेश से संभावनाओं के कई रास्ते खुलेंगे। एएचआईडीएफ के 15,000 करोड़ रुपये और निजी निवेशकों के लिए ब्याज में आर्थिक सहायता की योजना से इन परियोजनाओं के लिए जरूरी निवेश को पूरा करने में पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और इससे निवेशकों को अपना रिटर्न बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। योग्य लाभार्थियों द्वारा प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश से इन प्रसंस्कृत और मूल्य वर्धित सामानों का निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

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भारत में डेयरी उत्पादों के अंतिम मूल्य की लगभग 50-60 प्रतिशत राशि किसानों के पास ही आती है। इसका मतलब इस क्षेत्र में वृद्धि का किसानों की आय पर अहम और सीधा असर पड़ सकता है। डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों को होने वाली आय का इसमें निजी व सहकारी क्षेत्र के विकास से सीधा और नजदीकी संबंध है। इसलिए, एएचआईडीएफ में निवेश प्रोत्साहन से न सिर्फ सात गुना निजी निवेश का लाभ होगा बल्कि यह किसानों को भी इसमें निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहित करेगा ताकि उनका उत्पादन बढ़ सके जिससे उनकी कमाई में भी बढ़ोतरी होगी। आज एएचआईडीएफ के रूप में कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग 35 लाख लोगों को आजीविका का साधन मिल सकेगा।

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