पशुपालन विभाग के शासन सचिव डॉ. राजेश शर्मा ने शुक्रवार को यहां राजस्थान राज्य वेटरनरी काउन्सिल के सभागार में राज्य के सभी सेवारत व सेवानिवृत्त पशु चिकित्सकों के लिए सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी जारी की। इस अवसर पर शासन सचिव डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि पशु चिकित्सक संघ व डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी के प्रयास से पशु चिकित्सा परिवार को बहुत संबल मिलेगा।
पशु चिकित्सक संघ, राजस्थान के अध्यक्ष डॉ. रजनीश गुप्ता ने बताया कि विगत कई सालों से यह देखा जा रहा है कि राज्य के पशु चिकित्सक चिकित्सा कार्य के दौरान कृत्रिम गर्भाधान, बधियाकरण एवं आक्रामक पशु को नियंतिर््त करते हुए दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही विभागीय कार्य के निर्वहन के लिए यात्र के दौरान, पशुपालक को द्वार पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाते समय एवं गौशाला, वन अभयारण्य में निरीक्षण एवं चिकित्सा के समय दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका रहती है। पिछले कुछ समय में पशु चिकित्सक अपने कई साथियों को दुर्घटना में खो चुके हैं। इन असामयिक मुत्यु से सम्पूर्ण पशु चिकित्सक परिवार स्तब्ध व भविष्य के प्रति आशंकित है। इस प्रकार की स्थिति में परिवार के जीवनयापन तथा बच्चों की शिक्षा सहित भविष्य की सभी जिम्मेदारी के निर्वहन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर पशु चिकित्सक संघ, राजस्थान और वेटेनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी, जयपुर की ओर से राज्य के सभी सेवारत व सेवानिवृत्त चिकित्सकों के लिए सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी लिए जाने का निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर दी ओरियन्टल इंश्योरेंस कंपनी के मुख्य क्षेत्रीय मैनेजर श्री डी.एन. सकरवाल को 113 पशु चिकित्सकों के लिए 50 लाख रुपए के सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी का 2 लाख 9 हजार 389 रुपए तथा 271 पशु चिकित्सकों के लिए 1 करोड़ रुपए के सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी का 10 लाख 4 हजार 326 रुपए के बैंक चौक सौंपे। कंपनी के मुख्य क्षेतर््ीय मैनेजर ने सामूहिक दुर्घटना बीमा पॉलिसी जारी कर पशु चिकित्सक संघ, राजस्थान एवं वेटेनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी के पदाधिकारियों को सपुर्द किये।
वेटेनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी के सचिव डॉ. तपेश माथुर ने बताया कि सोसाइटी डॉक्टर्स के वेलफेयर के लिए आने वाले कुछ दिनों में विभिन्न कार्यक्रम क्रियान्वित करने का प्रयास कर रही है जिसमें सतत वर्चुअल शिक्षण व जूनोटिक रोगों की जाँच आदि प्रमुख है।
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