पशुओं की बीमारियाँ

थनैला रोग एवं इससे बचाव

थनैला रोग के कारण पशुओं के दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध वसा में कमी आ जाती है साथ ही साथ पशुओं को अनुउत्पादक भी बना देता है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव डेरी उद्योग पर पड़ रहा है। >>>

पशुपालन

भारतीय एवं यूरोपियन गायों में तुलनात्मक अंतर

आज की गाय एक जंगली प्राणी के रूप में मानव निर्माण के करोड़ों वर्ष पूर्व प्रकृति में विकसित हुई है। भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली देशी गाय और यूरोप की जर्सी, हॉलस्टीन इत्यादि, गायों का मूल 1.5 लाख साल पहले एक ही था >>>

डेरी पालन

डेयरी व्यवसाय का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

डेयरी व्यवसाय की सफलता मुख्यता दुधारू पशुओं पर निर्भर करती है। इसलिए दुधारू पशुओं का रखरखाव उनका निवास स्थान, खानपान एवं स्वास्थ्य प्रबंधन समुचित होना चाहिए >>>

डेरी पालन

अमृततुल्य दूध: ए1 और ए2 दूध के मिथक और तथ्य

ए1 और ए2 दूध क्या है? ए1 बीटा-कैसिन दूध में 67वें स्थान पर हिस्टडीन एमीनो एसिड होता है जबकि ए2 दूध में उस स्थान में प्रोलिन होता है। इन्ही दोनों अणुओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के कारण विश्व व्यापी तर्क-वितर्क चल रहा है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुपालक भी समझें पशुओं के मौलिक स्वास्थ्य निरीक्षण का महत्व

स्वस्थ पशुधन, पशुपालक की खुशहाली का प्रतीक है। सभी पशुपालक चाहते हैं कि उनका पशुधन स्वस्थ रहे ताकि उनका पशुधन निरोगी रहे और रोगों पर खर्च होने वाले धन को कम किया जा सके। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय भैसों में रिपीट ब्रीड़ींग की समस्या: कारण व निवारण

भारतीय कृषकों की आय के प्रमुख स्रोत खेती व पशु उत्पाद, मुख्यतः दुग्ध है। अतः पर्याप्त आय हेतु उच्च खेती के साथ रोग मुक्त पशुधन भी आवश्यक है। गोपशुओं की दुग्ध अत्पादकता व अन्ततः कृषक आय प्रभावित होने पर दुग्ध उत्पादकता व अन्ततः कृषक आय प्रभावित होती है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या एवं उसका समुचित प्रबंधन

दुधारू पशु हमारे गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है वे वास्तव में गांव की तरक्की की कुंजी है। पशुपालक भाइयों के लिए पशुधन से बड़ा कोई धन नहीं होता है। पशुपालन पशुपालकों की आमदनी और रोजगार का विश्वस्त माध्यम है। >>>

पशुपालन

पशुओं की देखभाल में बरते जाने वाली विशेष सावधानियां (वर्षा ऋतु में)

बरसात के मौसम में हमें अपने पशुओ का खास/विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मौसम में एक तरफ जहाँ हमें तथा हमारे पशुओ को गर्मी से राहत मिलती है, वही दूसरी तरफ इस मौसम में पशुओ के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम मे वातावरण में अधिक आर्द्रता तथा तापमान में उतार चढ़ाव के कारण पशुओ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। >>>

डेरी पालन

हरियाणा का काला सोना : मुर्राह भैंस

मुर्राह नस्ल विश्व की सबसे अधिक दुग्धोत्पादन करने वाली भैंस है जिसको हरियाणा राज्य का गौरव कहा जाता है। उच्च विक्रय दाम होने के कारण मुर्राह भैंस को हरियाणा का काला सोना कहते हैं। दिल्ली के आसपास होने के कारण इसे दिल्ली नस्ल भी कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

फूटराट/ खुर पकना/ इनफेक्शियस पोडोडर्मेटाइटिस के कारण लक्षण एवं उपचार

यह पशुओं के खुरों का संक्रामक रोग है जिसमें खुरों के बीच में सूजन, घाव बन जाना तथा कुछ भाग मृत हो जाता है। यह लक्षण खुर के थोड़ा ऊपर वाले कोरोनरी भाग, व पीछे भी दिखाई पड़ते हैं। सामान्य भाषा में इसे खुर पकना कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में क्षयरोग (ट्यूबरक्लोसिस) एवं जोहनीजरोग (पैराट्यूबरक्लोसिस) के कारण, लक्षण एवं बचाव

क्षय रोग अर्थात तपेदिक या टी0बी0/ ट्यूबरकुलोसिस दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। पशुओं में यह रोग माइकोबैक्टेरियम बोविस तथा मनुष्यों में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

लम्पी स्किन डिजीज (LSD)- गांठदार त्वचा रोग

लम्पी स्किन डिजीज Lumpy Skin Disease (LSD) या गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडी के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस के रूप में भी जाना जाता है। यह जानवरों के बीच सीधे संपर्क द्वारा, आर्थ्रोपोड वैक्टर (मक्खियों, मच्छरों, जूं) के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के कारण पशुपालन उद्योग को दूध की पैदावार में कमी, गायों और सांडों के बीच प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात, क्षतिग्रस्त त्वचा और खाल, वजन में कमी या वृद्धि और असामयिक मृत्यु होती है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गायों-भैंसों में योनि बाहर निकलने की समस्या एवं घरेलु उपचार

मादा गायों एवं भैंसों में योनि का शरीर से बाहर निकलना, पशुओं के लिये तो बहुत ही कष्टदायी होता है जबकि पशुपालकों को भी अपने पशु के इलाज के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इस समस्या को शरीर दिखाना, पीछा निकालना, फूल दिखाना, गात दिखाना इत्यादि कहा जाता है लेकिन शाब्दिक रूप से इस समस्या को योनि भ्रंश कहते हैं। >>>

पशुपोषण

अपने गाय और भैंस को क्या, कितना और कैसे खिलाएं ?

सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि पशुपालक किसान के पास किस तरह के पशु हैं। पशुओं को उसी तरह से खिलाना चाहिए जैसा कि उसकी जरूरत है। जानवर को जितना अच्छा से खिलाएंगे उतनी ही उससे आय प्राप्ति होती है। >>>