पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओं को किट-पतंगों और मच्छरों से बचाव के लिए तकनीक

वर्षा ऋतु में कीटो पतंगों की संख्या बढ़ने से मनुष्यो और पशुओं को काफी परेशानी होती है। जिससे डेयरी पशुओं का दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। मनुष्यो में अनेको प्रकार के रोग  होने की संभावना होती है। इनसे बचने के लिए अनेको प्रकार के रसायन उपयोग किये  जाते हैं परन्तु अब रसायनो का प्रभाव कम होने लगा हैं। क्योकि इनके प्रति मक्छर और  किट-पतंगे पहले से अधिक प्रतिरोधी हो चुके हैं। इसलिए इन्हें मरना या भागना कठिन हो रहा हैं। पशु-पालको और ग्रामीण इलाकों में इनसे और अधिक परेशानी होती हैं। >>>

पशुपोषण

अत्यधिक दूध उत्पादक पशुओं में बायपास वसा (Bypass Fat) का महत्व

आमतौर पर, ताजे ब्यांत और अधिक दूध देने वाले पशुओं के आहार में उर्जा की कमी पाई जाती है। पशु के कम खाने एवं दूध उत्पादन बढने से इस उर्जा का अभाव और अधिक बढ़ जाता है। ऐसा देखा गया है, कि ब्यांत के बाद पशुओं में 80 से 100 किलो के आसपास शरीर का वजन कम होना आम बात है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पर्यावरण को प्रदूषित करती शोथहारी, पीड़ाहारी एवं ज्वरनाशक औषधियां

जब भी हमें दर्द, ज्वर या सूजन (शोथ) होती है तो इनको हरने के लिए औषधी लेने में तनिक भी देरी नहीं करते हैं। इसी प्रकार जब भी पशु को रोग चाहे जो भी, लेकिन इन औषधीयों का उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। पशु के मरणोपरान्त जब गिद्ध इनका भक्षण करते हैं तो उनकी जान को खतरा बढ़ जाता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

सूक्ष्म जगत के कण नोबेल कोरोना वायरस (COVID-19) का हाल के वर्ष 2019-2020 में प्रकोप: पशुधन और मनुष्यो के लिए वैश्विक संकट एवं इसकी अंतर्दृष्टि

कोरोनावायरस बीमारी COVID-19 के प्रकोप के बाद से, यह रोग दुनिया भर में तेजी से फैल गया है। इस महामारी के संभावित खतरे को देखते हुए, वैज्ञानिक और चिकित्सक इस नए वायरस और पैथोफिज़ियोलॉजी को समझने के लिए दौड़ रहे हैं इस बीमारी को संभव उपचार को उजागर करने और प्रभावी चिकित्सीय एजेंटों/टीकों की खोज करने के लिए काम चल रहा हैं। >>>

पशुपोषण

पशुओं में विटामिन A का महत्व

कई क्रियाओं के संचालन के लिये विटामिन ‘A’ बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने पर अंधापन, चमड़ी सूख कर सख्त हो जाती है। खुरचन उतरती रहती है प्रजनन क्षमता में कमी तथा नवजात बछड़ों में जन्मजात विकृतियां पैदा हो जाती है। >>>

डेरी पालन

स्वच्छ दूध का उत्पादन

खेती के पूरक व्यवसाय में दूध का व्यवसाय प्राचीनकालसेहि पारंपरिक चलता आ रहा महत्त्व का व्यवसाय हैं। दूध व्यवसाय के लिए मुख्य रूप से संकर गायों, देसी गायों , दुधारूं गायों और दुधारूं भैंसो को पाला जाता हैं। दुधारूं पशु पालना एक अच्छी बात है परन्तु स्वच्छ दूध का उत्पादन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। दूध उत्तम किस्म के प्रोटीन तथा कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है वही अस्वच्छ दूध कई बीमारियोंका वाहक भी होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में सर्रा रोग एवं इसके रोकथाम

सर्रा पालतू एवं जंगली पशुओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख रोगो में से एक है। यह रोग पूरे विश्व में फैला हुआ है। भारत में इस रोग का प्रकोप सभी राज्यों में है, जिसके कारण पशुओं की उत्पादक क्षमता में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अत्याधिक कमी हो जाती है जिसके फलस्वरूप हमारे देशकी पषुधन अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। >>>

पशुपालन

पशुधन आधारित उद्यमों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

भारत एक कृषि आधारित देश है और 70% से अधिक किसान भूमिहीन और सीमांत हैं, जहां प्रति व्यक्ति भूमि-धारण मुश्किल से 0.2 हेक्टेयर है। हलाकि हमारे देश की कृषि प्रणाली मुख्य रूप से मिश्रित फसल-पशुधन कृषि प्रणाली है, जिसमें फसल उत्पादन के साथ पशुधन उत्पादन भी एक अभिन्न अंग है। >>>

डेरी पालन

नवजात दुधारू पशुओं का स्वास्थ्य प्रबंधन

नवजात दुधारू पशुओं के जीवित रहने और आगे के समय में विकसित होने के लिए यह अति आवश्यक है कि वह इन सभी चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना करे। हालाँकि अक्सर यह देखा >>>

पशुपालन

पशु एवं पशु उत्पाद के विक्रय में धोखाधड़ी

नैतिक पतन के इस दौड़ में आज कोई भी क्षेत्र धोखाधड़ी से बचा हुआ नहीं है। कोई भी पशुपालक असावधानीवश पशु और उनके उत्पाद को खरीदने और बेचने के वक्त ठगी का शिकार हो सकते हैं। इसलिए पशुओं एवं उनके उत्पाद के खरीदने के समय होने वाले धोखाधड़ी के बारे में जानकारी होना परम आवश्यक है। >>>