दुधारू पशुओ में जैव उत्तेजना एक प्रजनन क्षमता बढ़ाने का प्राकृतिक माध्यम

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प्रस्तावना

एक दुग्ध व्यवसाय की आर्थिक सफलता पशुओ के उत्पादक और प्रजनन प्रदर्शन से निर्धारित होती है। लैंगिक परिपक्कता, विलंबितयौन परिपक्वता, कम गर्भधारण दर, दीर्घ ब्यांत अंतराल, दीर्घ प्रसवोत्तर अमदकालीन स्थित और मदकालीन का सटीक समय पर पता न लग पाना सहित पशुओ के नीचले स्तर के प्रदर्शन से पशुपालको को भारी आर्थिक नुकसान होता है। दुग्धवाले मवेशियों का एक एक व्यांत से दूसरे व्यांत का इष्टतम अंतराल एक साल माना जाता है। इसलिए, दुग्ध उद्योग में  एक अधिक टिकाऊ उत्पादन प्राप्त करने के लिए मुख्य उद्देश्य में से एक प्रसवोत्तर अमदकालीन अंतराल को कम करना है। क्योंकि पशुओं अपने पूरे जीवन काल में लम्बे अंतराल के बाद बच्चे देने के कारण दुग्ध उत्पादन एवं बछड़े-बछड़ियों की कम पैदावार  होती है, और दाना, चारा बिना दुग्ध उत्पादन के खिलाना पड़ता है जो आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।

आज कल इन समस्याओ के निवारण के लिए किसान दवाइयों एवं हार्मोन उपचार का प्रयोग करते हैं परन्तु ये पशुओं के लिए नुकसान देह होता है। ये प्रयोग किसानों के लिए महंगा और अनुपलब्ध होने के अलावा लगातार प्रभावी होने में विफल रहे हैं। इस समस्या के निवारण के लिए जैव उत्तेजना प्राकृतिक, सरल, सफल एवं किफायती  माध्यम है। ये अधिक प्राकृतिक तथा पशुधन प्रबंधन में हार्मोनल उपचार के उपयोग को कम करने के लिए इसमें शामिल किया गया है। इसमें नर पशु प्राइमिंग फेरोमोन द्वारा गायों की जैव उत्तेजना को बढाकर विलंबित यौन परिपक्वता, दीर्घ ब्यांत अंतराल, दीर्घ प्रसवोत्तर अमदकालीन स्थित को कम करने में और गर्भधारण दर को बढ़ाने में सहायक है। मदकालीन स्थित का सटीक समय पर पता लगाने तथा प्रजनन संबंधी समस्याओं के समाधान में सहायक है।

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जैव उत्तेजना

जैव उत्तेजना में सांड की उपस्तिथि मादा पशु को फेरोमोनल या जननांग उत्तेजना द्वारा उत्तेजित करती है तथा उसके मद व्यव्हार एवं अंडाणु बनने की प्रक्रिया को बढ़ा देता है। यह ज्ञात है कि प्रजनन क्रियाओं में फेरोमोनियल संचार स्तनधारी व्यवहार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फेरोमोन के साथ रासायनिक संचार ऐसी सूचना प्रसारित करने का एक उपयुक्त साधन है। स्तनधारियों में, सिग्नलिंग और प्राइमिंग फेरोमोन को कार्य करने के लिए जाना जाता है| ये घ्राण, श्रवण, दृष्टिया स्पर्श उत्तेजनाओं के माध्यम से अकेले या संयोजन में कार्य करता है| फेरोमोंस जानवरों के मूत्र या मल में स्रावित या स्रावित वायु-जनित रासायनिक पदार्थ (“सिग्नल”) हैं, तथा ये त्वचीय ग्रंथियों से जिन्हें घ्राण प्रणाली द्वारा पहिचाना जाता है और जो व्यवहार को प्रभावित करती हैं और अंतःस्रावी प्रक्रियाओं को बढ़ाता हैं।

