पशुपालन

पशुओं में निश्कलीकायन एवं सींग काटने के लाभ

प्रस्तावना पशु प्रबंधन पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण अभिन्न अंग है, जिसके सही संयोजन से पशुपालक न केवल आर्थिक लाभ को प्राप्त करता है वरण समाज में एक प्रोत्साहन के उदाहरण के रूप में जाना जाता है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लूरोन्यूमोनिया, कारण, उपचार एवं बचाव

इस बीमारी को सीबीपीपी, लंग प्लेग, तथा लंग सिकनेस भी कहते हैं। यह गायों में पाए जाने वाला जीवाणु जनित अत्यंत संक्रामक रोग है। जिसमें फेफड़े व फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लूरा प्रभावित होती है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में बांझपन के कारण एवं निवारण

बांझ एक ऐसे मादा पशु को कहा जाता है जो बच्चा देने में असमर्थ हो। कोई भी मादा पशु जब परिपक्वता को प्राप्त करती है तो मादा के जनन अंगों से डिंब निकलने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इसके दौरान मादा पशु >>>

पशुपालन

पशुओं के नवजात बच्चों का प्रबंधन

कुछ नवजात बच्चों में तो जन्म के बाद फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर पाते हैं और सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसा अधिकतर कठिन प्रसव के बाद होता है। >>>

पशुपालन समाचार

केंद्रीय मंत्रियों ने संयुक्त रूप से गोबरधन योजना को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन का एकीकृत पोर्टल शुरू किया

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री गिरीराज सिंह >>>

पशुपालन

सर्दिओ में जरा सी लापरवाही पशुओ पर पड़ सकती है भारी

ठण्ड के मौसम में किसान अपने पशुओ की देखभाल में विशेष एहतियात बरते , ताकि पशुओ के दुग्ध उत्पादन पर बदलते मौसम का असर न पड़े। सर्दी के मौसम में यदि पशुओ के रहन सहन और आहार का ठीक प्रकार से प्रबंध नहीं >>>

पशुओं की बीमारियाँ

मादा पशुओं में प्रसव के पहले होने वाला गर्भपात रोग

पशुओं में गर्भावस्था के पूर्ण होने से पहले, जीवित अथवा मृत भ्रूण का मादा शरीर से बाहर निकलना गर्भपात कहलाता है। मादा पशुओ में गर्भपात के तीन प्रमुख कारण होते है- मादा पशुओं को गर्भावस्था के समय लग >>>

पशुओं की बीमारियाँ

मादा पशुओं में योनि का बाहर आना

मादा पशुओं में गर्भकाल के सातवें से नौवें महीने में प्रायः योनि का कुछ भाग उलटकर बाहर आ जाता है। कभी-कभी मादा पशु के अत्यधिक जोर लगाने के कारण प्रसव के बाद भी यह स्थिति दिखाई पड़ती है। कारण: इसके >>>

पशुपालन

मादा पशुओं में गर्भ निर्धारण की विधियां

मादा पशुओं में गर्भ निर्धारण का प्रमुख उद्देश्य गाभिन न हो ले पशुओं की जाँच करना तथा उनकों जल्दी से जल्दी सामान्य ऋतु चक्र में लाकर गर्भ धारण करना है। जिससे मादा पशुओं में दो बच्चों के बीच का अन्तर >>>

पशुपालन

सर्दियों में डेयरी पशुओं की देखभाल

भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है। भारत की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वाला पशुपालन व्यवसाय कृषि का एक महत्तवपूर्ण अंग है। भारत विविधताओं का देश तो है ही जहाँ पर विभिन्न प्रकार के मौसम भी >>>

पशुओं की बीमारियाँ

मादा पशुओं में प्रसव अवरोध

मादा पशुओं में प्रसव के समय भ्रूण के बाहर निकलने मे अवरोध उत्पन्न हो जाता है। मादा पशु के द्वारा उत्याधिक जोर लगाने पर भी भ्रूण बाहर नही निकलता है। इस अवस्था में भ्रूण के सिर , पैर या शरीर का कुछ >>>

पशुपालन

ग्याभिन गाय-भैंस की देखभाल

जब एक व्यस्क मादा को कामोत्तेजना उपरांत गर्भधारण करवाया जाता है और उसमें उसके बाद कामोत्तेजना के लक्षण दिखायी नहीं देते हैं तो उसे गर्भित माना जाता है। फिर भी गर्भ को सुनिश्चित करने के लिए योग्य >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओं में गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं एवं निदान

मानव जीवन में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका हैं क्योकि “दूध एक सम्पूर्ण आहार है” इसकी प्रतिपूर्ति हेतु गायों और भैसों का स्वस्थ्य होना नितांत आवश्यक हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली कुछ समस्याएं जैसे >>>

पशुपालन

शुष्क व पारगर्भित मादाओं का प्रबन्धन

शुष्क काल व पारगर्भित अवधि ऐसी अवधि होती है, जिसमें दुग्ध दोहन बंद करना, शुष्क मादा की देखभाल व ब्याने के बाद दोबारा मादा का दुग्ध दोहन किया जाता है। शुष्क मादा दो दुग्ध काल के बीच गर्भित मादा >>>