देशी घी के रंग को प्रभावित करने वाले कारक

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खाद्य पदार्थों की पसंद को प्रभावित करने वाले कारकों में से उनके रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। दूध के संवेदी गुण जैसे कि दिखावट, बनावट, रंग, स्वाद और सुगंध आदि उत्पाद की गुणवत्ता और उपभोक्ता स्वीकृति के साथ उनके निकट संबंध के कारण भी महत्वपूर्ण हैं। दुग्ध वसा के रंग की प्राथमिकताएं विश्वभर में भिन्न हैं। आमतौर पर डेयरी उत्पादों के पीले रंग को उपभोक्ताओं द्वारा अधिक हरे रंग की छवि के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिसका संबंध पशुओं के चारे के साथ जुड़ा हुआ है। मक्खन और कई चीजों का पीला रंग दुग्ध वसा में मौजूद कैरोटीनॉयड तत्व से प्रभावित होता है।

कैरोटीनॉयड, शरीर में कई प्रकार के कार्य करता है। यह शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है जो श्लेष्मा उत्तकों के निर्माण में सहायक होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट, प्रतिरक्षा में वृद्धि, कोशिका संचार, त्वचा को पैराबैंगनी किरणों से बचाव एवं त्वचा में दाग-धब्बे बनने से रोकने में सहायक होता है। चारे में ल्सूटिन, एपिल्यूटिन, एथेरैक्सैंथिन, जेक्सैंथिन, नियोक्सैंथिन, वायलेक्सैंथिन, जैंथेफिल, आल-ट्रांस बीटा-कैरोटीन, 13-सीस बीटा कैरोटीन, अल्फा कैरोटीन और बीटा क्रिप्टाजैंथिन कैरोटीनॉयड्ज पाये जाते हैं (Calderón et al. 2007)। इन कैरोटीनॉयड्ज में से गाय में दूध में मुख्य रूप से आल-ट्रांस बीटा-कैरोटीन और कुछ हद तक ल्यूटिन, जेक्सैंथिन एवं बीटा क्रिप्टाजैंथिन पाये जाते हैं (Nozière et al. 2006)। निम्नलिखित कारक दुग्ध वसा के रंग को प्रभावित करते हैं:

  1. पशु प्रजाति: गायों की तुलना में बकरियों और भेड़ों के दूध में केवल रेटिनॉल और जैंथोफिल्ज होते हैं और आमतौर पर बीटा-कैरोटीनॉयड्ज नहीं होते हैं। प्रजातियों के बीच यह अंतर, आंशिक रूप से कैरोटीनॉइड के रूपांतरण की उच्च रूपांतरण दक्षता से संबंधित है, खासकर गाय/भैंस की तुलना में बकरियों एवं भेड़ों में बीटा कैरोटीन से रेटिनाल में रूपांतरण दक्षता अधिक पायी होती है। भेड़-बकरियों के सीरम, जीगर और सबक्यूटेनियस उत्तकों में बीटा-कैरोटीनॉयड और ल्यूटिन की सांद्रता कम जबकि रेटिनाल की सांद्रता अधिक होती है (Yang et al. 1992)। भैंस के दूध में कैरोटीन नहीं होता है (Abd El-Salam & El-Shibiny 2011) जिस कारण उनके घी का रंग पीला होता है।
  2. नस्ल: पशु प्रजाति विशेष में नस्ल के प्रकार से भी दूध का रंग प्रभावित होता है। ग्वेर्नसे और जर्सी के दूध का रंग पीला होता है (Nozière et al. 2006)। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन दोनों नस्लों की गायें अन्य नस्लों की तुलना में बहुत कम कैरोटीन (पीले रंग के पिगमेंट) को विटामिन ए में बदलती हैं।
  3. दुग्धावस्था: दूध की तुलना में बीटा-कैरोटीन और रेटिनॉल की सांद्रता बहुत अधिक होती है जो प्रसव के बाद पहले सप्ताह से ही कम होनी शुरू हो जाती है (Johnston & Chew 1984)।
  4. ब्यांत संख्या: शोधों के अनुसार, ब्यांत संख्या का दुग्ध वसा पर कोई असर नहीं होता है (Nozière et al. 2006)।
  5. दुग्ध उत्पादन क्षमता: दुग्ध कैरोटीनॉयड्ज की सांद्रता अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं की तुलना में कम दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं में अधिक होती है (Nozière et al. 2006)।
  6. पशु विशेष परिवर्तनशीलता और आनुवांशिकता: एक ही नस्ल के पशुओं में दुग्ध कैरोटीनॉयड्ज की सांद्रता में भिन्नता पायी जाती है जो सांड और मादा की आनुवंशिकता पर निर्भर करती है। एक ही नस्ल के पशुओं में एक जैसी दुग्ध उत्पादन क्षमता होने की परिस्थिति में कुछ पशुओं में कैरोटीनॉयड्ज की सांद्रता अधिक तो कुछ में कम होती है (Nozière et al. 2006)।
  7. संक्रमण: दूध में मौजूद बीटा-कैरोटीन की सांद्रता का संबंध दुग्ध ग्रंथि संक्रमण से भी है। थनैला रोग से पीड़ित पशुओं के दूध में बीटा-कैरोटीन की सांद्रता कम होती है (Nozière et al. 2006)।
  8. मौसम: दूध में मौजूद वसा का रंग वर्ष के समय के साथ अलग-अलग अवधि के साथ बदलता रहता है। किसी भी हरे में शुष्क मौसम की तुलना में आर्द्र मौसम में ल्यूटिन और बीटा-कैरोटीन की 2-3 गुणा अधिक मात्रा होती है (Reynoso et al. 2004)। रंग की तीव्रता अप्रैल से अक्तुबर तक अधिक जबकि नवबंर से मार्च के माह में कम रहती है (Walker et al. 2013)। अर्थात शर्द ऋतु की तुलना में ग्रीष्म ऋतु में दुग्ध वसा आमतौर पर कैरोटेनॉइड और रेटिनॉल अधिक होती है (Hartman & Dryden 1965)।
  9. चारे की प्रकृति: दूध में बीटा-कैरोटीन की सांद्रता आहार में बीटा-कैरोटीन की सांद्रता पर अत्याधिक निर्भर करती है। चारे में कैरोटीनॉयड्ज मात्रा कटाई के समय बढ़वार की चरणावस्था पर भी निर्भर करती है। चारा कटाई के बाद उस पर सूर्य की पैराबैंगनी किरणें पड़ने, सूखने और सरंक्षण करने करने से चारे में कैरोटीनॉयड्ज की मात्रा में कमी पायी जाती है (Nozière et al. 2006)।
  10. दुग्ध प्रसंस्करण तकनीक: उच्च दबाव एवं तापमान पर दूध प्रोसेसिंग करने से भी दूध के उत्पादों के रंग पर प्रभाव पड़ता है जो दबाव की गहनता और समय दोनों पर निर्भर करता है (Devi et al. 2015)।
और देखें :  पशु आहार में हरे चारे की भूमिका