दुधारू पशुओ में जैव उत्तेजना एक प्रजनन क्षमता बढ़ाने का प्राकृतिक माध्यम

जैव उत्तेजना की क्रिया विधि

जब फेरोमोन जानवरों के मल, मूत्र, या त्वचीय ग्रंथियों से स्रावित होता है तब इन्हे घ्राण प्रणाली द्वारा पहचाना जाता है और यह विपरीत लिंग में व्यवहार और अंतःस्रावी प्रतिक्रिया दोनों को प्रभावित करता है| स्तनधारियों में, फेरोमोन प्रजाति-विशिष्ट जानकारी को वोमरोनसल अंग के सक्रियण के माध्यम से व्यक्त करते हैं, जिसमें द्विध्रुवी, संवेदी न्यूरॉन्स होते हैं। ये न्यूरॉन्स घ्राण ग्रंथि को रासायनिक संकेत भेजते हैं, जो एमिग्डाला में एक वोमेरोनस न्यूक्लियस को संकेत भेजता है और फिर वो हाइपोथैलमस को संकेत भेजता है| जो प्रतिक्रिया में एल.एच.आर.एच. को छोड़ता करता है। एल.एच.आर.एच. की अतिरिक्त पिट्यूटरी क्रिया एल.एच. की स्राव को बढ़ावा देती है, जो प्रजनन व्यवहार और यौवन की प्रक्रिया के लय में सक्रिय भाग लेती है। ये मद की शुरुआत पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है एवं मद की अभिव्यक्ति को बढ़ाने में सहायक होता  है क्योंकि ये यौन परिपक्वता एवं प्रसवोतर डिम्बग्रंथि गतिविधि में सुधार करता है और मद अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करता है।

जैव उत्तेजना की क्रिया विधि का चित्रण
जैव उत्तेजना की क्रिया विधि का चित्रण
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प्रयोग विधि

जैव उत्तेजना का सहिवाल गायों एवं बछियों के लैंगिक परिपक्कता, मद व्यव्हार एवं प्रजनन प्रदर्शन पर जैव उत्तेजना का प्रभाव सफल देखा गया। इसमें गायों को ब्याने के 15 से 20 दिन बाद सांड के सामने रखा जाता है। जिसमे सांड को गायों के समूह के समक्ष लोहे के पाइप से बने फ़ेंसलाइन अवरोधक के माध्यम से अलग रखा जाता है| तथा अवरोधक के माध्यम से सांड और गायों के बीच पर्याप्त परस्पर क्रिया होती है। अथवा गायों को अन्य समूह में सांड (सांड का कोट पहनाकर- जो अप्राकृतिक निषेचन होने से बचाता है) के संपर्क में सीधा रखा जाता है। उसके बाद सांड और गायों के बीच पर्याप्त परस्पर क्रिया एवं मद व्यवहार जैसे सूंघने, चाटने, मॉउंटिंग, ठोड़ी विराम, फ़्लेहमेंस प्रतिक्रया, बड़े हुए कदमो की संख्या इत्यादि की बड़ी हुई तीव्रता को देखा जाता है।

जैव उत्तेजना से होने वाले उत्तेजना लाभ

जैव उत्तेजना एक बेहद सफल तकनीक है| जिन समूहों में साहीवाल गायों को सांड सामने रखा या साथ में रखा गया और यह पाया गया कि गायों के मद व्यवहार जैसे सूंघने, चाटने, अगोनेस्टिक बातचीत, फ्लेहम प्रतिक्रया एवं  कदमों की संख्या की तीव्रता बढ़ जाती हैजो मद को सही समय पर पहचान करने में सहायक है। एवं फेरोमोन के प्रभाव से प्रजनन हार्मोन का प्रभाव बढ़ जाता है, जो विलंबित यौन परिपक्वता, प्रसवोंतर मद अंतराल भी कम कर देता है। जिससे कि पशुपालकों को लंबे अंतराल तक बगैर दुग्ध उत्पादन के पशुओं को चारा नहीं खिलाना पड़ता है जो कि आर्थिक नुकसान होने बचाता है। बछड़े -बछड़ियो की पैदावार बढ़ाता है। यह एक प्राकृतिक माध्यम है जो आसानी छोटे छोटे किसान उपयोग में ला सकते है एक सांड 50-100 गायो के लिए पर्याप्त  है। गाव या गौशाला में सांड को फेंसलाइन में रखकर या खुला  रखकर (सांड का कोट- जो अप्राकृतिक निषेचन होने से बचाता है) प्रयोग में ला सकते है।

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इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

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