बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग और राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में स्वच्छ माँस उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक पर एक दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया।
इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में पटना के कई रेस्टोरेंट मालिक, मीट दुकानदार, छात्र व् शिक्षक शामिल रहें। ट्रेनिंग प्रोग्राम में विशेषज्ञों द्वारा माँस को बेहतर ढंग से काटने, स्वच्छता का ध्यान रखने और मास निकालने के लिए स्वस्थ पशुओं के चयन पर चर्चा की गई। इस अवसर पर कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा की बीमारियाँ सिर्फ खाने वाले तक सीमित नहीं है बल्कि जो इस रोज़गार से जुड़े हुए है उन्हें ज्यादा रिस्क हैं, इस रिस्क को कैसे कम किया जाए, क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए इस बारीकियों को जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा की ऐसे व्यवसायों में स्वछता का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए, जिससे लोग प्रभावित होंगे साथ ही व्यवसाय भी बढ़ेगा। ग्राहक को ये विश्वास दिलाये की आपके द्वारा इस्तेमाल में लायी जा रही पद्धति ग्राहक के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए की जा रही हैं और उत्तम उत्पाद दी जा रही है। कुलपति ने कहा की जल्द ही बिहार के चंपारण मीट की जी.आई टैगिंग विश्वविद्यालय द्वारा करायी जाएगी जिससे इसे विश्व स्तरीय पहचान मिलेगी।
बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद ने कहा की माँस विक्रेता तकनीक का प्रयोग करें, छोटे-छोटे कदम से आप अपने व्यवसाय को और आगे ले जा सकते है साथ ही अच्छी क्वालिटी का उत्पाद लोगों को दे सकते है जिससे आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान ने हाइजीन पर बातें रखी उन्होंने कहा की मीट काटने के बाद उसके स्टोरेज का ख्याल रखा जाना बहुत जरूरी है, जिससे हम अपने ग्राहक को और समाज को बीमार होने से बचा सकते है।
ट्रेनिंग में पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष-सह-प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. सुषमा ने कहाँ की तुरंत कटा हुआ मांस खाना वैज्ञानिक तरीके से गलत है, मगर भारत में पकाने के ढंग से हम उसे खाने योग्य बना लेते हैं, उन्होंने कहा की खस्सी को जमीन पर लेटाकर न काटे इससे मिट्टी के संपर्क में आकर कई हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस मांस को संक्रमित करते है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है। उन्होंने मीट की पैकेजिंग पर विशेष जोर दिया और कहा की मीट को पैक कर बेचा जाना ज्यादा बेहतर हैं साथ ही मीट काटने के दौरान पहनाव (एप्रॉन, ग्लव्स, हेड कवर, मास्क) पर भी ध्यान देने को कहा। सार्वजनिक स्वास्थ और महामारी विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अंजय और डॉ. भूमिका ने परजीवी से बचाव और मीट के स्वच्छता पर लोगों को जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रमण कुमार त्रिवेदी, डॉ. पुरुषोत्तम कौशिक, डॉ. रोहित, डॉ. गार्गी महापात्रा सहित छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
कृपया प्रशिक्षण हेतु बिहार पशु विज्ञान विश्वविध्यालय में संपर्क कर सकते हैं
https://www.basu.org.in/extension-3/
Mujhe pig ,goat , polutry farming ki training Bihar Kahan aur kaise apply Karna hota h mujhe guide kijiye