पंजाब में आवारा कुत्तों की समस्या के हल हेतु मुख्यमंत्री ने गठित किया कार्य दल

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3 जुलाई 2019: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को राज्य में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कार्य दल का गठन किया। राज्य में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए, कैप्टन अमरिंदर ने मुख्य सचिव को समस्या के उन्मूलन के लिए भारत सरकार से सहायता लेने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव को ये भी निर्देश दिए कि इस सम्बन्ध में किये जा रहे कार्यक्रमों की निरंतर समीक्षा करते रहे, तथा लक्ष्यों के सापेक्ष प्रगति की भी निगरानी करने को कहा।

कार्य दल को समस्या के समाधान के उपाय सुझाने के लिए दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। कार्यदल में  प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास और पंचायत, प्रमुख सचिव पशुपालन के साथ साथ कुलपति गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) भी  हैं।

बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री ने नगर निगम तथा पंचायत स्तर पर मृत मवेशियों तथा उनके अवशेषों के निस्तारण के लिए अत्याधुनिक प्लांट लगाने हेतु पशुपालन, ग्राम्य विकास तथा पंचायतीराज विभागों को एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि मृत जानवरों के उचित निस्तारण न होने की वजह से आवारा कुत्ते ऐसी जगहों की और आकर्षित होते हैं। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव पशुपालन को भी आवारा कुत्तों की नसबंदी करने के लिए कार्यक्रम में तेजी लाने को कहा।

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प्रमुख सचिव पशुपालन ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि राज्य में वर्ष 2017 में कुत्ते के काटने के 1,12,431 और वर्ष 2018 में 1,13,637 मामले प्रकाश में आए, जिनमें से क्रमशः 13,185 और 15,324 अकेले लुधियाना जिले में दर्ज किए गए। उन्होंने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि 4.70 लाख कुल कुत्तों की आबादी में से 3.05 लाख आवारा कुत्तों की आबादी शामिल है। बैठक में ये भी जानकारी दी गयी कि वर्ष 2017 में 1,20,000 एंटी-रेबीज वैक्सीन इस्तेमाल की गयी और वर्ष 2018 में 1,98,780 एंटी-रेबीज वैक्सीन इस्तेमाल की गयी और कुत्ते के काटने के इलाज के लिए 195 एंटी-रेबीज केंद्र स्थापित किए गए। बैठक में मुख्यमंत्री को सूचित किया गया कि कुल 167 शहरी स्थानीय निकायों में से, 100 ने 30 सितंबर, 2019 को शुरू की जाने वाली नसबंदी के लिए प्रस्ताव पारित किया था। अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट, ज़ीरकपुर और मंडी गोबिंदगढ़ में नौ शहरी स्थानीय निकायों में कुत्तों का ABC (Animal Birth Control ) कार्यक्रम जोर-शोर से चल रहा था।

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कुलपति GADVASU ने मिशन मोड में कुत्ते के खतरे को कुशलता से नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए चल रहे कार्यक्रमों और गतिविधियों में पशुपालन विभाग को हर संभव तकनीकी सहायता और सहयोग का आश्वासन दिया।

बैठक में सीएम के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्य सचिव करण अवतार सिंह, एसीएस स्वास्थ्य सतीश चंद्रा, सीएम के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायत डीके तिवारी, प्रमुख सचिव पशुपालन राज कमल चौधरी, निदेशक ग्रामीण विकास और पंचायत जसकीरत सिंह, निदेशक स्थानीय सरकार कर्णेश शर्मा और कुलपति GADVASU डॉ.ए.एस. नंदा मौजूद थे।

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