पशुपालन

पशु आहार में कच्चा रेशे (Crude Fibre) का महत्व

डेयरी उद्योग में सफलता पाने के लिए पशुपोषण में उत्तम संतुलित आहार बहुत ही जरुरी होता है। आहार में भी रेशे की गुणवत्ता का सहभाग खूब महत्वपूर्ण होता है । गाय को भरपेट तथा गुणवत्ता युक्त रेशेवाला आहार >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में दस्त अर्थात डायरिया के कारण लक्षण एवं प्राथमिक उपचार

पशु के बार-बार पतला पानी जैसा पिचकारीवत गोबर का आना दस्तों के लक्षण हैं। त्रुटिपूर्ण आहार, फफूंद लगे आहार तथा अचानक आहार में परिवर्तन व भौतिक दशा तथा परिवेश में अंतर तथा परजीवी, जीवाणु और विषाणु से >>>

Holy cow gau mata
पशुपालन

गौ माता

रम पूज्य मेरी गौ माता। तुम को सादर शीश झुकाता। तुम जग जननी जगतबखानी। सूर्, मुनि पूजें तुम्हें भवानी। वेद शास्त्र तेरा यश गाएं। ब्रह्मा,विष्णु शीश झुकाए। पावन चरण जहां पर धरती। जगह पवित्र वहा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लयूरो निमोनिया: (सीं.बी.पी.पी.)

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लयूरो न्यूमोनिया गायों में पाया जाने वाला एक अति संक्रामक रोग है जिसमें फेफड़ों एवं फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लयूरा अत्याधिक प्रभावित होती है। भारत में यह रोग पूर्वी राज >>>

पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओ में बांझपन की समस्या एवं उसका समाधान

हमारे देश की अर्थव्यवस्था में पशु पालन व्यवस्था का एक अलग ही महत्व है। लेकिन पशुओं में बांझपन की समस्या पशुपालन व्यवस्था में बडे़ नुकसान के लिए जिम्मेदार है। बांझ पशुओ को पालना मतलब आर्थिक बोझ को बढ़ >>>

पशुपालन

पशुओं का प्रजनन कैलेंडर

ऋतु चक्र का प्रकार (Pattern of Estrus cycle) कोई भी मादा पशु वर्ष में कितनी बार ऋतु (गर्मी) में आता है इस आधार पर पशुओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। 1. मोनोईस्टस (Monoestus) >>>

पशुपालन

कृत्रिम गर्भाधान द्वारा वीर्य को उपयुक्त स्थान पर पहुंचाने संबंधी जानकारी

कृत्रिम गर्भाधान इस विधि में स्वस्थ नर पशु के वीर्य (semen) को कृत्रिम विधि से स्वच्छतापूर्वक एकत्रित करके यन्त्रों की सहायता से मादा जननेन्द्रियों में स्वच्छतापूर्वक ऋतु के उचित समय (Proper time >>>

नियमित ब्यात अधिक उत्पादन
पशुपालन

नियमित ब्यात अधिक उत्पादन

भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। पशुपालन को लाभदायक बनाने हेतु हमारे पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे अपने पशुओं से अधिक आय प्राप्त करने के लिए नियमित ब्यात अधिक उत्पादन >>>

पशुपालन

गर्भावस्था के दौरान भैंसों की देखभाल और प्रबंधन

पशुपालन व्यवसाय में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए भैंसों का नियमित अंतराल पर ब्याना आवश्यक है। पशुओं के स्वास्थ्य तथा संतुलित आहार का जन्म से ही समुचित ध्यान रखने से वह कम उम्र में ही गर्भाधारण >>>

कृत्रिम गर्भाधान AI
पशुपालन

देशी संकर गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का उपयुक्त समय एवं कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व ध्यान देने योग्य मुख्य बिन्दु

कृत्रिम गर्भाधान हमेशा अण्डक्षरण के कम से कम 10 -12 घण्टे पूर्व करना सफल निषेचन हेतु अति आवश्यक है। देशी गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का सर्वाधित उपयुक्त समय ऋतु काल के प्रारम्भ होने के बाद 6 >>>

पशुपालन

भूमि सुपोषण से ही संभव है गौ-संवर्धन

गौ-संवर्धन करने हेतु हमारे देश मे हजारो की संख्या मे गोशालाये खोली जा चुकी है परंतु फिर भी गाय को बड़ी ही आसानी से सड़क पर आवारा पशु के रूप मे देखा जा सकता है l >>>

पशुपालन

नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

नवजात बछड़े /बछियों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। खींस पिलाना मां से ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे में पहुंचाने का प्राकृतिक तरीका है। खीस नवजात >>>

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन
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दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भ >>>