पशुओं में ‘सिस्टायटिस रोग’
पशुओं में वृक्क तंत्र से संबंधित कई रोग पाए जाते हैं। इनमें से ही एक है ‘सिस्टाइटिस रोग’। आज हम जानेंगे कि यह रोग क्या है, किसमें होता है, किन कारणों से होता है, कैसे होता है, इसके लक्षण क्या हैं >>>
पशुओं में वृक्क तंत्र से संबंधित कई रोग पाए जाते हैं। इनमें से ही एक है ‘सिस्टाइटिस रोग’। आज हम जानेंगे कि यह रोग क्या है, किसमें होता है, किन कारणों से होता है, कैसे होता है, इसके लक्षण क्या हैं >>>
जब किसी स्वस्थ पशु की आकस्मिक मृत्यु होती है तो उसमें विषाक्तता का संदेह उत्पन्न होता है। यह विषाक्तता कोई जहरीला रसायन खाने से अथवा चारे के साथ जहरीले पौधे खाने से होता है। पशुपालकों को मुख्य >>>
पशुओं को बचा हुआ सड़ा,बासी खाना देना तथा कवकअफलाटॉक्सिकोसिस/ फफूंदी लगी हुई चीजें खिलाना एक आम बात है। यह कवक/ फफूंदी माइकोटॉक्सिंस उत्पन्न करती है जो मनुष्य व पशुओं के लिए अत्यंत हानिकारक है। अक्सर >>>
सार पशुधन में निम्न जैव सुरक्षा के कारण पशुओं में अपरिहार्य स्वास्थ्य और उत्पादन होता >>>
यह रोग मूत्र तंत्र का ऐसा रोग है जिसमें पीड़ित पशु पेशाब करने में दर्द >>>
भारत में लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण परिवेश में निवास करती है। ग्रामीण परिवेश में पशुपालको की आजिविका कृषि व पशुपालन पर आधारित होती है। ग्रामीण क्षेत्र में गाय-भैंस का पालन ज्यादा मात्रा में किया >>>
घेंघा या गलगण्ड आयोडीन खनिज की कमी से होने वाला एक ऐसा रोग है जिसमें मूलग्रन्थि (थाइरोइड ग्रन्धि) का आकार बड़ा हो जाता है। नवजात बच्चों में जन्म के समय इस रोग के लक्षण देखे जा सकते हैं। इसका कारण >>>
पशुओं में पैरोटिड, मैंडीबुलर और सब-लिंगुवल एक एक जोड़ी लार ग्रंथियां होती हैं परंतु अधिकांशत: इनमें पैरोटिड ही अकसर प्रभावित होती है इसीलिए इसे पैरोटाइटिस कहा जाता है जो अंत में अक्सर फोड़े के रूप >>>
कॉन्टेजियस बोवाइन प्लयूरो न्यूमोनिया गायों में पाया जाने वाला एक अति संक्रामक रोग है जिसमें फेफड़ों एवं फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लयूरा अत्याधिक प्रभावित होती है। भारत में यह रोग पूर्वी राज >>>
हमारे देश की अर्थव्यवस्था में पशु पालन व्यवस्था का एक अलग ही महत्व है। लेकिन पशुओं में बांझपन की समस्या पशुपालन व्यवस्था में बडे़ नुकसान के लिए जिम्मेदार है। बांझ पशुओ को पालना मतलब आर्थिक बोझ को बढ़ >>>
विटामिन एक प्रकार के कार्बनिक तत्व होते हैं जो शरीर की सभी क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं। यह रसायन स्वस्थ्य जीवन यापन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। >>>
किलनी तथा जूँ से सभी आयु तथा प्रकार के पशु प्रभावित होते हैं। भैसो में किलनी कम मिलती हैं परन्तू इनमें जूँ अत्यधिक मात्रा में मिलती हैं। किलनी प्रायः गर्मी एवं वर्षा ऋतु में अधिक होती हैं। किलनियाँ >>>
पशु के शरीर में विभिन्न प्रकार के परजीवी निवास किया करते हैं। अपने भोजन के लिए ये दूसरे जीव के शरीर पर निर्भर रहते हैं। अतः जिस पशु के शरीर में ये निवास करते हैं , उस पशु के स्वास्थ्य में कुप्रभाव >>>
थनैला रोग एक विश्वब्यापी बीमारी है जो केवल दुधारू पशुओं को ही प्रभावित करती है। यह रोग प्रमुखतः कुप्रबन्धन के कारण होती है। इस रोग में पशु की दूध उत्पादन क्षमता एवं दूध की गुणवत्ता विशेषकर वसा की मात्रा सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। >>>