हिमाचल प्रदेश पशुचिकित्सा अधिकारी संघ ने सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

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काले पट्टे बांधकर विरोध दर्ज करने का निर्णय

हिमाचल प्रदेश पशुचिकित्सा अधिकारी संघ पशुपालन विभाग के प्रदेश महासचिव डॉ. मधुर गुप्ता एवं प्रेस सचिव डॉ. रणधीर सिंह ने बताया कि प्रदेश के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों ने उनकी जायज मांगों के चलते विभाग का निराशाजनक रवैया देखते हुए 31 मई 2021 सुबह साढ़े 9 बजे से काले पट्टे बांधकर काम करने का निर्णय लिया है। पशु चिकित्सक संघ ने ये भी निर्णय लिया है की सोमवार से विभागीय अधिकारी अपने निजी मोबाइल और मोबाइल डाटा, whatsapp, निजी मेल आदि संसाधनों से कोई भी सरकारी कार्य नही करेंगे क्योंकि वो ये सब आज तक प्यार और सदभावना के चलते करते आए हैं, पर विभाग का सौतेला व्यवहार देख कर अब वो इस सदभावना के बरताव से कदम पीछे कर लेंगे।

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संघ लगातार सरकार को अपनी समस्याओं से अवगत करवाता आया है

संघ के महासचिव ने बताया की संघ पिछले तीन महीने से लगातार पशु पालन निदेशक एवं सरकार को अपनी समस्याओं से अवगत करवाता आया है, पर केवल निराशा ही हाथ लगती आई है। क्योंकि ना तो इनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम उठाया गया ना ही कोई सुनवाई हो पाई और ना ही विभाग ने उनकी समस्याओं पर कोई निर्णय लिया और ना ही सरकार के समक्ष जोर शोर से रखा।

पशु चिकित्सक इस महामारी के दौर में दिन रात बिना किसी सुरक्षा इंतजामात एवं SOPs (एस.ओ.पी.) के काम करते आएं हैं जबकि संघ बहुत बार विभाग को SOPs बनाने के लिए आग्रह कर चुका है क्योंकि महामारी के इस दौर में ये तय कर पाना बहुत मुश्किल है कि कौन सी सेवा पशु पालक के घर द्वार पर देनी है और कौन सी सेवा को अस्थाई तौर पर कुछ समय के लिए स्थगित करना है क्योंकि हर बात के लिए पशु पालक के घर जाना दो तरफा कोरोना संक्रमण का बहुत बड़ा कारण हो सकता है और इंसान की जान पर बन सकती है, यदि वो खुद पशु पालक को इस बारे समझाने लगते हैं तो पशु पालक विभाग द्वारा जारी किसी आदेश की मांग करते हुए स्थिति को नाजुक बना देता है।

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पशुचिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर दे रहे हैं सेवा

उल्लेखनीय है की प्रदेश के चार दर्जन से अधिक पशुचिकित्सा अधिकारी पशु पालकों को सेवा प्रदान करते हुए कोरोना से ग्रसित हो चुके हैं और कुछ एक बहुत गम्भीर स्थिति से भी गुजर चुके हैं। आवश्यक सेवाओं की सूची में नामजद होने की वजह से इस मुश्किल दौर में भी पशु चिकित्सक निरंतर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं लेकिन बाबजूद इसके पशु चिकत्सको को ना तो फ्रंट लाइन में रखा गया और न ही उनको प्राथमिकता पर कोविड का टीकारण किया गया। संघ ने कहा कि सरकार और विभाग ने सिर्फ सेवाएं लेने के लिए उन्हें कोविड वारियर श्रेणी में रखा है, उनको कोविड के टीकाकरण या किसी भी लाभ के लिए नहीं जबकि बहुत से वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी और पशु चिकित्सा अधिकारी प्रशासन के आदेशों पर कोविड क्वारेंटीन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर पर बतौर नोडल अधिकारी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

पशुचिकित्सको को फ्रंट लाइन वर्कर के तहत मिले सुविधाएँ

संघ के महासचिव एवं प्रेस सचिव ने बताया की प्रदेश भर के सभी जिला सचिवों ने फील्ड में काम कर रहे पशु चिकित्सकों की मांग पर पत्र के माध्यम से विरोध एवं आक्रोश व्यक्त कर लिखित में पशु चिकित्सक संघ के अध्य्क्ष को ज्ञापन भेजे हैं जिस पर राज्य पशु चिकित्सक संघ ने भी कड़ा संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की है और अब विभाग के सामने रोष व्यक्त कर मोर्चा खोल दिया है। संघ ने बताया कि अगर अभी भी उनकी कोविड वैक्सीनशन को फ्रंट लाइन वर्कर के तहत अहमियत ना दी गई और विभाग ने 31 मई से पहले सुझाव अनुसार SOPs जारी नहीं कि तो प्रदेश के समस्त पशु चिकित्सक और कड़े कदम उठाने को मजबूर हो जाएंगे और जो सदभावना पूर्ण माहौल उन्होंने बना रखा था, उस से पीछे हट जाएंगे।

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