नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

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गर्भाशय में बच्चा पूरी तरह से मां पर निर्भर रहता है और मां से ही संपूर्ण पोषण मिलता है लेकिन जन्म के बाद खुले वातावरण में आने के बाद उसकी आवश्यकता, अधिक हो जाती है।

नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

  1. जन्म के तत्काल बाद बछड़े बछिया की नाक और उसका मुंह साफ करें।
  2. नवजात बछड़े बछिया की छाती पर धीरे-धीरे मालिश करें जिससे उसे सांस लेने में आसानी रहे। बछड़े बछिया के पूरे शरीर को अच्छी तरह साफ करें।
  3. मुंह में दो उंगलियां डालें और उन्हें उसकी जीभ पर रखें।
  4. नाभिनाल को 2 इंच की दूरी पर धागे के साथ बांध दे। बची हुई नाल को विसंक्रमित  कैंची या नई ब्लेड से काटकर उस पर टिंक्चर आयोडीन लगाएं जिससे कि नाल में संक्रमण को रोका जा सके।
  5. जन्म के समय आधे घंटे के भीतर नवजात  पशु को खींस पिलाएं। खींस की मात्रा बच्चे के वजन के एक बटे 10 भाग के बराबर होनी चाहिए।
  6.  बछड़ा बछिया के उचित विकास हेतु उन्हें कम से कम 2 माह की उम्र तक दूध पिलाना चाहिए।
  7. इक्कीसवें दिन कृर्मीनाशक दवा अवश्य दें। उसके उपरांत 6 से 8 माह तक महीने में एक बार पेट के कीड़े की दवा अवश्य दें।
  8. बछड़ा या बछिया जैसे ही 1 महीने का हो जाए उसे कोमल घास और 100 ग्राम शिशु आहार प्रतिदिन देना चाहिए। 4 महीने की आयु होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करके आवश्यक टीके लगवाएं।
  9. नवजात बछड़े बच्चियों को सुरक्षित वातावरण में रखना चाहिए।
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नवजात बछड़े
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नवजात बछड़े एवं बछियों को खीस पिलाने से लाभ

  1. नवजात बछड़े /बछियों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है।
  2. खींस पिलाना मां से ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे में पहुंचाने का प्राकृतिक तरीका है। खीस नवजात पशु को प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमूल्य उपहार है। इसमें अतिरिक्त पोषक तत्व होते हैं जैसे दूध से 4 से 5 गुना प्रोटीन 10 गुना विटामिन ए   और प्रचुर खनिज तत्व।
  3. बछड़े को ब्याने के आधा से 1 घंटे के भीतर कोलोस्ट्रम या खीस पिलाने से गाय में जेर रुकने की समस्या नहीं होती है।
  4.  यह हल्का दस्तावर होता है जिससे आंतों का गंदा मल साफ हो जाता है।
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नवजात बछड़े
कोलोस्ट्रम या खींस पिलाओ, बछड़े बछियों की रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाओ
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इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

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