ग्रीष्म ऋतू में लगातार तापमान बढ़ रहा है और इसके साथ ही देश भर में कोरोना वायरस महामारी भी सक्रिय है। इस स्थिति में पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन की जरूरत होती है। गर्मी से बचाव के लिए पशुओं का विशेष ध्यान रखने कि जरूरत है तो वहीं कोरोना वायरस महामारी के कारण पशुओं के लिए भोजन मिलना मुश्किल हो रहा है जैसे की चुन्नी, चोकर, खल्ली, दाना इत्यादी।
अभी देश में कोरोना संक्रमण सक्रिय है तो पशुपालकों को इससे बचने के लिए उपाय करना चाहिए। इस स्थिति में किसान को घर पर ही पशुओं के लिए दाना बनाना होगा। किसान समाधान पशुओं को गर्मी के मौसम में सही तरह से देख भाल के साथ घर पर ही पशुचारा बनाने का उपाय लेकर आया है।
गर्मियों में पशुओं का आवास प्रबन्धन
- पशुपालन की सफाई जैसे की हाईपोक्लोराइट व ब्लीचिंग पाउडर 7 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर या 7% लाइजोल के घोल से या पोटाशियम 5 mg प्रति लीटर
- पानी से सुबह – शाम नहलाएं।
- पशुशाला में या पशुशाला के आस – पास खैनी – गुटखा खाकर ना थूकें।
- पशुशाला में जाने से पहले और निकलने के बाद साबुन से हाथ धोयें और मुहं पर मास्क , गमछा, रुमाल और महिला अपने आँचल के पल्लू से ढक लें।
- पशुपालन में उपयोग किये जाने वाले उपकरणों जैसे की ट्रैक्टर, ट्रोली, कुदाल, चारा कटाई मशीन आदि को नियमित रूप से स्वच्छ करें।
प्रबन्धन
- आंतरिक व बाह्य परजीवियों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा का प्रयोग करें। पशुओं को खुरपका–मुंहपका, गलाघोटू और लंगरी ज्वार से बचाव के लिए रक्षाट्रयोवेक का टिका लगवायें। बकरियों में पी.पी.आर का टीका लगवाये।
- पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन इ और सेलेनियन सप्लीमेंट दें। पशु बीमार हो तो स्वस्थ्य पशु से तुरंत अलग कर देख रेख करें , जरूरत पड़ने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
- पशुओं का बीमा अवश्य करवा लें। गाय एवं भैंस को प्रतिदिन नहलाये। पशुओं को बाहर ना निकालें और ना ही पशुओं के साथ यातायात करें।
आहार प्रबंधन
- पशुओं को स्वच्छ और ताजा पानी भरपूर मात्रा में दें, जिससे पशुओं की पूरी शारीरिक प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और दुग्ध उत्पादन में किसी प्रकार की कमी न हो। पशुओं के संतुलित आहार में 50 ग्राम मिनिरल पाउडर व 20 ग्राम नमक रोजाना दें।
- पशुओं को हरे चारे के साथ सुखा चारा मिलाकर खिलाए। गेहूं के भूसे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए यूरिया से उपचारित करें (100 किलो ग्राम भूसे को उपचारित करने के लिए 4 किलो ग्राम यूरिया को 40 लीटर पानी में घोल बना के छिडकाव करें)।
- हरे चारे के लिए ज्वार, मक्का व लोबिया की बिजाई करें। पशु ब्याने के दो घंटे के अंदर नवजात बछड़े व बछ्डियों को खीस अवश्य पिलाए जिससे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। फसल अवशेष पराली न जलाए व उसे पशु चारा के रूप में उपयोग करें। दुधारू पशुओं को 2.5 लीटर दूध उत्पादन पर एक किलोग्राम मिश्रित दाना देना चाहिए।
पशुपालक घर पर ही पशु आहार बना सकते हैं। किसान घर पर इस प्रकार से पशुओं के लिए संतुलित आहार बना सकते हैं:
- अनाज: मक्का / गेहूं / जई / बाजरा / टूटे चावल- 30 भाग
- खली: सरसों / तिल / तीसी (अलसी- 30 भाग
- चोकर, भूसी, चुन्नी (गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, चने की चुन्नी का युग्म )- 36 भाग
- नमक: 1.5 भाग
- कैल्साइट चूर्ण: 1.5 भाग
- मिनिरल पाउडर: 1 भाग
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