21 जुलाई 2019: मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने बताया की सवा साल से डेढ़ साल के अंदर मध्यप्रदेश के अंदर कोई भी निराश्रित गौवंश आपको खेतों में और रोडों पर नजर नहीं आयेगा, सारे के सारे निराश्रित गौवंश को हम गौशालाओं में शिफ्ट करेंगे और उनके मान सम्मान के साथ उनकी सारी व्यवस्थायें उपलब्ध कराएँगे। मंत्री ने जानकारी दी कि हमारी सरकार को अभी 7 महीने हुये हैं, और हमने निर्णय लिया था कि प्रथम फेज में एक हजार गौशालाओं का निर्माण किया जायेगा। एक हज़ार गौशालाओं में से 957 गौशालाओं पर काम शुरू हो गया है।
विधानसभा में अपनी योजना के बारे में बताते हुए राज्य के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने खुद के ग्वाला होने का हवाला देते हुए कहा मैं भी उसी परिवेश में पला, बढ़ा हूं। मैं जब छोटा था तब मैं खुद गाय चराने के लिये जाता था। उन्होंने दावा किया कि अगले 18 महीने में मध्य प्रदेश आवारा पशुओं से मुक्त हो जाएगा।
बीजेपी पर साधा निशाना
श्री यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी गायों को लेकर केवल राजनीति करती है लेकिन उसे गोमाता की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने शिवराज सरकार पर निशाना बनाते हुए कहा कि उन्होंने कभी गोमाता की दुर्दशा को समझने की कोशिश नहीं की।उन्होंने कहा कि 15 साल पहले प्रदेश में निराश्रित गौवंश 35 और 40 हजार के लगभग हुआ करता था और आज ऐसा निराश्रित गौवंश 6 लाख 92 हजार है।
कांग्रेस सरकार ने निराश्रित गौवंश के लिए बढ़ाया अनुदान
पशुपालन मंत्री ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 15 साल में आप लोग इस प्रदेश में राज कर गये और एक भी गौशाला का निर्माण नहीं किया, अभी तक प्रदेश में 625 गौशालाएं संचालित हो रही थी, वे सारी की सारी प्रायवेट हैं एक भी सरकारी गौशाला नहीं थी। इन 625 गौशालाओं में पूर्ववर्ती सरकार में केवल 3 रूपए प्रति गाय प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाता था, कांग्रेस सरकार ने चारा फंड भी प्रति गाय 3 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया है।
मध्य प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर
पशुपालन मंत्री ने जानकारी दी कि दुग्ध संघों के माध्यम से मध्य प्रदेश में 14.71 मिलियन टन दूध का हो रहा हैं, जो देश में तीसरे स्थान पर हैं। दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतु राज्य में “गौपालक पुरस्कार योजना” संचालित की जा रही है, जो ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर पर यह है, जिसमें गौपालकों को प्रोत्साहन राशि दी जाती हैं।
पशुपालन मंत्री ने जानकारी दी कि पशु चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान अंतर्गत जबलपुर,महू, रीवा में पशु चिकित्सा महाविद्यालय संचालित हैं। सरकार ने जबलपुर और ग्वालियर में डेयरी रिसर्च एण्ड फूड टेक्नोलॉजी महाविद्यालय हेतु 2 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है।
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