स्क्रब टाइफस: एक पशुजन्य रोग

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स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है। स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है। इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है।

स्क्रब टाइफस संक्रमित रोगियों को बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है। रोग बढ़ने के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है। रोग की गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी दिक्कत हो सकती है। समय पर इलाज न किए जाने पर यह घातक भी हो सकता है।

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स्क्रब टाइफस भारत एवं विश्व में

दक्षिण पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे जाते रहे हैं। जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। कोरोना के इसी संकट के बीच भारत देश में एक और संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में एक गंभीर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। विशेषज्ञों ने इसकी पहचान ‘स्क्रब टाइफस‘ रोग के रूप में की थी। स्क्रब टाइफस मुख्यरूप से माइट्स के काटने के कारण होने वाली बीमारी है। पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों के आस-पास यह कीड़े ज्यादा पाए जाते हैं। बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घनी घास के पास इस माइट्स के काटने का खतरा अधिक रहता है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) के अनुसार, स्क्रब टाइफस भारत के कई हिस्सों में फैल चुका है। इसमें जम्मू से लेकर नागालैंड तक उप-हिमालयी बेल्ट भी शामिल हैं।

रोग वाहक

इस बीमारी के वाहक माइट्स (चिगर्स) होते हैं। ये संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से रोग लोगों में फैलता है।

Scrub Typhus

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स्क्रब टाइफस के लक्षण

  • संक्रमित चिगर्स (माइट्स) के काटने से 15 दिन के अंदर लक्षण नजर आने लगते हैं, रोगियों को ठंड लगने के साथ सिरदर्द व तेज बुखार (102-103 डिग्री फारेनहाइट) होता है।
  • रोगियों को शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है व शरीर में कमजोरी आने लगती है।
  • मुख्यतः इस बीमारी से पीड़ित लोगों में माइट्स के काटने का निशान दिखता है। जिस स्थान पर माइट्स ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं।यब निशान गोल और ब्लैक मार्क होता है तथा कुछ लोगों में इसके निशान नहीं दिखते है।
  • यह रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। कुछ मरीजों में लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती जिससे मरीज बेहोशी की हालत में चला जाता है। तथा प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।
  • रोग की अधिक गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी परेशानी हो सकती है। समय पर इलाज न किए जाने पर यह घातक भी हो सकता है
    स्क्रब टाइफस से बचाव
  • सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संक्रमित चिगर्स के संपर्क से बचकर रहना उचित होता है।
  • जंगलों और झाड़ वाले इलाकों में यह कीड़े अधिक हो सकते हैं, ऐसे में ऐसी जगहों पर जाने से बचें।
  • यदि आपको कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें।
  • ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें। इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है।
  • साफ-सफाई की कमी के कारण यह कीट उत्पन्न हो सकते हैं, जिसके काटने पर लोगों में स्क्रब टाइफस की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  • जहां स्क्रब टाइफस आम है, उन क्षेत्रों में जाने से बचें। साथ ही वहां भी न जाएं जहां बहुत सारी वनस्पतियां और झाड़ियां हैं, क्योंकि वहां भी चिगर पाए जा सकते हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) द्वारा पंजीकृत, कीट विकर्षक का उपयोग करें जिसमें डीईईटी या अन्य सक्रिय तत्व शामिल हों, जो उजागर त्वचा और कपड़ों पर चिगर्स के खिलाफ उपयोग के लिए रिस्टर्ड हों।
  • निर्देशानुसार कीट विकर्षक को लगाएं।
  • कपड़ों को पहनने की साइड से विकर्षक (रेपेलेंट) का छिड़काव न करें।
  • अगर आप भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो (रेपेलेंट) लगाने से पहले सनस्क्रीन लगाएं।
  • यदि आपका कोई बच्चा या बच्चा है, तो उसे छोटे बच्चे को ऐसे कपड़े पहनाएं जिसमें हाथ और पैर ढंके हों तथा शिशुओं को पालना, घुमक्कड़, और शिशु वाहक को मच्छरदानी से ढंकें।
  • छोटे बच्चे के हाथों, आंखों, मुंह, पर या कट हुई त्वचा पर कीट (रेपेलेंट) न लगाएं।
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स्क्रब टाइफस का इलाज

स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, यही कारण है कि लोग इसमें अक्सर भ्रमित हो जाया करते हैं। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर कुछ प्रकार की जांच कराने को कह सकते हैं, जिसके आधार पर संक्रमण का निदान किया जाता है। यदि रोगी में स्क्रब टाइफस के निदान के लिए सामान्यतौर पर उसे कुछ विशेष तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। गंभीर रोग की स्थिति में उपचार के अन्य माध्यमों को प्रयोग में लाया जा सकता है। मरीजों को कम तला-भुना और तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। जिन लोगों के घर के आसपास यह बीमारी फैली हुई है उन्हें डॉक्टर से हफ्ते में एक बार रोग निवारक दवा लेना चाहिए।

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

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