पशुपालन समाचार

स्पेशल स्टोरी: उम्मीद बनकर उभरा बिहार वेटनरी कॉलेज का पशु चिकित्सालय

उम्मीद बनकर उभरा बिहार वेटनरी कॉलेज का पशु चिकित्सालय महात्मा गाँधी ने कहा था की ‘किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति सिर्फ इस बात से तय की जा सकती है कि वहां निरीह पशु-पक्षियों के साथ कैसा >>>

पेट केयर

श्वानों की प्रजनन संबंधी समस्याएं

हमारे समाज में श्वान पालकों की संख्या के साथ-साथ, श्वनों की मांग बढ़ती जा रही है, जिसे पूरा करने के लिए इनका प्रजनन नियमित व सामान्य होना अति आवश्यक है। श्वानो के स्वास्थ का सीधा संबंध उनके शरीरिक >>>

पेट केयर

कुत्ते और बिल्लियो में मधुमेह

मधुमेह सामान्य रूप से कुत्तों में अधिक पाया जाता है, लेकिन आजकल बिल्लियों में भी यह बीमारी पाई जाने लगी है। पैकेट पशु आहार इसके लिए अधिक जिम्मेवार है। पालतू पशुओं में मधुमेह का प्रमुख लक्षण यह है कि >>>

पेट केयर

श्वानो में प्रजनन संबंधी जानकारियाँ

आज कल के समय में श्वान पालन काफी लोकप्रिय हुआ है जिसके साथ ही श्वान प्रजनन केंद्र भी एक व्यवसाय के तौर पर उभर कर आए है। ऐसे में श्वानों से जुड़ी प्रजनन संबंधी जानकारियाँ श्वान पालकों व श्वान प्रजनन केंद्र व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए >>>

पशुपालन समाचार

कैनाइन ग्रूमिंग और स्पा पर कार्यशाला का आयोजन

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में पेट्स के ग्रूमिंग और स्पा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होनें वाले अकौता या एक्जीमा-त्वचा रोग एवं उससे बचाव

अकौता या एक्जीमा-त्वचा रोग पशुओं की त्वचा पर होने वाला एक असंक्रामक सोजश रोग होता है। इससे प्रभावित पशु के शरीर के प्रभावित स्थान पर पपड़ीदार दरारें पड़ जाती है। प्रभावित पशु को खुजली का अनुभव होता >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रेबीज: एक जानलेवा बीमारी

रेबीज एक घातक बीमारी है, जो कि एक विषाणु के कारण होती है। ये विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में पाया जाता है। यह एक पशुजन्य रोग यानि जूनोटिक बीमारी है। जो बीमारी इंसानों से जानवरों और जानवरों से इंसान >>>

पेट केयर

स्वान पालन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

स्वान पालन: जन्म के तुरंत बाद शीघ्र अतिशीघ्र पिल्लो को उसकी मां का पहला दूध पिलाने से पिल्लों या पप के शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता मिलती है जो उसके जीवन पर्यंत काम आती है। जन्म के 2 सप्ताह बाद से >>>