पशुओं में ‘सिस्टायटिस रोग’

5
(122)

पशुओं में वृक्क तंत्र से संबंधित कई रोग पाए जाते हैं। इनमें से ही एक है ‘सिस्टाइटिस रोग’। आज हम जानेंगे कि यह रोग क्या है, किसमें होता है, किन कारणों से होता है, कैसे होता है, इसके लक्षण क्या हैं तथा यदि यह रोग हो जाए तो इसका निदान, उपचार एवं रोकथाम कैसे संभव है। आज हम इस रोग से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे।

और देखें :  मानसून के मौसम में गाय-भैंस में होने वाले प्रमुख रोग व निवारण

सिस्टायटिस रोगक्या है?

मूत्राशय के शोथ को सिस्टायटिस रोग कहा जाता है।

किसमें होता है?

यह रोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली इत्यादि में हो सकता है। जहां एक ओर मादा पशु में मूत्रमार्ग छोटा होता है अतः किसी भी प्रकार का संक्रमण मूत्राशय में आसानी से पहुँच सकता है, वहीं दूसरी ओर नर पशु में मूत्रमार्ग लंबा व संकरा होता है जो कि संक्रमण के मूत्राशय में पहुंचने में बाधा डालता है। इसलिए यह रोग मादा पशु में अधिक पाया जाता है।

कारण  

यह रोग जीवाणु, विषाणु, कवक आदि के संक्रमण, ब्रेकन फर्न के दीर्घकालिक सेवन, विभिन्न रसायन जैसे कि साइक्लोफॉस्फोमाईड, कैंथरिडिन आदि, संक्रमित केथिटर, अर्बुद, एलर्जी, चोट, अश्मरी रोग, लंबी गर्भावस्था, कठिन प्रसव, मूत्र का ठहराव, मूत्र मार्ग का आकुंचन इत्यादि कारणों से हो सकता है।

व्याधिजनन

सामान्यतः मूत्र के साथ जीवाणु आदि संक्रमण कारक तत्व बाहर निकल जाते हैं। परंतु अर्बुद, अश्मरी या किसी अन्य कारण से जब मूत्र प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, तब संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह संक्रमण अधिकतर आरोही होता है और इस कारण से सिस्टायटिस रोग हो जाता है।

और देखें :  डिस्ट्रिक्ट पोल्ट्री सोसाइटी का गठन करें तथा लोगो को बकरी पालन, डेयरी पालन से जोड़े- रघुवर दास

लक्षण

त्वरित सिस्टायटिस रोग में थकान, तनाव, बार-बार पेशाब आना, दर्द, पेशाब में मवाद, पेशाब में रक्त का आना, बादली पेशाब, त्वचा का रूखा हो जाना, चलने में परेशानी, रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाना इत्यादि लक्षण देखने को मिल सकते हैं। दीर्घकालिक सिस्टायटिस रोग में भी लक्षण समान ही रहते हैं लेकिन मूत्राशय की दीवार मोटी हो जाती है और वह कम संवेदनशील हो जाती है।

निदान

इस रोग का निदान लक्षणों के आधार पर, पेशाब की जांच, सीरम में यूरिया के स्तर की जांच आदि के द्वारा किया जा सकता है।

उपचार

सर्वप्रथम प्राथमिक कारक का उपचार करें। इस रोग के उपचार हेतु पशु को उचित एंटीबायोटिक दे। पशु को अम्लीय दवाएं दे सकते हैं। उचित द्रव्य पर्याप्त मात्रा में देवें। साथ में दर्द निवारक दवाएं भी दी जा सकती हैं।

रोकथाम के उपाय

  1. पशु को स्वच्छ पानी पर्याप्त मात्रा में पीने के लिए उपलब्ध करावें।
  2. मूत्र प्रणाली के किसी भी प्रकार के संक्रमण का त्वरित उपचार करावें।

उपर्युक्त बातों का ध्यान रखकर हमारे पशुपालक भाई अपने पशुओं को ‘सिस्टाइटिस रोग’ से बचा सकते हैं एवं खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

और देखें :  ब्याने के बाद हीमोग्लोबिनुरिया/ लाल पानी/ लहूमूतना एक खतरनाक बीमारी
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (122 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*