गायों के दूध में कैरोटीन तत्व होता है जिसके कारण दूध और दूध से बने पदार्थों अर्थात देशी घी का रंग पीला होता है। कैरोटीन और विटामिन ए दोनों ही, शरीर की विभिन्न प्रकार की प्रकियाओं में सहयोगी होते हैं। भारत में गाय के दूध के सेवन को पेय पदार्थ के रूप में अधिक मान्यता दी जाती है जिसका पशुपालकों को अच्छा दाम भी मिलता है। इसी कारण भैंस और बकरी के दूध का अच्छा दाम प्राप्त करने के लिए गाय का दूध मिला दिया जाता है। लेकिन, यहां इस तथ्य पर विचार करने की आवश्यकता है कि जिन पशुओं के दूध या दुग्ध उत्पादों का रंग पीला नहीं है तो उनके शरीर में ही कैरोटीन विटामिन ए में परिवर्तित होता है। अतः दूध और वसा के रंग में रंग भेद न कर, इसका सद्दुपयोग करते रहना चाहिए।

और देखें :  पशुओं में बाह्य परजीवी रोगों का उपचार एवं रोकथाम

संदर्भ

  1. Abd El-Salam, M.H. and El-Shibiny, S., 2011. A comprehensive review on the composition and properties of buffalo milk. Dairy science & technology, 91(6), p.663. [Web Reference]
  2. Calderón, F., Chauveau-Duriot, B., Pradel, P., Martin, B., Graulet, B., Doreau, M. and Nozière, P., 2007. Variations in carotenoids, vitamins A and E, and color in cow’s plasma and milk following a shift from hay diet to diets containing increasing levels of carotenoids and vitamin E. Journal of Dairy Science, 90(12), pp.5651-5664. [Web Reference]
  3. Devi, A.F., Buckow, R., Singh, T., Hemar, Y. and Kasapis, S., 2015. Colour change and proteolysis of skim milk during high pressure thermal–processing. Journal of food engineering, 147, pp.102-110. [Web Reference]
  4. Hartman, A.M. and Dryden, L.P., 1965. Vitamins in milk and milk products. Vitamins in milk and milk products. [Web Reference]
  5. Johnston, L.A. and Chew, B.P., 1984. Peripartum changes of plasma and milk vitamin A and β-carotene among dairy cows with or without mastitis. Journal of Dairy Science, 67(8), pp.1832-1840. [Web Reference]
  6. Nozière, P., Graulet, B., Lucas, A., Martin, B., Grolier, P. and Doreau, M., 2006. Carotenoids for ruminants: From forages to dairy products. Animal Feed Science and Technology, 131(3-4), pp.418-450. [Web Reference]
  7. Reynoso, C.R., Mora, O., Nieves, V., Shimada, A. and De Mejıa, E.G., 2004. β-Carotene and lutein in forage and bovine adipose tissue in two tropical regions of Mexico. Animal feed science and technology, 113(1-4), pp.183-190. [Web Reference]
  8. Walker, G.P., Wijesundera, C., Dunshea, F.R. and Doyle, P.T., 2013. Seasonal and stage of lactation effects on milk fat composition in northern Victoria. Animal production science, 53(6), pp.560-572. [Web Reference]
  9. Yang, A., Larsen, T.W. and Tume, R.K., 1992. Carotenoid and retinol concentrations in serum, adipose tissue and liver and carotenoid transport in sheep, goats and cattle. Australian journal of agricultural research, 43(8), pp.1809-1817. [Web Reference]
और देखें :  अधिक उत्पादन हेतु गौशाला प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके

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