नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन

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शैक्षणिक संस्थानों में नयी शिक्षा नीति लागू करने से पहले जागरूकता, नीति निर्धारण, चुनौतियां और प्रतिक्रिया जानने के लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, भारतीय शिक्षण मंडल, दक्षिण बिहार प्रान्त और निति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित इस सेमिनार में एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटी की सेक्रेटरी जनरल डॉ. पंकज मित्तल बतौर की-नोट स्पीकर मौजूद थी, साथ ही मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ. आर.सी. श्रीवास्तव मौजूद थे।

नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन

इस अवसर पर डॉ. पंकज मित्तल ने कहा की नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षकों को ये तय करना है की वो बच्चों को कैसे पढ़ाये, टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस में डिजिटल टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाये। विद्यार्थियों तक अपनी पहुंच स्थापित करें साथ ही पढ़ाने की विधि को समय के साथ अपडेट करने के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग और कोर्सेस की सहयता लें। उन्होंने कहा की नयी शिक्षा नीति की सफलता पूर्ण रूप से शिक्षकों पर निर्भर है। इस नीति के कार्यान्वयन का लाभ विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों को भी मिलने वाला हैं। उन्होंने आगे बताया की इस नीति के तहत शिक्षकों के पढ़ाने और विद्यार्थियों के रिजल्ट को देखते हुए मूल्यांकन की जाएगी जिससे शिक्षकों को आगे बढ़ने के आसार बढ़ेंगे, जिन शिक्षकों में प्रशासनिक गुण होंगे उनको लीडर शिप ट्रेनिंग देकर उच्च पदों पर ले जाने की व्यवस्था भी की गयी है। किसी कोर्स को बीच में छोड़ने पर भी एक उचित डिग्री लेकर निकला जा सके और रोज़गार पाया जा सके ऐसी व्यवस्था लाने का काम किया जा रहा है साथ ही अगर विद्यार्थी वापस कुछ सालों बाद कोर्स से जुड़ना चाहे तो वो कर सके ऐसा सरल और बेहतर पाठ्यक्रम तैयार करने की जरुरत है, ये सब काम एक शिक्षक ही बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने कहा की तीन साल की कोर्स हो तो हर साल एक कम्पलीट कैप्सूल कोर्स की तरह हो, पाठ्यक्रम की री-डिज़ाइनिंग करने में शिक्षकों की भूमिका अहम होगी। अपने अभिभाषण में उन्होंने प्रायोगिक प्रशिक्षण युक्त शिक्षा, हर वर्ष  इंटर्नशिप की व्यवस्था और अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट जैसे महत्वपूर्ण बदलाव पर विशेष जोर दिया और कहा की अगर शिक्षक नयी शिक्षा नीति को बेहतर ढंग से कार्यान्वित करने का ठान ले तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।

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सेमिनार में बोलती डॉ. पंकज मित्तल

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ. आर.सी. श्रीवास्तव ने कहा की सभी विश्वविद्यालयों में बेसिक साइंस और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को चालू करने की आवश्यकता है, उन्होंने कोर्स डिज़ाइनिंग कैसे किया जा सकता है इसपर अपने विचार साझा किये साथ ही विश्वविद्यालय को बहु-विषयक बनाने की दिशा में काम करने पर जोर देने को कहा, उन्होंने कहा की इसे लागू करने में शिक्षकों का दायित्व अधिक है, पाठ्यक्रम और अन्य चीजों को नई दिशा मिलेगी।

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नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन

सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे  बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा की नयी शिक्षा नीति शिक्षक और विद्यार्थियों के चहुमुखी विकास को केंद्र बिंदु मानकर बनायीं गयी है जो भारत के एजुकेशन सेक्टर को गति प्रदान करेगी। उन्होंने बताया की इस नीति को बेहतर ढंग से लागू करने की दिशा में तीस प्रतिशत मदद सरकार द्वारा की जाएगी और बाकि के सत्तर प्रतिशत शिक्षक और संस्थान को करना हैं। इस नीति से शिक्षकों का जो स्थान है उसे पुनः स्थापित करने की प्रयास की जा रही है साथ ही जॉब और कमाई आधारित शिक्षण नीति को बदलकर एक वेल्यू एडेड लर्निंग एनवायरनमेंट बनाने की योजना है।

कार्यक्रम के शुरुआत में सेमिनार संयोजक, निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रमण कुमार त्रिवेदी ने सभी का स्वागत किया और डीन, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय डॉ. जे.के. प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सेमिनार में भारतीय शिक्षण मंडल, दक्षिण बिहार प्रान्त के कोऑर्डिनेटर डॉ. बिरेन्द्र कुमार गुप्ता सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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