पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ में जैव उत्तेजना एक प्रजनन क्षमता बढ़ाने का प्राकृतिक माध्यम

एक दुग्ध व्यवसाय की आर्थिक सफलता पशुओ के उत्पादक और प्रजनन प्रदर्शन से निर्धारित होती है। लैंगिक परिपक्कता, विलंबितयौन परिपक्वता, कम गर्भधारण दर >>>

पशुओं की बीमारियाँ

ममीभूत गर्भ (मरा व सूखा हुआ बच्चा) दुधारू पशुओं में गर्भावस्था की एक विषम समस्या

ममीफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा गर्भाशय में बच्चा मर कर सूख जाता है तथा इसे ममीभूत गर्भ कहते हैं। ऐसा प्रायः गायों में अधिक होता है। इसमें बच्चा गर्भावस्था के पूरे समय तक जीवित नहीं रह पाता >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होनें वाले अफारा रोग एवं उससे बचाव

अफारा का अर्थ रूमेन रोमांथिका में अत्यधिक मात्रा में गैस का इकट्ठा होना है। रूमन में सामान्य तौर पर हल्की गैस बनती रहती है। गैस के एकत्रित होने का कारण गैस के >>>

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान
पशुपोषण

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान

परिचय भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ अधिकतर जनसंख्या खेती आधारित व्यवसाय करती है। मिश्रित खेती के रूप में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते है। परन्तु पशुओं को साल भर हरा चारा नहीं मिल पाता है। इस >>>

पशुपालन समाचार

कैनाइन ग्रूमिंग और स्पा पर कार्यशाला का आयोजन

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में पेट्स के ग्रूमिंग और स्पा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के >>>

पशुपालन

पशुओं में जल का महत्व

कहते है जल है तो कल है, हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि रहीम ने कहा था रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून, यह कहावत एवं दोहा जल की अनिवार्यता बताने के लिए काफी है। पौधों में लगभग 10 से 90 प्रतिशत तक >>>

पशुपालन

डेयरी पशुओं में शुष्क काल प्रबंधन का महत्व

ब्यॉंत के 60 दिन पूर्व का समय शुष्क काल अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है इसमें पशु खुद को अगले दुग्ध उत्पादन के लिए तैयार करता है। दुग्ध काल के विपरीत शुष्क काल के अंतर्गत दीर्घ प्रकाश अवधि का प्रभाव एकदम >>>

पशुपालन

पशुपालन में व्यापक मिथक एवं तथ्य

भारतीय समाज में अंधविश्वास बहुत आम है, और गांवों में इस तरह की प्रथाएं अशिक्षा, सामान्य समझ और वैज्ञानिक जागरूकता की कमी के कारण अधिक प्रचलित हैं। पशुपालन में सदियों पुरानी मिथ्याएँ मौजूद हैं, जो >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियां

पशुओं के अंतिम तीन महीने तथा प्रसव काल की अवधि जोखिम भरी होती है, इसलिए पशुपालकों को पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियों की जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों को टाला >>>

पशुपालन समाचार

पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज के बीच एमओयू

अंतर-संस्थागत अनुसंधान सहयोग, कर्मचारियों और छात्रों के प्रशिक्षण, स्नातकोत्तर अनुसंधान, डॉक्टरेट अनुसंधान और अनुसंधान परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना >>>

पशुपालन

भारत में स्वदेशी गाय की महत्ता एवं उसका व्यवसायिक उपयोग

हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है। भगवान श्री कृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे, और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को >>>

पशुपालन समाचार

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में डॉग शो का आयोजन

मैं खुद भी एक डॉग लवर हूँ, मुझे कुत्ते पलने का पैशन है, ये मेरे लिए स्ट्रेस बस्टर का काम करते है। कुत्ता अब पार्ट ऑफ़ फैमिली है, हिन्दू रीति-रिवाज़ में कुत्ते को भैरव की संज्ञा दी गयी है, उनको बहुत >>>

पशुओं में गर्भपात के प्रमुख कारण एवं निवारण
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में गर्भपात के प्रमुख कारण एवं निवारण

पशुओं में गर्भपात की समस्या पशुपालकों की अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी नकारात्मक प्रभाव डालती है जैसे- भविष्य की पीढ़ी की हानि, 2 बच्चों के जन्म के मध्य अधिक समय >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय एवं भैंस में मसृणित गर्भ की पहचान एवं उपचार

गाय एवं भैंसों में अधिकांशत गर्भावस्था के 4 से 6 महीने के बाद बच्चे की मृत्यु हो जाती है तथा जीवाणु या विषाणु का संक्रमण हो जाने से बच्चे का शरीर धीरे धीरे सड़ता या पचता रहता है इसे बच्चे का मेसीर >>>