पशुओं की बीमारियाँ

गाय भैंसो में थनैला रोग बन रहा बड़ा संकट: जानें कैसे करे उपचार

थनैला एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग दूध देने वाले पशुओं एवं उनके पशुपालको के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह बीमारी समान्यतः गाय, भैंस, बकरी एवं सूअर समेत लगभग सभी पशुओं में पायी जाती है, जो अपने >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बाह्य परजीवी: पशुपालन के लिए बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान

परजीवी एक ऐसे जीव होते हैं जो किसी अन्य जीव, जिसे ‘मेजबान जीव’ कहते हैं, के अन्दर या बाहर रहते हैं व मेजबान जीव के भोजन या शरीर पर आश्रित रहते हैं (बैनीवाल एवं खोखर 2012, CDC 2016)। शरीर के अंदर >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लूरोन्यूमोनिया, कारण, उपचार एवं बचाव

इस बीमारी को सीबीपीपी, लंग प्लेग, तथा लंग सिकनेस भी कहते हैं। यह गायों में पाए जाने वाला जीवाणु जनित अत्यंत संक्रामक रोग है। जिसमें फेफड़े व फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लूरा प्रभावित होती है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं का घातक रक्त परजीवी रोग: थिलेरियोसिस कारण एवं निवारण

पशुओं को अत्याधिक हानि पहुंचाने वाले घातक रोगों में से एक है थीलेरियोसिस। यह रोग थिलेरिया अनुलेटा नामक रक्त में पाए जाने वाले परजीवी, से होता है। यह परजीवी हायलोमा नामक किलनी या कलीली द्वारा फैलता >>>

पशुओं की बीमारियाँ

प्रयोगशाला परीक्षण हेतु प्रतिदर्शियों/ स्पेसिमेनस का चुनाव तथा प्रेषण

जीवाणु, विषाणु तथा रिकेट्सियल रोगों के निदान की पुष्टि प्रयोगशाला में ही की जा सकती है तथा इस कार्य हेतु पशु चिकित्साविद को, वस्तुओं के एकत्रीकरण तथा उन्हें भेजने के सही ढंग ज्ञात होना अति आवश्यक है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

ग्लैंडरस एवं फारसी रोग एक खतरनाक पशुजन्य/ जूनोटिक बीमारी

ग्लैंडरस एवं फारसी रोग घोड़ों, गधों, टट्टुओ व खच्चरों में पाया जाने वाला एक जीवाणु जनित संक्रामक एवं पशुजन्य अर्थात जूनोटिक रोग है जो कि बरखोलडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से उत्पन्न होता है। यह बीमारी >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कीटोसिस दुधारू पशुओं का एक चपापचई रोग

कीटॉसिस पशुओं का एक चपापचई रोग है जिसे ऐसीटोनीमिया भी कहते हैं। जो पशु के ब्याने के बाद कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह में होता है। इस रोग में रक्त में ग्लूकोज की कमी एवं कीटोन बॉडीज की अधिकता तथा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के विभिन्न रोगों में जांच हेतु एकत्र किए जाने वाले स्पेसिमेन पदार्थ

जीवाणु एवं कवक जनित बीमारियां एंथ्रेक्स: गाय तथा भैंस के कान की शिरासे रक्त फिल्म, घोड़ा सूकर तथा कुत्ते में सबक्यूटेनियस स्वेलिंग से इसमीयर, अगर कार्कस खोला गया हो तो स्प्लीन से इसमियर, तथा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

परजीवियों के अन्तःसहजीवक (एंडोंसिमबायोन्ट): एक वैकल्पिक परजीवी नियंत्रण लक्ष्य

भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है जिसकी आबादी का लगभग 70 प्रतिशत कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्र पर निर्भर है। भारत का पशुधन क्षेत्र, दुनिया में सबसे बड़ा है। परजीवी रोग, भारत सहित विश्वव्याापी >>>

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मादा पशुओं में प्रसव के पहले होने वाला गर्भपात रोग

पशुओं में गर्भावस्था के पूर्ण होने से पहले, जीवित अथवा मृत भ्रूण का मादा शरीर से बाहर निकलना गर्भपात कहलाता है। मादा पशुओ में गर्भपात के तीन प्रमुख कारण होते है- मादा पशुओं को गर्भावस्था के समय लग >>>

पशुओं की बीमारियाँ

मादा पशुओं में योनि का बाहर आना

मादा पशुओं में गर्भकाल के सातवें से नौवें महीने में प्रायः योनि का कुछ भाग उलटकर बाहर आ जाता है। कभी-कभी मादा पशु के अत्यधिक जोर लगाने के कारण प्रसव के बाद भी यह स्थिति दिखाई पड़ती है। कारण: इसके >>>

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दुधारू पशुओं में गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं एवं निदान

मानव जीवन में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका हैं क्योकि “दूध एक सम्पूर्ण आहार है” इसकी प्रतिपूर्ति हेतु गायों और भैसों का स्वस्थ्य होना नितांत आवश्यक हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली कुछ समस्याएं जैसे >>>

पशुपालन

शुष्क व पारगर्भित मादाओं का प्रबन्धन

शुष्क काल व पारगर्भित अवधि ऐसी अवधि होती है, जिसमें दुग्ध दोहन बंद करना, शुष्क मादा की देखभाल व ब्याने के बाद दोबारा मादा का दुग्ध दोहन किया जाता है। शुष्क मादा दो दुग्ध काल के बीच गर्भित मादा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशु के ब्याने के पश्चात गर्भाशय का संक्रमण: (प्यूरपेरल मेट्राइटिस)

पशु के ब्याने के बाद, जेर रुकने के कारण गर्भाशय का संक्रमण अर्थात प्यूरपैरल मेट्राइटिस हो सकती है। पशु के ब्याने के बाद भूरे रंग का बिना बदबूदार स्राव सामान्य रूप से आता है। अतः पशु के ब्याने के >>>