यह तथ्य सर्वविदित है कि पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार एक आदर्श भोजन है किंतु हरे चारे का वर्ष भर उपलब्ध होना तथा पशु आहार की अधिक कीमत पशुपालकके लिए एक समस्या है। सामान्यता धान की पराली प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहती है लेकिन इसमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं, प्रोटीन की मात्रा, लगभग 3% तक होती है। पराली का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता बढ़ती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित पराली की कुट्टी में लगभग 8-9% हो जाती है, एवं 15 से 20% पाचन क्रिया बढ़ जाती है। पशु को सुचारू रूप से उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिए जाने वाले पशु आहार में 30% तक की कमी की जा सकती है। परंतु पराली में ऑक्सलेट नामक रसायन होने के कारण यह पशुओं में कैल्शियम की कमी करता है जिसकी पूर्ति हेतु प्रति पशु 50 ग्राम खड़िया प्रतिदिन देने से पशु के कैल्शियम की पूर्ति हो जाती है,और पशु को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है।यदि प्रत्येक बड़े पशु को 50 ग्राम एवं छोटे पशु को 25 ग्राम खनिज लवण प्रतिदिन दिया जाए तो यह एक उत्तम पोष्टिक आहार बन सकता है।
यूरिया से उपचार की विधि
एक बार में कम से कम , 1 क्विंटल(100किलो) पराली का उपचार करना चाहिए। एक कुंटल पराली के लिए 3किलो यूरिया और 45 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
- 300ग्राम यूरिया को 5 लीटर पानी में घोले।
- 10 किलो कुट्टी की हुई पराली को जमीन में इस तरह फैलाएं की परत की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे।
- ऊपर तैयार किए गए 5 लीटर पानी और तीन सौ ग्राम यूरिया के घोल को इस फैलाई गई कुट्टी की हुई पराली पर हजारे से छिड़के फिर पराली को अच्छी तरह चल-चल कर या कूद-कूद कर दबाएं।
- इस दबाए गई पराली की कुट्टी के ऊपर 10 किलो पराली पुनः फैलाएं और पुनः 300 ग्राम यूरिया को 5 लीटर पानी में घोलकर घोल का हजारे से , पराली के ऊपर छिड़काव करें और पहले की तरह इस परत को भी चल-चल कर या कूद- कूद कर दबाएं।
- इस तरह एक के ऊपर 10- 10 किलो की 10 परते डालते जाएं घोल का छिड़काव करते जाएं और दबाते जाएं।
- उपचारित पराली की कुट्टी को अब प्लास्टिक शीट से ढक दें, और उससे जमीन में छूने वाले किनारों पर मिट्टी डाल दें। जिससे बाद में बनने वाली गैस बाहर न निकल सके।
- प्लास्टिक सीट न मिलने की स्थिति में ढेर के ऊपर थोड़ा सूखा भूसा डालें या उस पर थोड़ी सूखी मिट्टी या पराली/ पुआल डालकर चिकनी गीली मिट्टी या गोबर से लीप भी सकते हैं।
विशेष ध्यान रखने योग्य तथ्य
- यूरिया को कभी पशु को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए यह पशु के लिए जहर हो सकता है।
- पराली की कुट्टी के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को पशुओं से बचा कर रखें।
- उपचार करने के लिए पक्का फर्श अधिक उपयुक्त रहता है। यदि फर्श कच्चा ही हो तो जमीन में भी एक प्लास्टिक शीट बिछाई जा सकती है।
- यह उपचार किसी बंद कमरे में या आंगन के कोने में अधिक सुविधाजनक रहता है।
- फसल की कटाई के समय यदि किसान खेत में या घर में चट्टा /बिटोरा या कूप बनाकर पराली रखते हो तो चट्टा बनाने के समय ही पराली को उपरोक्त विधि से उपचारित कर सकते हैं ,इससे श्रम की बचत भी होगी।
- उपचार किए गए भूसे के ढेर को गर्मी में 21 दिन व सर्दी में 28 दिन बाद ही खोलें।
- खिलाने से पहले पराली की कुट्टी को लगभग 10 मिनट तक खुली हवा में फैला दें। जिससे उसकी गैस उड़ जाए।
- शुरुआत में पशु को उपचारित पराली थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें। धीरे-धीरे आदत पड़ने पर पशु उपचारित पराली को चाव से खाने लगता है।
इस प्रकार पराली के उपयोग से पशुपालक/ किसान को अपने खेतों में पराली नहीं जलानी पड़ेगी बल्कि उसका बेहतर उपयोग उसके पशु आहार के रूप में मिल जाएगा। जैसा कि आप सभी जानते हैं पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है क्योंकि इससे वायु प्रदूषण होता है। शासन द्वारा पराली जलाने वाले किसान के ऊपर एफ आई आर एवं अर्थदंड देने का प्रावधान है। इस प्रकार यूरिया एवं खड़िया उपचारित पराली की कुट्टी को पशुओं को खिलाने से उपरोक्त समस्याओं से किसान को छुटकारा मिल जाएगा एवं पर्यावरण भी प्रदूषण से बच जाएगा।
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