खरगोश पालनः आर्थिक उन्नति का आधार

4.9
(66)

खरगोश  पालन प्रायः सभी जलवायु में कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रख-रखाव तथा पालन पोषण के साथ संभव है। यह भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के पोषण में एक महत्वपर्ण भूमिका निभाता है और एक पूरक व्यवसाय है, चूंकि ये अन-उपजाऊ एवं बंजर भूमि पर उगी झाड़ियों, कटीले वृक्षों की पत्तियाँ खा कर अपना जीवन निर्वाह करने में सक्षम है। खरगोश  से हमें अधिक मात्रा में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीनयुक्त मांस (लगभग 21.0 प्रतिशत) उपलब्ध होता है, साथ ही साथ उच्च गुणवत्ता का फर (ऊन) एवं खाल भी प्राप्त होता है। खरगोश के मांस में वसा की कम मात्रा (लगभग 8.0 प्रतिशत) होने से इसका मांस वयस्क से बच्चों तक के लिए लाभदायक होता है। भूमिहीन किसानों, अशिक्षित युवाओं और महिलाओं के लिए खरगोश  पालन अंशकालिक नौकरी की तरह एक अतिरिक्त आय के साधन के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

जैसा कि विदित है कि हमारे देश में निरन्तर बढ़ती मानव आबादी के कारण आजादी के 67 साल बीत जाने के बाद आज भी अधिकांश मृत्यु गरीबी, कुपोश ण विशेश तया प्रोटीन की कमी के कारण होती है। यदि हम भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों को खरगोश पालन के लिए प्रेरित करें तब निःसन्देह इससे हमारे देश में गरीबी, कुपोषण से होने वाली मृत्यु-दर में कमी आयेगी।

मांस हेतु जो खरगोश की प्रजाति पाली जाती है, उन्हें हम ब्रायलर खरगोश कहते हैं। ब्रायलर खरगोश में वृद्धि दर अत्यधिक होती है, वे तीन महीने में लगभग दो कि0ग्रा0 के हो जाते हैं।खरगोश का गर्भकाल 30-32 दिन का होता है तथा एक बार में एक मादा खरगोश 6-8 बच्चों को जन्म देती है।

खरगोश पालन से लाभ

  1. खरगोश पालन से उच्च गुणवततायुक्त सुपाच्य प्रोटीन प्राप्त होता है।
  2. इसमें कम समय में बच्चे पैदा करने की अधिक क्षमता होती है।
  3. इसका गर्भकाल केवल 28-30 दिन होता है।
  4. खरगोश पालन हेतु कम लागत एवं न्यूनतम दाने की आवश्यकता होती है।
  5. खरगोश को हम अपने किचिन गार्डेन एवं बैकयार्ड में भी पाल सकते हैं।
  6. खरगोश पालन से किसानों को 6 माह के अनदर ही प्रतिलाभ मिलना प्रारम्भ हो जाता है।
  7. खरगोश के मांस में लगभग 20.8 प्रतिशत प्रोटीन होती है, जिससे यह प्रोटीन की कमी से होने वाले रोंगों को समाप्त करने में सहायक है।
  8. खरगोश के मांस में वसा की मात्रा कम होने से हृदय रोगी, बूढ़े एवं बच्चे आसानी से ग्रहण एवं पचा सकते हैं।
  9. खरगोश से हमें मांस, ऊन, मेंगनी आदि प्राप्त होती है।
  10. खरगोश पालन में किसी भी प्रकार की कोई सामाजिक बंधन एवं बुराई नही है।
  11. ब्रायलर खरगोशों में वृद्धि इर अधिक होती है, जिससे वे तीन माह में ही 2 कि.ग्रा. के हो जाते हैं।
और देखें :  बकरी पालन, भेड़ पालन या खरगोश पालन के लिए बैंक लोन

खरगोश  की मांस उत्पादन करने वाली प्रमुख प्रजातियां

लघु आकार की प्रजातियां

  1. सोवियत चिन्चिलायह नीले-भूरे रंग की प्रजाति है, जिसके पेट का रंग सफेद होता है। इससे हमें मांस और फर दोनों ही प्राप्त होता है।

    खरगोश पालनः आर्थिक उन्नति का आधार
    Carl Heuer, Ninja eating a leaf, CC BY-SA 3.0
  2. डचयह खरगोश की सबसे लघु प्रजातियां में से एक है। इसके कंधे एवं चेहरे के मध्य भाग पर चौडे सफेद रंग की पट्टी पायी जाती है। यह मांस उत्पादन के लिये उपयोग में लायी जाती है।

