नियमित ब्यात अधिक उत्पादन
पशुपालन

नियमित ब्यात अधिक उत्पादन

भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। पशुपालन को लाभदायक बनाने हेतु हमारे पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे अपने पशुओं से अधिक आय प्राप्त करने के लिए नियमित ब्यात अधिक उत्पादन >>>

पशुपालन

गर्भावस्था के दौरान भैंसों की देखभाल और प्रबंधन

पशुपालन व्यवसाय में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए भैंसों का नियमित अंतराल पर ब्याना आवश्यक है। पशुओं के स्वास्थ्य तथा संतुलित आहार का जन्म से ही समुचित ध्यान रखने से वह कम उम्र में ही गर्भाधारण >>>

कृत्रिम गर्भाधान AI
पशुपालन

देशी संकर गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का उपयुक्त समय एवं कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व ध्यान देने योग्य मुख्य बिन्दु

कृत्रिम गर्भाधान हमेशा अण्डक्षरण के कम से कम 10 -12 घण्टे पूर्व करना सफल निषेचन हेतु अति आवश्यक है। देशी गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का सर्वाधित उपयुक्त समय ऋतु काल के प्रारम्भ होने के बाद 6 >>>

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन
पशुपालन

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भ >>>

Cervicitis
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में गर्भाशय ग्रीवा का शोथ (Cervicitis): कारण एवं निवारण

गाय-भैंसों में गर्भाशय ग्रीवा की सूजन, गर्भाशयशोथ (Cervicitis) के कारण होती है। इसके अतिरिक्त असामान्य प्रसव, गर्भपात, समय से पहले बच्चा देना, कठिन प्रसव या फिटोटोमी के समय, बच्चे की ज्यादा खींचतान >>>

कृत्रिम गर्भाधान Artifitial insemination AI in animals
पशुपालन

अनुवांशिकी उन्नयन में कृत्रिम गर्भाधान की भूमिका

कृत्रिम गर्भाधान के कारण के प्रजनन के संबंध में सही लेखा जोखा रखना संभव होता है। इससे कौन से सांड़ की संतान अधिक लाभदायक प्रगतिशील है। इसकी प्रोजनी टेस्टिंग >>>

पशुओं में गर्भाशय की जड़ता कारण एवं निवारण
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में गर्भाशय की जड़ता: कारण एवं निवारण

यदि बच्चा देने की शुरुआत होने पर या बच्चा देने के समय गर्भाशय के संकुचन कमजोर हो या अनुपस्थित हो तो इस स्थिति को गर्भाशय की जड़ता अर्थात यूटेराइन इनरशिया कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है प्राथमिक >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में जेर रुकने की समस्या: कारण एवं समाधान

पशुओं में जेर रुकने की समस्या: ब्याने के 8 से 12 घंटे तक जेर यदि अपने आप नहीं निकलती तभी इसे जेर का रुकना माना जाता है। >>>

अप्रैल/ चैत्र माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
पशुपालन

अप्रैल/ चैत्र माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

जायद के हरे चारे की बुवाई करें एवं बरसीम चारा बीज उत्पाद हेतु कटाई करें। अधिक आय हेतु स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें। 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कराए गए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराएं। जो पशु गर्भित >>>

पशुपालन

डेयरी पशुओं में गर्भ की शीघ्र पहचान का महत्व एवं उसकी विधियां

पशुओं में प्राकृतिक अथवा कृत्रिम गर्भाधान के पश्चात गर्भ की शीघ्र पहचान करना आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। इसमें समय की बचत पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाना चाहिए, अर्थात जितनी जल्दी ह >>>

पशुपालन से सही लाभ अर्जित करने हेतु आवश्यक है तकनीकी ज्ञान
पशुपालन

पशुपालन से सही लाभ अर्जित करने हेतु आवश्यक है तकनीकी ज्ञान

खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन ग्रामीण आंचल में आजीविका का एक मुख्य साधन है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। शिक्षा प्राप्ति ही एक ऐसा साधन है जो मनुष्य को अन्धकार >>>

डेरी पालन

कृत्रिम गर्भाधान के नये आयाम

कृत्रिम गर्भाधान में कृत्रिम विधि से नर पशु से वीर्य एकत्रित करके मादा पशु की प्रजनन नली में रखा जाता है। सबसे पहले 1937 में पैलेस डेयरी फॅार्म मैसूर में यह किया गया था, आज पूरे देश में पशुओं में यह >>>

पशुपालन समाचार

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में “मैत्री” के 90 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत तथा उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् लखनऊ द्वारा वित्तपोषित ‘‘मल्टीपर्पज आर्टीफिशिअल इन्सेमिनेशन टेक्नीशियन इन रूरल इंडिया” (मैत्री) के 90 दिवसीय प्रशि >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियां

पशुओं के अंतिम तीन महीने तथा प्रसव काल की अवधि जोखिम भरी होती है, इसलिए पशुपालकों को पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियों की जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों को टाला >>>