प्रदेश के घोड़ो और खच्चरों को विलुप्त होने से बचाये: डॉ. प्रसाद

5
(541)

प्रदेश में घोड़े और खच्चरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, स्थिति यह है की अब राज्य में मात्र बत्तीस हज़ार घोड़े और खच्चर ही बचे है। अगर इसके संरक्षण और संवर्धन के प्रति गंभीरता से कदम नहीं उठाया गया तो यह प्रजाति प्रदेश से विलुप्त हो जाएगी। उक्त बातें बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय, पटना के डीन डॉ, जे.के. प्रसाद ने कही।वेटरनरी इंटर्नशिप के छात्रों के लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और ब्रूक इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एनिमल वेलफेयर, घोड़े-खच्चरों के प्रबंधन और हैंडलिंग पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में वे बोल रहे थे।

उन्होंने आगे कहा की इनके प्रबंधन और बचाव के प्रति विश्वविद्यालय सजग है और समय-समय पर घोड़े और खच्चरों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन करते आ रही है, जल्द ही विश्वविद्यालय में रिमाउंट वेटरनरी कॉर्प्स का गठन किया जायेगा जिससे वेटरनरी के छात्रों को घोड़े के हैंडलिंग, रख-रखाव, पोषण इत्यादि को करीब से समझने और सिखने का मौका मिलेगा साथ ही राज्य के घोड़े और खच्चरों के मालिको के लिए कई कार्यक्रम और परामर्श की बेहतर व्यवस्था की जाएगी जिससे इनके पालन और संवर्धन के प्रति लोग जागरूक हो सके।

और देखें :  कुक्कुट पालन में छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

और देखें :  देशी पशुओं में भ्रूण प्रत्यारोपण पर प्रशिक्षण का आयोजन

इस अवसर पर ब्रूक इंडिया की डॉ. सरिता नेगी और विकास सक्सेना ने छात्रों को घोड़े और खच्चरों के प्रबंधन और उनको हेंडल करने की बारीकियों से अवगत कराया। इस मौके पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ. रवि रंजन कुमार सिन्हा, डॉ. रमेश कुमार तिवारी, डॉ. अंकेश आदि मौजूद थे।

और देखें :  डेयरी के क्रियाशील खाद्य पदार्थो पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (541 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*