आजकल कई देश के कई राज्यों में मृत कौओं में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) की पुष्टि हुई है। बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत के बाद से ही लोगों में डर बढ़ गया है और इसका असर सीधे देश में पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ने वाला है। जहां कोरोना वायरस की झूठी अफवाहों के चलते पिछले साल भर से नुकसान झेल रही पोल्ट्री उद्योग जैसे तैसे थोड़ी बहुत पटरी पर आ रही थी, वहीं अब ये इंड्रस्ट्री एक बार फिर नुकसान झेलने के मुहाने पर खड़ी है।
आखिर क्या है बर्ड फ्लू?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार H5N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जो एवियन इन्फ्लूएंजा (या “बर्ड फ्लू”) नामक पक्षियों में एक अत्यधिक संक्रामक, गंभीर श्वसन रोग का कारण बनता है। हालांकि H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के मानवीय मामले कभी-कभी होते हैं, लेकिन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण मुश्किल होता है। जब कोई व्यक्ति एवियन इन्फ्लूएंजा से संक्रमित हो जाता हैं, तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है।
एवियन इन्फ्लूएंजा (एआई) वायरस सदियों से दुनिया भर में मौजूद हैं और पिछली शताब्दी के दौरान चार प्रमुख प्रकोप दर्ज किए गए। भारत ने सबसे पहले 2006 में एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप को दर्ज किया था। भारत में मनुष्यों में इसके संक्रमण के मामले अब तक सामने नहीं आए हैं लेकिन यह जूनोटिक बीमारी है। फिलहाल इस बात के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं कि दूषित पोल्ट्री उत्पादों को खाने से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण फैल गया।
#DidYouKnow: #AvianInfluenza, caused by influenza type A viruses, has not been observed to transmit from infected birds to humans in India!#AvianFlu #BirdFlu #AvianFluFacts pic.twitter.com/ecciHUkCF1
— Dept of Animal Husbandry & Dairying, Min of FAH&D (@Dept_of_AHD) January 11, 2021
पोल्ट्री में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू के प्रकोप के मद्देनजर नई दिल्ली के कृषि भवन में पशुपालन एवं डेयरी विभाग, कमरा नंबर 190 A (दूरभाष संख्या 011-23382354) में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य कार्य योजना-2015 की परिकल्पना के अनुसार एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए तैयारी, नियंत्रण एवं रोकथाम, प्रकोप के प्रबंधन, रोग नियंत्रण और रोकथाम के संबंध में राज्य सरकार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए सुविधा प्रदान करना है।
क्या चिकन खाना सुरक्षित है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार ठीक से पकाया हुआ चिकन खाने के लिए सुरक्षित है। बर्ड फ्लू का वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील है। खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य तापमान (70 डिग्री सेल्सियस) पर वायरस मर जाता है। एहतियात के रूप में, WHO की सलाह है कि मुर्गी का मांस एवं अंडे ठीक से पकाकर खाया जाना चाहिए।
मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरीराज सिंह ने भी सोशल मीडिया पर लोगों को अफवाहों से बचने की अपील की है। उन्होंने ट्वीटर पर ट्वीट किया है कि “कुछ जगहों पर बर्ड फ़्लू से ज़्यादातर प्रवासी और जंगली पक्षियों के मरने की रिपोर्ट आयी है। मीट और अंडे को पूरी तरह पका कर खाएँ। घबराने की कोई बात नहीं है। राज्यों को सतर्क कर हर सम्भव मदद की जा रही है।
कुछ जगहों पर बर्ड फ़्लू से ज़्यादातर प्रवासी और जंगली पक्षियों के मरने की रिपोर्ट आयी है।मीट और अंडे को पूरी तरह पका कर खाएँ। घबराने की कोई बात नहीं है। राज्यों को सतर्क कर हर सम्भव मदद की जा रही है।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) January 6, 2021
इसलिए आम जनता में बर्ड फ्लू से संबंधित जागरूकता का ध्यान रखा जाना चाहिए, जिससे लोगों को अफवाहों से बचाया जा सके ताकि जनता में कोई भय का माहोल न पैदा हो, इससे नुकसान कम से कम होगा और पोल्ट्री उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
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