पशुओं को ईयर टैग लगवा कर पहचान बनाएं और सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ उठाएं

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पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा डॉ संजय कुमार मिश्र ने अनाथ गौशाला अकबरपुर में पशुपालकों की गोष्टी को संबोधित करते हुए बताया कि पशुओं की पहचान के लिए आधार कार्ड की तरह कार्य करने वाली ईयर टैग व टैगिंग का कार्य पूर्णत: नि:शुल्क है। इसके आधार पर पशु व पशुपालक की सूचना का अभिलेखीकरण इनाफ सॉफ्टवेयर में किया जाएगा। इस योजना से पशुपालकों को कई लाभ है:

  1. पशुओं को लगाए जाने वाले 12 अंकों के यूनिक कोड युक्त करण छल्ला अर्थात ईयर टैग से पशु व पशु मालिक की पहचान की जा सकेगी।
  2. करण छल्ला के आधार पर खो गए अथवा चोरी हुए पशुओं के असली मालिक का पता लगाना आसान हो जाएगा।
  3. पशु की नस्ल, वंशावली एवं उत्पादन क्षमता का पूर्ण विवरण ऑनलाइन दर्ज किया जावेगा जिससे पशुओं के क्रय विक्रय में पशुपालकों को समुचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
  4. भविष्य में पशुओं की ऑनलाइन बिक्री और खरीद प्रक्रिया में भी पशुओं की टैगिंग, इनाफ पंजीकरण अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगा।
  5. पशुधन बीमा हेतु अनुदान प्राप्त करने के लिए ईयर टैगिंग अनिवार्य और लाभदायक है ।
  6. पशुओं के टीकाकरण, कृमिनाशक दवापान, कृत्रिम गर्भाधान, गर्भधारण-गर्भ परीक्षण ,व्यॉत, एवं दुग्ध उत्पादन आदि से संबंधित समस्त सूचनाओं का संग्रहण किया जाना संभव होगा।
  7. इनाफ पंजीकृत पशुओं की समस्त सूचनाएं केंद्रीय डेटाबेस पर डिजिटलाइज की जाएंगी, जोकि पशुपालक अथवा अन्य स्टेकहोल्डर्स को एक ही क्लिक पर उपलब्ध हो सकेंगी।
  8. इनाफ पंजीकृत पशुओं को विभागीय योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर देय होगा।
  9. पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान कार्य की चरणबद्ध प्रगति, ऑनलाइन अपडेट करने, नस्ल सुधार को नियंत्रित करने तथा कई बीमारियों के उन्मूलन में सहायक होने के साथ टैगिंग पशुओं की वंशावली का रिकॉर्ड रखने में भी सहायक होगी।
  10. केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत खुर पका मुंह पका एवं ब्रूसेला( संक्रामक गर्भपात) टीकाकरण कार्यक्रम का लाभ केवल ईयर टैग लगे पशुओं को ही देय है।

पशुपालकों से अनुरोध

  • ईयर टैगिंग एवं इनाफ रजिस्ट्रेशन हेतु पशु चिकित्सा कर्मियों को आवश्यक सहयोग प्रदान करते हुए पशु एवं पशुपालक के संबंध में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएं।
  • ईयर टैगिंग के दौरान पशुओं को बांधने एवं नियंत्रित करने में पशु चिकित्सा कर्मियों को अपेक्षित सहयोग प्रदान करें।
  • टैग लगाने के उपरांत 2 से 4 दिनों तक टैग लगे कान का गंदगी से बचाव करें। एवं उस स्थान पर सरसों का तेल और हल्दी मिलाकर लगाएं।
  • कान में सूजन या घाव होने की स्थिति में घाव को एंटीसेप्टिक से साफ किया जाए तथा आवश्यकतानुसार संबंधित पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क कर उपचार प्राप्त किया जाए।
  • यदि पशुओं को पूर्व में 12 डिजिट युक्त टैग लगा है तो दोबारा टैग न लगवाया जाए।

योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निकटवर्ती पशु चिकित्सा संस्था/ संबंधित मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

स्वस्थ पशु, लाभप्रद पशुपालन, समृद्ध पशुपालक

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