बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में मनाया गया वर्ल्ड वेटरनरी डे

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में वर्ल्ड वेटेरिनेरी डे मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि तकनीक एवं अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना (अटारी) के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार, कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह, डीन डॉ. जे.के. प्रसाद, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. ए.के ठाकुर ने किया। कार्यक्रम के शुरुआत में डॉ. सह-संयोजक डॉ. बिपिन कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया।

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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. अंजनी कुमार ने कहा की वेटरनरी का महत्व व इसकी भूमिका आज के समय में व्यापक हो गयी है यही कारण है की पशुचिकित्सा के महाविद्यालयों को अब विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर इसके शिक्षा, प्रसार, शोध के दायरे को बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा की यह शिक्षा किसान वर्ग को और सबल और समृद्ध करने में सहायक सिद्ध हो रही है, देश का किसान पशु व पशुधन के बिना समृद्ध नहीं हो सकता, किसानों को उन्नत कृषि के लिए बेहतर पशुधन की आवश्यकता होती है और पशुपालक की उन्नति भी स्वास्थ्य पशुधन पर निहित है, इन्ही कारणों से या स्पष्ट होता है की पशुपालन का स्थान देश के किसान वर्ग के लिए कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा की देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र है और सभी में पशु विज्ञान के विशेषज्ञों के लिए पद सृजित है मगर वे पद अभिरुचि में कमी के कारण रिक्त रह जाती है, पशुचिकित्सा के विद्यार्थी पास कर या तो सरकारी पशुचिकित्सक बनने की ओर निकल जाते है, या क्लिनिक खोल खुद की प्रैक्टिस करने लग जाते है और कई उच्च शिक्षा को चुनते है, मगर कृषि विज्ञान केंद्र भी छात्रों के लिए करियर का एक बेहतर अवसर हो सकता है, उन्होंने मंच के माध्यम से छात्रों को सेवाभाव के साथ कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ने का आह्वान किया।

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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा की अगर दुनियां को दो भागो में बांटा जाये तो एक वर्ग ह्यूमन का होगा और दूसरा नॉन-ह्यूमन का होगा, ह्यूमन के स्वास्थ्य को ह्यूमन साइंस के लोग देखते है मगर एक बड़ा नॉन-ह्यूमन वर्ग जिनमे पशु, पक्षी, इत्यादि के स्वास्थ्य की जिम्मा एक पशुचिकित्सक की ही होती है, इस नज़रिये से देखा जाये तो यह क्षेत्र बहुत व्यापक है। उन्होंने आगे कहा की पशुचिकित्सा का क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने, फ़ूड सिक्योरिटी और न्यूट्रिशनल सिक्योरिटी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पशुधन का महत्त्व आदिकाल से रहा है और मनुष्य का पोषण सुरक्षा पशुधन पर ही निर्भर है। उन्होंने कोरोना, रेबीज, मंकी पॉक्स, बर्ड फ्लू, इत्यादि पशुजन्य रोगों के प्रकोप का उदहारण देते हुए कहा की जिस प्रकार से पशुओं से मनुष्यों तक संक्रामक रोगों का प्रकोप देखने को मिला रहा है इससे यह साफ है की वेटरनरी की भूमिका और महत्ता बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा की हमें वन हेल्थ के कांसेप्ट को लेकर आगे बढ़ना होगा, साथ ही इलाज करना हमारी प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए बल्कि हेल्थ बिल्डिंग और रोगों से बचाव के कॉसेप्ट पर काम करने की जरुरत है।

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इस अवसर पर डीन डॉ. जे.के. प्रसाद ने वेटरनरी डे के मानाने के इतिहास पर प्रकाश डाला और लोगों को दुनियां में वेटरनरी शिक्षा की जरुरत, प्रथम वेटरनरी कॉलेज की स्थापना इत्यादि के इतिहास से वाकिफ कराया। उन्होंने भी वन हेल्थ के महत्व पर अपनी बातें रखी। इस अवसर पर फ्री एंटी-रेबीज टीकाकरण किया गया साथ ही “रोल ऑफ़ वेटरनरी इन पब्लिक हेल्थ” विषयक पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें कुशाग्र आनंद, आयुष आर्यन और दुर्गेश नंदनी को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान हांसिल हुआ। कार्यक्रम में संयोजक मंडल के डॉ. रमेश तिवारी, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. सोनम भट्ट, डॉ. भूमिका और महाविद्यालय के सभी शिक्षक व विद्यार्थी शामिल थे।

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