    खरगोश पालनः आर्थिक उन्नति का आधार
    Bunnybri at en.wikipedia, American Grand Champion Dutch Rabbit, CC BY-SA 3.0
  3. हिमालयनयह सफेद रंग की छोटी प्रजाति होती है, जो कि प्रमुख रूप से फर उत्पादन के लिए उपयोग में लायी जाती है।

मध्यम आकार की प्रजातियां

  1. न्यूजीलैंड व्हाइटयह मूल रूप से इंगलैण्ड की प्रजाति है, जिसके फर का रंग सफेद होता है, और चमडी रंगहीन होती है। यह प्रमुख रूप से मांस उत्पादन के लिए उपयोग में लायी जाती है।
  2. कैलीफोर्नियनयह सफेद रंग की छोटी प्रजाति होती है, जिसके नाक, कान, पैर एवं पूंछ के किनारों पर काले रंग के धब्बे पाये जाते हैं। यह प्रजाति मांस उत्पादन के लिए दूसरी प्रमुख प्रजाति है।
  3. न्यूजीलैंड रेडयह लाल-भूरे रंग वाली खरगोश की मध्यम आकार की प्रजाति है।यह मांस उत्पादन के लिये अच्छी नही मानी जाती है।

बडे़ आकार की प्रजातियां

  1. फ्लेमिश जांइट-यह मूल रूप से बेल्जियम की प्रजाति है, जो कि विभिन्न रंगो वाली होती हैं।इसका वयस्क भार लगभग 6.00 कि.ग्रा. तक होता है।
  2. व्हाइट जांइटयह खरगोश की सफेद रंग की बडी प्रजातियों में से एक है। यह अधिक बच्चे पैदा करने वाली एवं जल्दी विकास करने वाली प्रजाति है
  3. रसियन ग्रे जांइटयह गाढे भूरे-हल्के भूरे रंग की खरगोश की प्रजाति है। इसके फर का रंग खरहा (जंगली खरगोश) से मिलता-जुलता है। यह मांस उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है। हैं।इसका वयस्क भार लगभग 5.00 कि0ग्रा0 तक होता है।

खरगोश  की फर/ऊन उत्पादन करने वाली प्रमुख प्रजातियां

अंगोरा- खरगोश  की फर/ऊन उत्पादन करने वाली खरगोश की प्रमुख एवं सबसे पुरानी प्रजाति है। वयस्क अंगोरा खरगोश  का वजन लगभग 1.5-2.0 कि0ग्रा0 तक होता है। इसका फर/ऊन सफेद, बहुत ही पतला, मुलायम तथा चमकीला होता है। इसकी अन्य प्रजातियां निम्न हैं-

  1. डच अंगोरा
  2. फ्रेंच अंगोरा
  3. इंग्लिश अंगोरा
  4. जर्मन अंगोरा
खरगोश पालनः आर्थिक उन्नति का आधार
Ross Little, Fluffy white bunny rabbit, CC BY-SA 2.0

खरगोश पालन की विधियां

खरगोश को आंगन में या घर के पीछे की जगह में या छोटे से शेड के नीचे भी पाला जा सकता है, जिसका निर्माण कम निवेश में भी संभव है। खरगोश की आवासीय व्यवस्था प्रमुख रूप से दो तरह की होती है-

  1. डीप लिटर प्रणालीयह तरीका कम संख्या में खरगोशों को पालने के लिए उपयुक्त होता है।
  2. पिंजरा प्रणालीइस प्रणाली में कम जगह में अधिक संख्या में खरगोशों को पालने के लिए उपयुक्त होता है। सामान्यतया एक वयस्क खरगोश या दो बढ़ते हुए खरगोश को 1.5 फुट लंबा ग् 1.5 फुट चौडा ग् 1.5 फुट उंचा पिंजरा पर्याप्त होता है।

खरगोश की आहार व्यवस्था

खरगोश सभी प्रकार के अनाज ज्वार, बाजरा और फलीदार पौधे , हरा चारा जैसे बरसीम, ल्यूसर्न तथा रसोई की बची हुई चीजें जैसे गाजर, मूली, पालक एवं गोभी के पत्ते बहुत ही चाव से खाते हैं। एक वयस्क खरगोश को लगभग 80-100 ग्राम दाना ;पेलेटद्ध तथा 250-300 ग्राम हरा चारा देना चाहिए।

इस प्रकार खरगोश पालन से हम कम लागत और कम समय में अधिक से अधिक आय का अर्जन कर सकते हैं, साथ ही साथ पोषण का स्तर भी सुधारा जा सकता है ।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.9 ⭐ (66 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

1 Trackback / Pingback

  1. खरगोश पालन:आवास,पोषण एवं प्रजनन प्रबंधन | ई-पशुपालन

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*