सामान्यतः गाभिन पशुओं में ब्याने के 3-6 घंटे के अंदर जेर स्वतः बाहर निकल आती है, परन्तु यदि ब्याने के 8-12 घंटे के बाद भी जेर नहीं निकला तो उस स्थिति को जेर के रुकने की स्थिति कहा जाता है। जेर की रुकने की समस्या का डेयरी पशु के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
कारण
डेयरी पशुओं जेर रुकने की समस्या आमतौर पर कठिन प्रसव, मिल्क फीवर और जुड़वाँ बच्चे के जन्म से जुड़ा होता है।
लक्षण
- बच्चेदानी के बाहर जेर लटकना देखा जा सकता है।
- जेर के टुकड़े बच्चेदानी के अंदर होने पर हाथ डालकर महसूस किया जा सकता है।
- पशु द्वारा पेट पर बार- बार पैर मारना और दर्द का अनुभव करता है।
- तेज बुखार होना तथा दूध की मात्रा एकदम कम हो जाना।
- बच्चेदानी से दुर्गन्ध का आना।
- अधिक समय बीतने पर बच्चेदानी से मवाद का बाहर निकलना।
- पशु का जेर रुकने के कारण पशु का बैचेन होना।
- पशु का बार -बार उठना तथा बैठना।
बचाव एवं प्रबंधन
- ब्याने से 1-2 माह पूर्व दाना मिश्रण के साथ लगभग 150-250 ग्राम सरसों या मूंगफली का तेल रोजाना देना चाहिए । यह जेर के सही समय पर निकलने में सहायता प्रदान करता है ।
- ब्याने के तुरंत बाद पशु को 0.5-1 किलो गुड़ व गेंहू का दलिया देना चाहिए । इससे जेर निकलने में मदद मिलती है ।
- ये पाया गया है की गर्भावस्था के आखिर महीने में अगर पशु को सेलेनियम और विटामिन दिया जाए और हल्का व्यायाम कराया जाए तो जेर बिल्कुल सही समय पर निकल जाता है ।
निदान
अटके हुए जेर को योनि मार्ग में हाथ डालकर धीरे-धीरे खींचकर निकलने का तरीका कई सालों से प्रयोग किया जा रहा है लेकिन कई शोधो से ये ज्ञात हुआ की इससे बच्चेदानी की नाजुक परत को बहुत नुकसान पहुँचता है। समान्तः यह देखा गया है जेर रुकने के कारण पशु के बच्चेदानी में सूजन आ जाती जिसका उचित उपचार किसी पशु चिकित्स्क से करवाना चाहिए है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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Authors
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पीएचडी शोधकर्ता, पशु प्रजनन, मादा रोग एवं प्रसूति प्रभाग, भा.कृ.अनु.प.– राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा
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आईसीएआर- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत
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