बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सभागार में आज बिहार राज्य के पशुपालन और मत्स्य संसाधन विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक माननीय केंद्रीय मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार श्री गिरिराज सिंह के अध्यक्षता में आयोजित की गयी, इस बैठक में बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, सचिव डॉ०एन०सरवण कुमार, विशेष सचिव-सह-निदेशक (मत्स्यपालन) धर्मेन्द्र सिंह, प्रबंध निदेशक, कॉम्फेड शिखा श्रीवास्तव, निदेशक (पशुपालन) डॉ. विनोद सिंह गुंजियाल, संयुक्त सचिव (मत्स्य) निशात अहमद, विशेष सचिव, केशवेन्द्र कुमार, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० रामेश्वर सिंह, निदेशक अनुसन्धान डॉ० रविन्द्र कुमार, कुलसचिव डॉ० सतीश गर्ग, डीन बिहार वेटरनरी कॉलेज डॉ० जे०के० प्रसाद, निदेशक छात्र कल्याण डॉ० रमण त्रिवेदी आदि मौजूद थे। इस बैठक में केंद्र द्वारा अनुदान प्राप्त पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी के क्षेत्र विभिन्न योजनओं पर चर्चा की गयी तथा विभागों द्वारा किये गए कार्यों का पॉवर-पॉइंट द्वारा प्रेजेंटेशन दिया गया।
इस अवसर पर माननीय केंद्रीय मंत्री, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार श्री गिरिराज सिंह ने कहा की बिहार में बहुत काम किया जाना है, मत्स्य पालन पर बात करते हुए उन्होंने कहा की इनलैंड फिशरीज में किस-किस स्पेसिस को आगे ले जा सकते है इस पर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने घोंघा पालन को एक बेहतर व्यापर का अवसर बताते हुए कहा की देश में घोंघा का कोई हैचरी सिस्टम नहीं है लेकिन आज भी गरीब वर्ग के लिए ये प्रोटीन का बहुत बड़ा श्रोत है, जिसपर काम किया जा सकता है।
कृत्रिम गर्भदान और एम्ब्रोयो ट्रान्सफर टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा की आई.वी.एफ टेक्नोलॉजी में हम कम लागत पर बेहतर परिणाम कैसे पाए इस पर रिसर्च करने की जरुरत है, टारगेट निर्धारित करें की हम कितना एम्ब्रोयो निकाल सकते हैं, पर सबसे पहले प्रशिक्षण दिलाना जरुरी है, पारा-वेट डॉक्टर के नेतृत्व में काम करे और ओवम निकाले। शिफ्ट में काम करें और ज्यादा से ज्यादा ओवम निकालने पर जो दिया जाये, राज्य में बायो-टेक्नोलॉजी के छात्र बेरोजगार है उनको इस काम में लगाये। बिहार में दो लैब दिया गया है, अगर बिहार के सभी जिलों को बाँट दिया जाये इन दो लैब में तो चलंत प्रक्रिया को अपनाकर फील्ड से ओवम पिक करने के बाद इनक्यूबेटर के मदद से ट्रांसपोर्टेशन कर लैब तक लाया जा सकता है और 24×7 काम कर हम एक लाख एम्ब्रोयो प्रेगनेंसी की कैपेसिटी बना सकते है, मिल्क यूनियन के सहयोग से इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम किया जाये। अगर ये संभव हो पाया तो बिहार राज्य नस्ल सुधार में एक बेहतर स्थान पर होगा।
टीकाकरण पर बात करते हुए उन्होंने कहा की मुहपका और खुर के बीमारियों के लिए भारत सरकार द्वारा युद्धस्तर पर काम हो रहा है, और बिहार ने इस ओर बेहतर काम किया है। उन्होंने चारों की कमी पर चिंता जताते हुए कहा की हरे चारे जिसमे साईंलेज, मोरिंगा, सुगरकैन ग्रास के पैदावार को बढ़ने की जरुरत है।
मात्स्यिकी के विकास पर बात करते हुए उन्होंने कहा की बिहार के वेटलैंड में बहुत ताकत है, वेटलैंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा दे, और प्रोडक्शन पर इंसेंटिव दें ताकि प्रोडक्शन को बढाया जा सके। केज कल्चर को भी बढ़ावा देने की जरुरत है। माननीय केंद्रीय मंत्री ने एनिमल हेल्थ केयर, सेक्स शोर्टेड सीमेन और एनीमल हेल्थकेयर के लिए कॉल सेंटर की स्थापना पर विशेष जोर दिया। पुरे कोरोना काल में सिर्फ बिहार राज्य ने ही दूध का कलेक्शन किया है इसके लिए माननीय मंत्री ने सभी पदाधिकारियों को बधाई दिया और सराहना की। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय गिर और अन्य बढ़िया नस्लों का सीमेन मंगाए, साथ ही ए.आई पर ट्रेनिंग कराये। सचिव ने जानकारी दिया की ए.आई पर मैत्री ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी गयी है, और पांच वर्षों में करीब एग्यारह हज़ार लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्री ने पोल्ट्री पर बात करते हुए कहा की राज्य के बाहर से चुजें न मंगाए बल्कि अपने राज्य में ही प्रोडक्शन करें।
Be the first to comment