श्वानो में प्रजनन संबंधी जानकारियाँ

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आज कल के समय में श्वान पालन काफी लोकप्रिय हुआ है जिसके साथ ही श्वान प्रजनन केंद्र भी एक व्यवसाय के तौर पर उभर कर आए है। ऐसे में श्वानों से जुड़ी प्रजनन संबंधी जानकारियाँ श्वान पालकों व श्वान प्रजनन केंद्र व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होंगी। सामान्यतः श्वान 8-12 माह की आयु मे यौवनावस्था को प्राप्त करते  है। मादा श्वानों का मदचक्र व मदकाल अन्य पशुओं की तुलना में अधिक लंबी अवधी का होता है जो यौवनावस्था प्राप्त करते ही प्रारंभ हो जाता है। मदचक्र प्रजनन अंगों के समन्वय से निश्चित अंतराल मे चलने वाली चक्रीय अवस्था हे, मादा श्वान सामान्यतः वर्ष में एक बार मदकाल दर्शाती है तथा कुछ मादा श्वानों की नस्ल वर्ष में दो बार मदकाल दर्शाती है। मदकाल वह समय है जब मादा नर के साथ प्रजनन के लिया तैयार होती है। इनके मदचक्र में मुख्यतः चार चरण होते है, मद चक्र के चार चरण निम्न प्रकार हे :

  1. प्रोइस्टर्स:- यह अवस्था 9 दिनों की होती हे इसका प्रमुख लक्षण योनि से रक्त स्त्राव का होना है, क्योंकि इस चरण मे प्रोजेस्टरोंन हॉर्मोन की उपलब्धता मे कमी होती हे जिसके कारण रक्त स्त्राव होता है। नर श्वान मादा श्वान की ओर आकर्षित होते है, परंतु मादा श्वान प्रजनन के लिया तैयार नहीं होती।
  2. इस्टर्स:- ये चरण भी 9 दिनों  का  होता हे इस चरण मे मादा श्वान नर श्वान के साथ प्रजनन के लिए तैयार होती हे। इसी चरण के प्रथम दो दिवसों मे अंडोत्सर्जन की प्रक्रिया होती हे।
  3. मेटइस्टर्स /डाइस्टर्स:- ये चरण लगभग 60 दिनों का होता है इसमे मादा श्वान किसी प्रकार की प्रजनन प्रक्रिया नहीं दर्शाती हे। इस चरण मे प्रोजेस्टरोंन हॉर्मोन की अधिकता होती है।
  4. एनइस्टर्स:- ये चरण लगभग 90-150 दिनों का होता हे इसमे मादा श्वान की प्रजनन प्रक्रिया निष्क्रिय होती हे। प्रोजेस्टरोंन हॉर्मोन की उपलब्धता अधिक होती है ।
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मद काल के लक्षण एवं जाँच

मदकाल मे आने के पूर्व 9 दिन तक रक्त स्त्राव दर्शाती हे। योनि मे सूजन तथा गीलापन होता हे। मद चक्र के चरणों की जाँच वैजाइनल साइटोलॉजी विधि द्वारा की जा सकती हे। इसमें योनि से स्वेब द्वारा नमूने लेकर प्रयोगशाला मे स्टेनिंग कर उपस्थित कोशिकाओ की गाणना कर मद चक्र के चरणों का पता लगाया जाता है। मद काल के समय लगभग 80% तक कोर्नीफाइड कोशिकाए उपस्थित होती है।

प्रजनन प्रबंधन

मादा श्वान के मदकाल दर्शाने के प्रथम दो दिवसों के अंदर अंडोत्सर्जन की प्रक्रिया होती हे अतः रक्त स्त्राव बन्द हो जाने के पश्चात प्रथम दिन मादा श्वान को नर  श्वान से संयोग करवाना चहीए तथा एक दिन के अंतराल पर तीन से चार बार संयोग करवाना चाहिए व लॉकिंग की प्रक्रिया का होना सुनिश्चित करना चाहिए।

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गर्भावस्था की जाँच

मादा श्वानों का गर्भकाल लगभग 60 दिनों का होता हे। इनमे गर्भावस्था की जाँच अल्ट्सोनोग्राफी विधि की सहायता से प्रजनन क्रिया के 30 दिनों के पश्चात की जा सकती है। अल्ट्सोनोग्राफी परीक्षण के पूर्व मादा श्वान को उचित मात्रा में पानी पिलाना चाहिए जिससे उचित परीक्षण करने में सहायता मिलती है। रेडियोलॉजी (एक्स-रे) विधि से 45 दिनों की गर्भावस्था की जाँच की जा सकती है।

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